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जबलपुर में धान खरीदी के दौरान लापरवाही, किसानों का धरना, देखें- कैसे बर्बाद हो रही फसल - जबलपुर में धान खरीदी

Jabalpur Paddy farmer protest: जबलपुर में सरकारी अफसरों की लापरवाही से धान खरीदी प्रभावित हो रही है. इसके विरोध में किसानों ने धरना दे दिया. जबलपुर में खुले में पड़ी हजारों कुंतल धान के बर्बाद होने की आशंका है.

Jabalpur Rice Paddy MSP farmers protest
जबलपुर में धान खरीदी के दौरान लापरवाही, किसानों का धरना
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 6, 2024, 1:31 PM IST

जबलपुर में धान खरीदी के दौरान लापरवाही, किसानों का धरना

जबलपुर। जबलपुर क्षेत्र में हजारों किसान प्रशासनिक लापरवाही की वजह से परेशान हैं. सरकारी धान खरीदी के दो तरीके हैं. पहला सरकार गांव की सोसाइटी में खरीदी केंद्र बनाती है और इसमें धान खरीदी होती है और फिर इसे वेयरहाउस में सुरक्षित रख दिया जाता है. दूसरा तरीका है कि निजी वेयरहाउस में ही खरीदी केंद्र बनाया जाए. यहां किसान धान लेकर आता है. यहीं खरीदी होती है और फिर इन्हीं वेयर हाउस में स्टोर कर दिया जाता है.

वेयरहाउस में होता है खेला : बीते कुछ सालों से जिन निजी वेयरहाउस में खरीदी केंद्र बनाए जाते रहे हैं, उनमें से कुछ खरीदी केंद्रों पर घटिया क्वालिटी की धान को स्टोर कर लिया गया. किसानों को तो इसका पेमेंट हो गया लेकिन जब धान उठाने की बारी आई तो मिल मालिकों ने घटिया धान उठाने से मना कर दिया. इसके बाद बड़े पैमाने पर धान खराब हुई. उसे फिर बहुत कम कीमत में नीलाम करना पड़ा. यह सिलसिला जबलपुर में कई सालों से चला आ रहा है और इस षड्यंत्र में एक सुनियोजित माफिया काम करता है.

बिना अनुमति खरीदी की : इस बार जब धान खरीदी शुरू हुई तो शासन ने 36 खरीदी केंद्रों को स्वीकृति नहीं दी लेकिन इसके बाद भी इन खरीदी केद्रों के संचालक जो वेयरहाउस मालिक भी हैं, उन्होंने खरीदी शुरू कर दी. इन्हें पूरी उम्मीद थी कि इन्हें खरीदी की अनुमति मिल जाएगी और बाद में वह इस धन को स्टॉक में शामिल करके किसानों को पेमेंट करवा देंगे लेकिन इन खरीदी केदो को सरकार ने अनुमति नहीं दी. जब तक यह प्रक्रिया हुई, तब तक बड़े पैमाने पर किस इन खरीदी केदो पर धान तुलवा चुके थे.

कलेक्टर का ट्रांसफर : जब किसानों को पेमेंट नहीं हुई और बड़े पैमाने पर यहां धन पाई गई तो इस मामले की जांच हुई और जांच में जबलपुर के खाद्य नियंत्रक और जिला विपणन अधिकारी रोहित बघेल को सस्पेंड कर दिया गया. इसके बाद भोपाल से आई एक टीम ने इस पूरे गड़बड़ घोटाले की जांच की और इसके बाद ही जबलपुर की कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन को अचानक ट्रांसफर कर दिया गया. पीड़ित किसानों के पक्ष में भारतीय किसान संघ आंदोलन कर रहा है. भारतीय किसान संघ के नेता राघवेंद्र पटेल ने बताया कि किसानों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह खरीदी केंद्र बंद हो गए हैं लेकिन अब सरकार को इन खरीदी केदो पर रखी हुई धान को खरीदना पड़ेगा. भले ही इसके लिए किसानों के उपज और रखने की जांच करवा ली जाए.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन : वहीं भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष मोहन तिवारी का कहना है कि धान खुले में पड़ी है और मौसम में नमी होने की वजह से अंकुरण शुरू हो गया है. ऐसी स्थिति में धान की अधिक क्वालिटी खराब होती है तो इसका दोषी आप किसानों को ना ठहराया जाए. वहीं जबलपुर के नवनियुक्त कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि जांच के बाद सभी किसानों की धान खरीदी जाएगी. फिलहाल धान जिन वेयरहाउस में रखी हुई है वहां उसकी सुरक्षा करना उन वेयरहाउस संचालकों की जिम्मेदारी है क्योंकि किसान बिना सरकारी अनुमति के इन निजी वेयरहाउस में धान लेकर क्यों पहुंचे दीपक सक्सेना का कहना है कि जल्द ही इस समस्या को खत्म कर लिया जाएगा.

