जबलपुर. मध्यप्रदेश में गौ संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष अखिलेश्वर आनंद गिरी महाराज ने गायो को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. उन्होंने इस पर कहा कि लोग गाय की सेवा दिखावे के लिए करते हैं. सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं. लेकिन असलियत में उनकी कोई चिंता नहीं रहती. उन्होंने सारा दोष लोगों को ही दिया.
और क्या बोले आनंद गिरी: उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के आधार पर उन्होंने माना था, कि लोग गाय को लेकर वास्तव में गंभीर होंगे. इसके लिए उन्होंने दान की अपील भी की थी और एक गाय को 10 रुपए दान देने को कहा था. इसके लिए ग्रो ग्रास का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाया, और वेबसाइट भी तैयारी की. इसमें दान देने वालों को इनकम टैक्स में भी छूट थी, लेकिन 3 सालों में सिर्फ 9 लाख रुपए दान ही इसमें इकट्ठा हुए.
आनंद गिरी ने कहा- मध्य प्रदेश शासन निजी और सरकारी गौशालाओं में पाल रही गायों के लिए ₹20 प्रतिदिन की मदद देती है. सरकार और निजी संस्थाएं तो अपनी जिम्मेदारी उठा रही हैं लेकिन आम आदमी केवल चर्चा करता है अपना योगदान नहीं देता.
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मध्य प्रदेश में बनी 3500 गौशालाएं: अखिलेश्वर आनंद गिरि महाराज का कहना है- जब से उन्होंने गो सवर्धन बोर्ड का जिम्मा अपने हाथों में लिया है, तब से 2000 से ज्यादा नई गौशालाएं शुरू कर चुके हैं. आज मध्य प्रदेश में लगभग 3500 गौशालाएं चल रही हैं और इनमें सुचारू तरीके से गायों के भोजन के लिए सरकार की ओर से अनुदान जा रहा है.
अखिलेश्वर आनंद महाराज का कहना है- उनके प्रयासों से अब गौशाला निर्माण मनरेगा में शामिल कर दिया गया है. इसके तहत किसी भी गांव में एक एकड़ जमीन पर लगभग 40 लाख की लागत से गौशाला बनाई जा सकती है. इसमें अनुदान सरकार की ओर से दिया जाता है.
सड़क दुर्घटना से गाय का बचाव: मध्य प्रदेश में जब से गौ हत्या पर प्रतिबंध लगा है, उसके बाद से लोगों ने घरेलू गाय को छोड़ दिया है. वो सड़कों पर बैठी नजर आती है. सड़क पर बैठी हुई गए सबसे ज्यादा दुर्घटना का शिकार होती है. अखिलेश्वर आनंद गिरि महाराज ने इस मुद्दे पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से पत्र व्यवहार किया था. नितिन गडकरी के मंत्रालय ने सड़क पर बैठी गाय को सुरक्षित करने के लिए सुझाव मांगे हैं. इसमें गो संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष ने गौठान बनाने का सुझाव दिया है. यह पक्के गोलाकार मैदान होंगे, जिनमें गायों को बैठने की व्यवस्था दी जाएगी. इसके साथ ही सड़क पर बैठी गायों को पास के गांव में बनी गौशालाओं में छोड़ने का भी प्रबंध किया जा रहा है.