जबलपुर। कोरोना संक्रमण काल की वह भयावह तस्वीरें भला कौन भूला होगा. जब रोजाना श्मशान घाटों में चिताओं के ढेर और कतार में लगे शव सामने आ रहे थे. रोजाना 300 से 400 शवों का जलना आम बात हो गई थी. हर तरफ दहशत का माहौल था. इसके बाद मध्य प्रदेश में भी कोरोना वायरस से मौतों के आंकड़ों ने सियासत भी खूब गरमाई. सरकारी आंकड़ों में जहां मौतें दो या तीन हो रही थीं तो श्मशान घाट की तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही थीं. हाल ही में जारी हुई मतदाता सूची के आंकड़ों ने एक बार फिर उस दौर की याद को ताजा कर दिया है.
सबसे ज्यादा भनोट के क्षेत्र में घटे मतदाता : जिले की 8 विधानसभा सीटों में कुल मतदाताओं की संख्या 1764165 बच्ची है. इन वोटरों में 18 से 19 साल के युवाओं की संख्या 9081 है. जबकि 20 से 29 साल के युवा मतदाताओं की संख्या 336899 है. जबकि नई सूची के पूर्व 126065 मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. इसमें सबसे अधिक नाम पश्चिम विधानसभा और प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट की विधानसभा से कटे हैं. जबलपुर की पश्चिम विधानसभा से 34086 मतदाताओं के नामों को काटा गया है. जिले में कोरोना के चलते हुए कुल मौतों का आंकड़ा 817 है.
कांग्रेस हुई बीजेपी पर हमलावर : नई मतदाता सूची के सामने आने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. जबलपुर नगर निगम के महापौर जगतबहादुर सिंह अन्नू बताते हैं कि आंकड़ों ने सरकार कि झूठ को उजागर कर दिया है. क्योंकि कोविड काल के समय विपक्ष चीख- चीखकर कह रहा था और मौत के झूठे आंकड़ों पर सवाल खड़े कर रहा था. बावजूद इसके सरकार झूठे आंकड़े पेश कर रही थी. उनका यह भी मानना है कि अगर यह आंकड़े कोरोना में हुई मौतों के चलते कम नहीं हुए तो क्या भाजपा ने फर्जी वोटर जोड़ रखे थे. जो भी हो कांग्रेस इस मामले को लेकर खुद भी जांच कर रही है.
भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया : वहीं, भाजपा कांग्रेस के आरोपों को खारिज करती है. उनका मानना है कि फिलहाल मतदाता सूची में पुनरीक्षण का काम जारी है. ऐसे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. वहीं जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से इस मामले को लेकर सर्वे का हवाला दिया जा रहा है. उनका कहना है कि बीएलओ द्वारा किए गए सर्वे के बाद मतदाता सूची में नए आंकड़े सामने आए हैं, जहां तक आंकड़ों के कम होने का सवाल है तो उसमें कई सारे मुद्दे हैं, जिनमें कोविड भी शामिल हैं.
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कभी भी इतना बड़ा आंकड़ा सामने नहीं आया : मतदाता सूची में अब तक हुए पुनरीक्षण कार्यक्रम में कभी भी सवा लाख मतदाताओं के घटने का आंकड़ा सामने नहीं आया है. कोरोना काल के बाद हुए मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्यक्रम में सामने आई तस्वीर वाकई हैरान कर देने वाली है. वहीं अब एक बार फिर सवाल खड़ा होता है कि क्या कोरोना काल में हुई मौतों की वजह से मतदाताओं की संख्या घट गई ? जो भी हो सत्ता दल समेत प्रशासनिक अमला इस बात पर मंथन कर रहा है लेकिन कहीं ना कहीं कोरोना काल में हुई मौतें भी आंकड़ों के कम होने की वजह मानी जा रही है.