जबलपुर। दिवाली का पर्व लोगों के जीवन में खुशियां और नई रोशनी के आगमन का पर्व है. हिंदू धर्म के इस महापर्व पर हर कोई अपनी जिंदगी में रंग भरने की कोशिश करता है. लेकिन कुछ लोग अपने साथ-साथ दूसरों के जीवन को भी खुशियों के रंग से सजाने की कोशिश करते हैं. ऐसी ही कोशिश का नाम है 'अपना दिया'. शहर के युवा इस पहल के तहत बस्तियों में रहने वाले बच्चों के जीवन को नई दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं.
बस्तियों में रहने वाले बच्चों के भविष्य को संवारने और उनकी दिवाली में खुशियों के रंग भरने शहर के युवा एक कोशिश में जुटे हुए हैं. उनकी पहल अपना दिया, के जरिए वे बस्तियों में रहने वाले बच्चों की प्रतिभा को निखारने का भी प्रयास किया जा रहा है. बच्चों को मिट्टी के दिए उपलब्ध कराए जाते हैं, जिन्हें वे ऐक्रेलिक रंगों से रंगते हैं और फिर यही दिए बाजार में बेचने के लिए भेजे जा रहे हैं.
मनमोहन नगर में रहने वाली वंशिका, रवि और कई बच्चे इस काम में दिन रात जुटे हुए हैं, जो न सिर्फ अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं और बल्कि आत्मनिर्भर बनने का प्रयास भी कर रहे हैं.
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NGO चलाने वालीं स्नेहलता ने बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने और सबके सामने लाने के उद्देश्य से इस अभियान की शुरुआत की है, जिसके लिए कई बस्तियों में रहने वाले बच्चों को चुना गया है. दियों में रंग भरने से जहां बच्चों की कला निखर रही है वहीं अन्य बच्चों के लिए ये बच्चे प्रेरणा भी बन रहे हैं.