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Jabalpur Tribal Art एमपी के आदिवासी कलाओं की विदेशों में बढ़ी डिमांड, अनेकों प्रोडक्ट्स की मची धूम

जबलपुर में आदिवासी कलाकारों की कला की डिमांड अब विदेशों में भी बढ़ गई है. यहां के आदिवासी कलाकारों को विदेशों से नए प्रोडेक्ट्स तैयार करने के ऑर्डर मिल रहे हैं. अब तक कैनवास में जिस आदिवासी कला को आप देखते थे, वह आपके घर के दरवाजे से लेकर आपके जूतों तक आ पहुंची है. ये कलाकार पूरे घर को अब अपने आदिवासी कलाओं से भर सकते है.

mp tribal artist made products
एमपी आदिवासी कलाकारों ने बिखेरा आदिवासी कला
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Published : Nov 26, 2022, 8:51 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले के आदिवासी कस्बे में रहने वाले 161 लोक कलाकार अब अपनी कला को विदेशों में भी बिखेर रहे हैं. ये कलाकार अपनी कला को बिखेरने के लिए किसी के मोहताज नहीं रह गए हैं, बल्कि खुद के दम पर अब अपने हुनर से आजीविका भी पा रहे हैं. इन कलाकारों की कला की डिमांड देश के कोने कोने में हो रही है. इनकी कला की डिमांड इतनी ज्यादा है कि ये दिन रात काम कर रहे हैं. विदेशों से भी इनकी कलाकारी के लिए कई प्रोजेक्ट को आर्डर मिले हैं. अब तक कैनवास में जिस आदिवासी कला को आप देखते थे, वह आपके घर के दरवाजे से लेकर आपके जूतों तक आ पहुंची है.

मध्यप्रदेश आदिवासी कला की विदेशों में मांग

अपनी कला से ले रहे सम्मान: प्रकृति और उससे प्रेरित यह पारंपरिक लोक कला की चित्र बखूबी दर्शाती है कि इसको बनाने वाले कलाकार आदिवासी बहुल क्षेत्र से हैं. ये कलाकार प्रकृति की सुंदरता को अपनी कला के माध्यम से समझाना चाहते हैं. यह आदिवासी लोक कलाकार डिंडोरी जिले के पाटनगढ़ कस्बे के रहने वाले हैं. ये कलाकार अब बड़े बड़े शहरों में जाकर अपनी कलाकृतियों को सम्मान के साथ भेजते हैं. उन्हें उनकी उचित आमदनी भी मिलती है.

mp tribal artist made products use of tribal work
एमपी के आदिवासी कलाओं की विदेशों में बढ़ी डिमांड

स्वतंत्र बनने के लिए अपनाया नया रास्ता: कोरोना काल के दौरान हुए लॉकडाउन ने इन 161 आदिवासी कलाकारों को एकजुट कर दिया और यह सोच भी पैदा कर दी कि अब कुछ करके दिखाना है. ज्यादातर आदिवासी लोक कला को या तो सरकारी ढांचे के अनुरूप ही देखा जाता था या उनके स्वावलंबन के लिए भी सरकारी मदद की दरकार रहती थी, लेकिन इन आदिवासी लोक कलाकारों ने इस मिथक को तोड़ा है और खुद अपनी सोच पर बदलाव लाते हुए स्वावलंबी बनने के लिए नई पटकथा की शुरुआत कर दी है.

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एमपी आदिवासी कलाकारों ने बिखेरा आदिवासी कला


पीएल डोंगरे की पेटिंग के विदेशों में भी दीवाने हैं लोग, कैनवास पर उकेरते हैं आदिवासी कला का रंग

आदिवासी लोक कला की बढ़ती डिमांड: जबलपुर में यह सभी कलाकार एकजुट होकर देशभर से मिल रहे ऑर्डर्स को पूरा करने में जुटे हैं. अब ऑर्डर सिर्फ कैनवास की पेंटिंग के नहीं बल्कि दरवाजे, खिड़कियां, अलमारी का दरवाजा, सेंटर टेबल, समेत घर के फर्नीचर के मिल रहे हैं. जिसे भी अपने घर को आदिवासी लोक कला से परिपूर्ण करना है वे सभी प्रोडक्ट का ऑर्डर इन आदिवासी कलाकारों को देते हैं. ऑर्डर मिलते ही ये आदिवासी कलाकार बखूबी मेहनत कर इसे बनाते हैं और उनके पूरा बन जाने के बाद खूबसूरत आकृति देखने को मिलती है.

mp tribal artist made products use of tribal work
आदिवासी लोक कला की बढ़ती डिमांड

ऑनलाइन मोड पर कर रहे काम: कहते हैं जब एक अच्छी सोच के साथ नई शुरुआत की जाए तो उसके परिणाम भी अच्छे ही निकलते हैं. आज इन सभी आदिवासी लोक कलाकार और इन्हें प्रेरित करने वाले वो तमाम लोग खुश हैं, क्योंकि उनकी मेहनत को सही दिशा के साथ ही अच्छा परिणाम भी मिल रहा है. आने वाले दिनों में विदेशों से आ रही डिमांड को देखते हुए यह सभी आदिवासी लोक कलाकार अब ऑनलाइन मोड पर भी जल्द अपने प्रोडक्ट्स को बेचना शुरू करने जा रहे हैं. इसके लिए तमाम तकनीकी प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है, ताकि आदिवासी लोक कला का और अच्छा और बेहतर विस्तार हो सके. आदिवासी लोक कला अब कैनवास से लेकर जूतों तक आ पहुंची है. विशेष तौर पर अब आदिवासी लोक कला को मौजूदा समय के अनुरूप ढाला जा रहा है, ताकि आदिवासी कलाकारों की कला सिर्फ सीमित दायरे पर ना रह जाए और इनकी आजीविका भी चलती रहे. बेशक कलाकारों की टीम ने एक अच्छा कदम उठाया है. इसके और बेहतर विस्तार की उम्मीद की जा रही है.

