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सरकार की उदासीनता से पिछड़ा जबलपुर का रेडीमेड गारमेंट बाजार

केंद्र और राज्य सरकार ने जबलपुर के रेडीमेड गारमेंट बाजार की विशालता को देखते हुए मेगा पार्क और क्लस्टर विकसित करने की घोषणा की है. कोरोना के बुरे दौर के बाद सरकार की घोषणाओं से गारमेंट बाजार में थोड़ी उम्मीद जागी है. यदि सरकारें घोषणाओं को सही ठंग से पूरा करती है, तो यह जबलपुर के रेडीमेड गारमेंट बाजार में बुस्टर का काम करेगी और देश-विदेश में जबलपुर का रेडीमेड गारमेंट फैल सकता है.

Readymade Garment Market of Jabalpur
जबलपुर का रेडीमेड गारमेंट बाजार
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Published : Mar 12, 2021, 5:50 PM IST

Updated : Mar 12, 2021, 7:59 PM IST

जबलपुर। जबलपुर रेडीमेड गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हब है. जबलपुर में छोटी बड़ी लगभग एक हजार कपड़ा बनाने वाली इकाइयां हैं. इन इकाइयों में 20 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं. जबलपुर से गारमेंट का करोड़ों रुपए का व्यापार होता है. सरकार को बड़ा राजस्व भी गारमेंट मार्केट से मिलता है. लेकिन बिना सरकारी मदद के जबलपुर का यह व्यापार आगे नहीं बढ़ पा रहा है.

सरकार की उदासीनता से पिछड़ा जबलपुर का रेडीमेड गारमेंट बाजार

जबलपुर में सलवार सूट, जींस, बच्चों के कपड़े से लेकर शादी के लहंगे हर किस्म के कपड़े बनते हैं. पहले जबलपुर में केवल सलवार सूट बनाया जाता था, लेकिन अब बदलते दौर में सभी किस्म के कपड़े बनाए जाने लगे हैं. जबलपुर के कपड़े की क्वालिटी भी अच्छी होती है. जबलपुर के कपड़ों का बड़ा बाजार दक्षिण भारत है. इसके अलावा उत्तर भारत के कई इलाकों में भी जबलपुर से कपड़ों की डिमांड है. लेकिन अब तक जबलपुर का व्यापारी को विदेशों में व्यापार करने के रास्ते खुल गए है. एक ओर केंद्र सरकार ने गारमेंट इंडस्ट्री से जुड़े 7 बड़े पार्क बनाने की घोषणा की है तो दूसरी और राज्य सरकार ने भी 8 एकड़ जमीन पर जबलपुर गारमेंट एवं फैशन डिजाइन क्लस्टर विकसित करने की घोषणा कर दी है.

  • 2021 में सरकारों ने की घोषणा

जबलपुर के कपड़ा व्यापार की ख्याति देखकर केंद्र सरकार ने गारमेंट इंडस्ट्री से जुड़े 7 बड़े पार्क बनाने की घोषणा 2021 के आम बजट में की है. वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने भी 2021 के आम बजट में 8 एकड़ जमीन पर जबलपुर गारमेंट एवं फैशन डिजाइन क्लस्टर विकसित करने की घोषणा कर दी है. जबलपुर में पहले से एक गारमेंट क्लस्टर है, लेकिन यह छोटा होने की वजह से यह व्यापार नहीं कर पा रहा है. जबलपुर गारमेंट एवं फैशन डिजाइन क्लस्टर विकसित होने के बाद जबलपुर में व्यापार के साथ रोजगार के अवसरों में भी वृद्धी होगी. केंद्र और राज्य सरकार की आय में भी क्लस्टर से राजस्व बढ़ेगा. घोषणा के बाद उम्मीद की किरण तो जगी है, लेकिन घोषणा पर अमल कब होगा इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. हालांकि सरकारी दावों के अनुसार 31 मार्च तक यह क्लस्टर बनकर तैयार हो जाएगा.

सूना पड़ा करोड़ों की लागत से बना गारमेंट क्लस्टर, व्यापारी नहीं छोड़ रहे पुश्तैनी दुकानें

  • सरकार की उदासीनता के कारण नहीं हुआ विकास

गारमेंट उद्योग से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि अभी जबलपुर में रेडीमेड के जितने भी कपड़े बनाए जा रहे हैं उनकी डिजाइन या तो दर्जी बनाता है या व्यापारी अपने मन से बनाता है. लेकिन जबलपुर में कोई फैशन डिजाइनिंग का इंस्टिट्यूट नहीं है. और ना ही सरकारें जबलपुर के रेडीमेड गारमेंट को प्रमोशन करने के लिए कोई एक्टिविटी की जा रही है. यदि जबलपुर में फैशन डिजाइनिंग का इंस्टिट्यूट खोल दिया जाता है तो ना सिर्फ यहां पढ़ने वाले बच्चों को रोजगार मिलेगा, बल्कि जबलपुर की इंडस्ट्री भी और बड़ी हो सकेगी. हालांकि प्रदेश सरकार ने कपड़ा डिजाइन की शिक्षा देने के लिए कुछ तैयारियां की है.