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एमपी में ऐसे होती है खरीदी : केंद्र सरकार की विकेंद्रीकृत योजना के अनुसार मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, मोटा अनाज, तिलहन और दालों की खरीद की जाती है. केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन के माध्यम से राज्य में विकेंद्रीकृत योजना लागू की गई. योजना के तहत राज्य सरकार की नोडल एजेंसी द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरण के लिए आवश्यक मात्रा, एमपीएसटी राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड के पास ही संग्रहीत है. एमपी में ज्वार और बाजरा समर्थन मूल्य पर और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्राप्त किए जाते हैं.

जबलपुर में धान खरीदी के दौरान लापरवाही, किसानों का धरना

जबलपुर। जबलपुर क्षेत्र में हजारों किसान प्रशासनिक लापरवाही की वजह से परेशान हैं. सरकारी धान खरीदी के दो तरीके हैं. पहला सरकार गांव की सोसाइटी में खरीदी केंद्र बनाती है और इसमें धान खरीदी होती है और फिर इसे वेयरहाउस में सुरक्षित रख दिया जाता है. दूसरा तरीका है कि निजी वेयरहाउस में ही खरीदी केंद्र बनाया जाए. यहां किसान धान लेकर आता है. यहीं खरीदी होती है और फिर इन्हीं वेयर हाउस में स्टोर कर दिया जाता है.

वेयरहाउस में होता है खेला : बीते कुछ सालों से जिन निजी वेयरहाउस में खरीदी केंद्र बनाए जाते रहे हैं, उनमें से कुछ खरीदी केंद्रों पर घटिया क्वालिटी की धान को स्टोर कर लिया गया. किसानों को तो इसका पेमेंट हो गया लेकिन जब धान उठाने की बारी आई तो मिल मालिकों ने घटिया धान उठाने से मना कर दिया. इसके बाद बड़े पैमाने पर धान खराब हुई. उसे फिर बहुत कम कीमत में नीलाम करना पड़ा. यह सिलसिला जबलपुर में कई सालों से चला आ रहा है और इस षड्यंत्र में एक सुनियोजित माफिया काम करता है.

बिना अनुमति खरीदी की : इस बार जब धान खरीदी शुरू हुई तो शासन ने 36 खरीदी केंद्रों को स्वीकृति नहीं दी लेकिन इसके बाद भी इन खरीदी केद्रों के संचालक जो वेयरहाउस मालिक भी हैं, उन्होंने खरीदी शुरू कर दी. इन्हें पूरी उम्मीद थी कि इन्हें खरीदी की अनुमति मिल जाएगी और बाद में वह इस धन को स्टॉक में शामिल करके किसानों को पेमेंट करवा देंगे लेकिन इन खरीदी केदो को सरकार ने अनुमति नहीं दी. जब तक यह प्रक्रिया हुई, तब तक बड़े पैमाने पर किस इन खरीदी केदो पर धान तुलवा चुके थे.

कलेक्टर का ट्रांसफर : जब किसानों को पेमेंट नहीं हुई और बड़े पैमाने पर यहां धन पाई गई तो इस मामले की जांच हुई और जांच में जबलपुर के खाद्य नियंत्रक और जिला विपणन अधिकारी रोहित बघेल को सस्पेंड कर दिया गया. इसके बाद भोपाल से आई एक टीम ने इस पूरे गड़बड़ घोटाले की जांच की और इसके बाद ही जबलपुर की कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन को अचानक ट्रांसफर कर दिया गया. पीड़ित किसानों के पक्ष में भारतीय किसान संघ आंदोलन कर रहा है. भारतीय किसान संघ के नेता राघवेंद्र पटेल ने बताया कि किसानों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह खरीदी केंद्र बंद हो गए हैं लेकिन अब सरकार को इन खरीदी केदो पर रखी हुई धान को खरीदना पड़ेगा. भले ही इसके लिए किसानों के उपज और रखने की जांच करवा ली जाए.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन : वहीं भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष मोहन तिवारी का कहना है कि धान खुले में पड़ी है और मौसम में नमी होने की वजह से अंकुरण शुरू हो गया है. ऐसी स्थिति में धान की अधिक क्वालिटी खराब होती है तो इसका दोषी आप किसानों को ना ठहराया जाए. वहीं जबलपुर के नवनियुक्त कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि जांच के बाद सभी किसानों की धान खरीदी जाएगी. फिलहाल धान जिन वेयरहाउस में रखी हुई है वहां उसकी सुरक्षा करना उन वेयरहाउस संचालकों की जिम्मेदारी है क्योंकि किसान बिना सरकारी अनुमति के इन निजी वेयरहाउस में धान लेकर क्यों पहुंचे दीपक सक्सेना का कहना है कि जल्द ही इस समस्या को खत्म कर लिया जाएगा.

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