जबलपुर। राज्यसभा में सांसद कैलाश सोनी ने मांग की है कि सरकार जंगली सुअरों को नियंत्रित करने के लिए कोई कानून बनाए. जिन किसानों के पास लाइसेंसी बंदूकें हैं, उन्हें कलेक्टर या एसडीएम द्वारा जंगली सुअर को मारने की अनुमति दी जाए. कैलाश सोनी का कहना है कि किसानों को खेतों में बाड़ लगाने के लिए अनुदान दिया जाए. उन्होंने कहा कि जिस करंट से आदमी की मौत ना होती हो लेकिन जो जंगली सुअर के लिए नुकसानदायक हो, उसके उपकरणों की व्यवस्था सरकार करवाए.
महाकौशल में सुअरों का आतंक : सवाल ये है कि सांसद को संसद में यह सवाल उठाने की जरूरत क्यों महसूस हुई. इसके पीछे की बड़ी वजह है यह है कि महाकौशल इलाके में जंगली सुअरों से लोग परेशान हैं. महाकौशल इलाके में जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर और रायसेन जिले में गन्ने की खेती होती है. गन्ने की खेती में सबसे बड़ा नुकसान जंगली सुअर पहुंचाते हैं. जंगली सुअर गन्ने की फसल को बुरी तरह बर्बाद कर देते हैं. इसकी वजह से मध्य प्रदेश के कई जिलों में किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है. वाइल्ड बोअर न केवल गन्ने की फसल बल्कि चना उड़द मूंग सोयाबीन आलू और मटर की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि राहगीरों पर हमला भी करते हैं. नरसिंहपुर जिले में ऐसे सैकड़ों मामले आए हैं.
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जंगली सुअर को मारना अपराध : नरसिंहपुर जिले में जंगली सुअरों की बढ़ती तादाद की वजह से लोगों का रात में निकलना मुश्किल हो गया है. जिन इलाकों में इनकी संख्या ज्यादा है, वहां लोग सतर्क होकर ही चलते हैं. जंगली सुअर अचानक हमला करता है और इसके बाद न केवल यह लोगों को काटते हैं बल्कि अपने पैरों से भी नुकसान पहुंचाते हैं. ये झुंड में आते हैं और लोगों को घायल कर देते हैं. जंगली सुअर पालतू जानवर नहीं है बल्कि इसे वन्य जीव माना जाता है. इसलिए इसे मारने पर वन्य जीवों के संरक्षण के कानून की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है. सांसद कैलाश सोनी ने इसी कानून में परिवर्तन की मांग की है.