  • कोरोना महामारी के कारण घाटे में आया गारमेंट का व्यापार

कोरोना वायरस के संकट काल में जबलपुर का रेडीमेड गारमेंट का व्यापार बड़े घाटे में चला गया. लोगों के पास बड़ी तादाद में बना हुआ माल अभी भी रखा है, जो बेच नहीं पाए हैं. कोरोना के कम होने के बाद फैशन बदलने लगा है. इसलिए व्यापारियों को बड़ा नुकसान हुआ हैं. सरकार यदि कुछ मदद करती है तो व्यापारियों में नई उम्मीद जागेगी. उम्मीद के भरोसे भी जोखिम ले लेंगे. लेकिन सरकार से लोगों को बड़ी आस है.

जबलपुर। जबलपुर रेडीमेड गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हब है. जबलपुर में छोटी बड़ी लगभग एक हजार कपड़ा बनाने वाली इकाइयां हैं. इन इकाइयों में 20 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं. जबलपुर से गारमेंट का करोड़ों रुपए का व्यापार होता है. सरकार को बड़ा राजस्व भी गारमेंट मार्केट से मिलता है. लेकिन बिना सरकारी मदद के जबलपुर का यह व्यापार आगे नहीं बढ़ पा रहा है.

सरकार की उदासीनता से पिछड़ा जबलपुर का रेडीमेड गारमेंट बाजार

जबलपुर में सलवार सूट, जींस, बच्चों के कपड़े से लेकर शादी के लहंगे हर किस्म के कपड़े बनते हैं. पहले जबलपुर में केवल सलवार सूट बनाया जाता था, लेकिन अब बदलते दौर में सभी किस्म के कपड़े बनाए जाने लगे हैं. जबलपुर के कपड़े की क्वालिटी भी अच्छी होती है. जबलपुर के कपड़ों का बड़ा बाजार दक्षिण भारत है. इसके अलावा उत्तर भारत के कई इलाकों में भी जबलपुर से कपड़ों की डिमांड है. लेकिन अब तक जबलपुर का व्यापारी को विदेशों में व्यापार करने के रास्ते खुल गए है. एक ओर केंद्र सरकार ने गारमेंट इंडस्ट्री से जुड़े 7 बड़े पार्क बनाने की घोषणा की है तो दूसरी और राज्य सरकार ने भी 8 एकड़ जमीन पर जबलपुर गारमेंट एवं फैशन डिजाइन क्लस्टर विकसित करने की घोषणा कर दी है.

  • 2021 में सरकारों ने की घोषणा

जबलपुर के कपड़ा व्यापार की ख्याति देखकर केंद्र सरकार ने गारमेंट इंडस्ट्री से जुड़े 7 बड़े पार्क बनाने की घोषणा 2021 के आम बजट में की है. वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने भी 2021 के आम बजट में 8 एकड़ जमीन पर जबलपुर गारमेंट एवं फैशन डिजाइन क्लस्टर विकसित करने की घोषणा कर दी है. जबलपुर में पहले से एक गारमेंट क्लस्टर है, लेकिन यह छोटा होने की वजह से यह व्यापार नहीं कर पा रहा है. जबलपुर गारमेंट एवं फैशन डिजाइन क्लस्टर विकसित होने के बाद जबलपुर में व्यापार के साथ रोजगार के अवसरों में भी वृद्धी होगी. केंद्र और राज्य सरकार की आय में भी क्लस्टर से राजस्व बढ़ेगा. घोषणा के बाद उम्मीद की किरण तो जगी है, लेकिन घोषणा पर अमल कब होगा इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. हालांकि सरकारी दावों के अनुसार 31 मार्च तक यह क्लस्टर बनकर तैयार हो जाएगा.

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  • सरकार की उदासीनता के कारण नहीं हुआ विकास

गारमेंट उद्योग से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि अभी जबलपुर में रेडीमेड के जितने भी कपड़े बनाए जा रहे हैं उनकी डिजाइन या तो दर्जी बनाता है या व्यापारी अपने मन से बनाता है. लेकिन जबलपुर में कोई फैशन डिजाइनिंग का इंस्टिट्यूट नहीं है. और ना ही सरकारें जबलपुर के रेडीमेड गारमेंट को प्रमोशन करने के लिए कोई एक्टिविटी की जा रही है. यदि जबलपुर में फैशन डिजाइनिंग का इंस्टिट्यूट खोल दिया जाता है तो ना सिर्फ यहां पढ़ने वाले बच्चों को रोजगार मिलेगा, बल्कि जबलपुर की इंडस्ट्री भी और बड़ी हो सकेगी. हालांकि प्रदेश सरकार ने कपड़ा डिजाइन की शिक्षा देने के लिए कुछ तैयारियां की है.

  • कोरोना महामारी के कारण घाटे में आया गारमेंट का व्यापार

कोरोना वायरस के संकट काल में जबलपुर का रेडीमेड गारमेंट का व्यापार बड़े घाटे में चला गया. लोगों के पास बड़ी तादाद में बना हुआ माल अभी भी रखा है, जो बेच नहीं पाए हैं. कोरोना के कम होने के बाद फैशन बदलने लगा है. इसलिए व्यापारियों को बड़ा नुकसान हुआ हैं. सरकार यदि कुछ मदद करती है तो व्यापारियों में नई उम्मीद जागेगी. उम्मीद के भरोसे भी जोखिम ले लेंगे. लेकिन सरकार से लोगों को बड़ी आस है.

Last Updated : Mar 12, 2021, 7:59 PM IST
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