जबलपुर। जमीन जायदाद की खरीद-फरोख्त करने वाले आम आदमी के लिए सबसे ज्यादा समस्या जमीनों की पुरानी रजिस्ट्रियों की जानकारी लेने में आती है लेकिन जबलपुर जिला प्रशासन ने अब पुरानी रजिस्ट्रियों को भी डिजिटल कर दिया है. जिससे वे एक क्लिक पर लोगों को उपलब्ध हो पा रही हैं. जबलपुर के रजिस्ट्रार डॉक्टर पवन कुमार का कहना है कि "मध्यप्रदेश में रजिस्ट्री को डिजिटल करने का काम सबसे पहले उन्होंने ही शुरू करवाया था."
पुरानी रजिस्ट्री एक क्लिक पर: संपत्ति खरीद और बिक्री का काम रजिस्ट्री के माध्यम से होता है. रजिस्ट्रार के सामने खरीदार और विक्रेता एक साथ मौजूद होते हैं. रजिस्ट्रार पुरानी रजिस्ट्रियों को चेक करके फिर नई रजिस्ट्री करता है. लेकिन कई बार पुरानी रजिस्ट्री मिल नहीं पाती और कुछ बदमाश लोग एक ही जगह की दो अलग-अलग लोगों को भी रजिस्ट्री कर देते हैं. भौतिक रूप से इसका सत्यापन करना थोड़ा कठिन काम है और कई बार इसमें चूक हो जाती है. इसका खामियाजा खरीददारों को भुगतना पड़ता है. फर्जी रजिस्ट्री के लाखों मामले सिविल अदालतों में पेंडिंग हैं. इसीलिए पुरानी रजिस्ट्रियों को भी पीडीएफ फाइल बनाकर डिजिटाइज किया जा रहा है. जबलपुर में इसकी शुरुआत हुई थी और अब इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है. जबलपुर के जिला पंजीयक डॉ. पवन कुमार का कहना है कि "बहुत जल्दी मात्र एक क्लिक पर नई के साथ-साथ पुरानी रजिस्ट्री अभी आम आदमी को देखने को मिल जाएगी."
सौ में शादी हजार में तलाक: सरकार से जुड़ा हुए हर काम में एक रजिस्ट्री फीस होती है. मसलन यदि आपको विवाह प्रमाण पत्र लेना है तो 100 रुपये की रजिस्ट्री फीस लगती है और यदि आपको तलाक करवाना है तो 1000 की रजिस्ट्री फीस आपको चुकानी होती है. इस तरीके से सरकार से जुड़े हुए हर दस्तावेज की एक फीस होती है और यह फीस छोटे से छोटे काम से लेकर बड़े से बड़े काम तक की तय रहती है. लेकिन कई विभागों में इस बात की जानकारी नहीं होती कि किस काम में कितना पैसा सरकार के खजाने में जमा करवाया जाए और इसकी वजह से कई बार प्रमाण पत्रों की डिलीवरी में भी देरी होती है. साथ ही शासन का भी नुकसान होता है. इसी को सरल करने के लिए डॉक्टर पवन कुमार ने अपने स्तर पर मेहनत करके एक पुस्तक छापी है. जो सरकार से जुड़े हुए हर अधिकारी को सरकार बांट रही है. इसमें लगभग सभी विभागों के जरूरी दस्तावेजों में कितनी फीस जमा होती है. इस बात का ब्यौरा दिया गया है . इस पुस्तक की वजह से सरकार के खजाने में पहले की अपेक्षा अब ज्यादा पैसा पहुंच रहा है.
ई रजिस्ट्री की शुरुआत: डॉक्टर पवन कुमार का कहना है कि "मध्यप्रदेश में पहली बार 2014 से ई रजिस्ट्री शुरू हुई थी और ई रजिस्ट्री की शुरुआत पहली बार सीहोर जिले से हुई थी. मध्य प्रदेश में पहली रजिस्ट्री की शुरुआत करने का काम भी उन्होंने ही शुरू किया था. इसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया और आज ही रजिस्ट्री की वजह से रजिस्ट्री न केवल एक सरल प्रक्रिया हो गई है. बल्कि इससे सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व का फायदा हो रहा है.''