जबलपुर। मध्य प्रदेश में सबसे अच्छी अरहर दाल गाडरवारा पिपरिया की मानी जाती है. लोगों का कहना है कि इस इलाके की अरहर में मिठास होती है. इस वजह से यहां की दाल की मांग सबसे ज्यादा होती है. गाडरवारा पिपरिया से आने वाली अरहर दाल की बेस्ट वैरायटी ₹180 किलो बिक रही है. वहीं जबलपुर लोकल में भी दाल की कई बड़ी मिले हैं, उनमें भी अरहर दाल का उत्पादन हो रहा है. लेकिन खड़ी अरहर की कीमत 100 से ₹110 किलो होने की वजह से जबलपुर में उत्पादित होने वाली अरहर दाल भी सस्ती नहीं है और यह लगभग 160 से ₹170 बिक रही है.
विदेश से भी मंगाई अरहर दाल : इसके अलावा जबलपुर में नागपुर से भी अरहर दाल आती है. वहां भी कोई राहत नहीं है. अरहर दाल की टुकड़ी तक बाजार में सवा सौ रुपए किलो है, जो गरीब लोग खरीद रहे हैं. इस साल पहले ही सरकार को अंदाजा हो गया था कि अरहर दाल में तेजी आएगी. इसलिए सरकार ने अरहर दाल का आयात खोल दिया था और विदेश से अरहर मंगाई जा रही है. खासतौर से दक्षिण अफ्रीका से अरहर दाल का आयात होता है. जबलपुर के व्यापारियों का कहना है कि आयातित अरहर भी ₹160 किलो पड़ रही है. इसलिए आयात करने के बाद भी अरहर दाल की कीमतों में कोई कमी आने की संभावना नहीं है, बल्कि इस साल अरहर दाल ₹200 से ऊपर बिक सकती है.
दाल में भी कॉर्पोरेट की एंट्री : जबलपुर अनाज मंडी के उपाध्यक्ष बताते हैं कि दाल में कारपोरेट की एंट्री हो गई है और बड़े पैमाने पर देश के कुछ बड़े उद्योगपति अरहर का स्टॉक कर रहे हैं. जब बाजार में तेजी आती है तब यह अपना स्टॉक रिलीज करते हैं. इसमें सरकार भी एक हिस्सेदार है, क्योंकि सरकार को समर्थन मूल्य पर अरहर खरीदनी है और जब बाजार में तेजी आती है तब उसे भेजती है. कॉर्पोरेट की खरीदी और सरकार की खरीदी दोनों ही बड़े पैमानों पर होती हैं. इसलिए सीजन पर माल का सस्ता होना और बाद में इसमें अचानक तेजी आना दोनों ही कम कॉर्पोरेट की वजह से है.
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गेहूं में भी तेजी : ऐसा नहीं है कि केवल दाल ही महंगी है बल्कि चावलों में भी ₹10 की तेजी है और सभी चावल ₹10 तेज बिक रहे हैं गेहूं ने जरूर एक बार चलांग लगाई है और 2022 किलो बिकने वाला सामान्य गेहूं इस समय 30-32 रुपए की कीमत पर बिक रहा है गेहूं की फसल आने में अभी लगभग 7 महीने बाकी हैं. ऐसी स्थिति में कोई आश्चर्य नहीं होगा कि गेहूं ₹4000 तक पहुंच जाए. दाल चावल और गेहूं की महंगाई का असर बड़े लोगों पर नहीं पड़ता, इसका सीधा असर रोज कमाने खाने वाले लोगों पर पड़ता है और खास तौर पर जो राशन कार्ड पर मिलने वाले अनाज से दूर है जो लोग कमाने खाने के लिए घरों से बाहर निकलते हैं. उन्हें सरकारी राशन नहीं मिल पाता, ऐसी स्थिति में उन्हें रोज कमाने खाने के लिए बाजार से अनाज खरीदना पड़ता है और इस महंगाई में उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ती है.