जबलपुर। मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले के आदिवासी कस्बे में रहने वाले 161 लोक कलाकार अब अपनी कला को विदेशों में भी बिखेर रहे हैं. ये कलाकार अपनी कला को बिखेरने के लिए किसी के मोहताज नहीं रह गए हैं, बल्कि खुद के दम पर अब अपने हुनर से आजीविका भी पा रहे हैं. इन कलाकारों की कला की डिमांड देश के कोने कोने में हो रही है. इनकी कला की डिमांड इतनी ज्यादा है कि ये दिन रात काम कर रहे हैं. विदेशों से भी इनकी कलाकारी के लिए कई प्रोजेक्ट को आर्डर मिले हैं. अब तक कैनवास में जिस आदिवासी कला को आप देखते थे, वह आपके घर के दरवाजे से लेकर आपके जूतों तक आ पहुंची है.

मध्यप्रदेश आदिवासी कला की विदेशों में मांग

अपनी कला से ले रहे सम्मान: प्रकृति और उससे प्रेरित यह पारंपरिक लोक कला की चित्र बखूबी दर्शाती है कि इसको बनाने वाले कलाकार आदिवासी बहुल क्षेत्र से हैं. ये कलाकार प्रकृति की सुंदरता को अपनी कला के माध्यम से समझाना चाहते हैं. यह आदिवासी लोक कलाकार डिंडोरी जिले के पाटनगढ़ कस्बे के रहने वाले हैं. ये कलाकार अब बड़े बड़े शहरों में जाकर अपनी कलाकृतियों को सम्मान के साथ भेजते हैं. उन्हें उनकी उचित आमदनी भी मिलती है.

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एमपी के आदिवासी कलाओं की विदेशों में बढ़ी डिमांड

स्वतंत्र बनने के लिए अपनाया नया रास्ता: कोरोना काल के दौरान हुए लॉकडाउन ने इन 161 आदिवासी कलाकारों को एकजुट कर दिया और यह सोच भी पैदा कर दी कि अब कुछ करके दिखाना है. ज्यादातर आदिवासी लोक कला को या तो सरकारी ढांचे के अनुरूप ही देखा जाता था या उनके स्वावलंबन के लिए भी सरकारी मदद की दरकार रहती थी, लेकिन इन आदिवासी लोक कलाकारों ने इस मिथक को तोड़ा है और खुद अपनी सोच पर बदलाव लाते हुए स्वावलंबी बनने के लिए नई पटकथा की शुरुआत कर दी है.

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एमपी आदिवासी कलाकारों ने बिखेरा आदिवासी कला


पीएल डोंगरे की पेटिंग के विदेशों में भी दीवाने हैं लोग, कैनवास पर उकेरते हैं आदिवासी कला का रंग

आदिवासी लोक कला की बढ़ती डिमांड: जबलपुर में यह सभी कलाकार एकजुट होकर देशभर से मिल रहे ऑर्डर्स को पूरा करने में जुटे हैं. अब ऑर्डर सिर्फ कैनवास की पेंटिंग के नहीं बल्कि दरवाजे, खिड़कियां, अलमारी का दरवाजा, सेंटर टेबल, समेत घर के फर्नीचर के मिल रहे हैं. जिसे भी अपने घर को आदिवासी लोक कला से परिपूर्ण करना है वे सभी प्रोडक्ट का ऑर्डर इन आदिवासी कलाकारों को देते हैं. ऑर्डर मिलते ही ये आदिवासी कलाकार बखूबी मेहनत कर इसे बनाते हैं और उनके पूरा बन जाने के बाद खूबसूरत आकृति देखने को मिलती है.

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आदिवासी लोक कला की बढ़ती डिमांड

ऑनलाइन मोड पर कर रहे काम: कहते हैं जब एक अच्छी सोच के साथ नई शुरुआत की जाए तो उसके परिणाम भी अच्छे ही निकलते हैं. आज इन सभी आदिवासी लोक कलाकार और इन्हें प्रेरित करने वाले वो तमाम लोग खुश हैं, क्योंकि उनकी मेहनत को सही दिशा के साथ ही अच्छा परिणाम भी मिल रहा है. आने वाले दिनों में विदेशों से आ रही डिमांड को देखते हुए यह सभी आदिवासी लोक कलाकार अब ऑनलाइन मोड पर भी जल्द अपने प्रोडक्ट्स को बेचना शुरू करने जा रहे हैं. इसके लिए तमाम तकनीकी प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है, ताकि आदिवासी लोक कला का और अच्छा और बेहतर विस्तार हो सके. आदिवासी लोक कला अब कैनवास से लेकर जूतों तक आ पहुंची है. विशेष तौर पर अब आदिवासी लोक कला को मौजूदा समय के अनुरूप ढाला जा रहा है, ताकि आदिवासी कलाकारों की कला सिर्फ सीमित दायरे पर ना रह जाए और इनकी आजीविका भी चलती रहे. बेशक कलाकारों की टीम ने एक अच्छा कदम उठाया है. इसके और बेहतर विस्तार की उम्मीद की जा रही है.

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