जबलपुर। संस्कारधानी में बीते 25 सालों से रसरंग बारात की परंपरा चली आ रही है. इस साल भी रसरंग बरात का आयोजन किया गया. जबलपुर की एक संस्था गुंजन कला सदन शहर में रसरंग बरात का आयोजन करती है. इस बारात में शामिल हर आदमी दूल्हा होता है. बारात के आयोजकों का कहना है कि, बारात में साहित्य कला और समाज के लगभग हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है. सभी को बराबर सम्मान मिले इसलिए सभी को दूल्हा बनाया जाता है.
महिलाएं भी बनती हैं दूल्हा: गुंजन कला सदन के सदस्य हिमांशु तिवारी का कहना है कि दरअसल वे महिलाओं को भी सम्मान देना चाहते हैं. सामान्य तौर पर महिलाएं दुल्हन बनती हैं लेकिन यही एक मौका होता है. जब महिलाओं को भी दूल्हा बनाया जाता है. उन्हें भी पगड़ी पहनाई जाती है. उन्हें दुल्हन की बजाय दूल्हा कहा जाता है. आयोजन में शामिल होने के लिए शहर के कई राजनेता भी शामिल होते हैं. उन्हें भी दूल्हा बनाया जाता है. इस बार पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई और उनकी पत्नी को दूल्हा बनाया गया. होली पर जबलपुर में कई अनोखे कार्यक्रम होते हैं. रसरंग बरात भी ऐसा ही एक अनोखा आयोजन है. जो अब जबलपुर की परंपरा बन गया है.
कोरोना वायरस के बाद छोटा हुआ आयोजन: पहले रसरंग बारात पूरे शहर में घूमा करती थी. इसमें कुछ लोग बराती और घराती हो जाते थे. आयोजन बिल्कुल बारात की तरह किया जाता था. नाचते गाते लोग होली के 1 दिन पहले बारात का मजा लेते थे लेकिन कोरोना काल के बाद बारात की रौनक फीकी पड़ गई. इस बार यह आयोजन जबलपुर के शहीद स्मारक हॉल में किया गया. हालांकि लगभग 500 की तादाद वाला यह हॉल पूरी तरह भरा हुआ रहा और लोगों ने रसरंग बारात का आनंद उठाया.