जबलपुर। जिले में इन दिनों हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ रही है. जबलपुर के मौसम विभाग के अधिकारी देवेंद्र तिवारी का कहना है कि न्यूनतम तापमान 7.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. वहीं अधिकतम तापमान भी 22 डिग्री सेल्सियस के करीब है. आने वाले दो दिन तक तापमान इसी तरह कम होता रहेगा. शहर के कुछ इलाकों में तापमान इससे भी नीचे चला जाता है और जहां पाला पड़ता है वहां तापमान जीरो डिग्री के करीब पहुंच जाता है. जबलपुर के धनवंतरी नगर इलाके के वार्ड पार्षद जीतू कटारे का आरोप है कि जबलपुर शहर में भयंकर ठंड पड़ रही है और शहर में अभी भी हजारों लोग खुले आसमान के नीचे जीने के लिए मजबूर हैं.
नर्मदा के घाटों पर नहीं जले अलाव : सबसे बुरी हालत नर्मदा के घाटों पर है, जहां बेसहारा लोग घाट पर ही सो जाते हैं. जीतू कटारे ने बताया कि तिलवारा घाट पर सैकड़ों लोग खुले आसमान के नीचे सोने के लिए मजबूर हैं. इन लोगों के पास ठंड से बचने के लिए कंबल भी नहीं हैं और यह प्लास्टिक की सीट के जरिए ठंड मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. जीतू कटारे का कहना है कि शहर में जितनी जरूरत है, उतने अलाव नहीं जल रहें. जिन गरीबों के पास कपड़े नहीं हैं, उनके लिए रात काटना बहुत कठिन हो गया है. वहीं, जबलपुर नगर निगम के उद्यान विभाग के अधिकारी आदित्य शुक्ला का कहना है कि जबलपुर शहर में 17 जगह पर अलाव जलाए जा रहे हैं.
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एनजीटी की आड़ ले रहा नगर निगम : हालांकि उन्होंने माना कि नर्मदा के किनारे के घाटों पर अभी अलाव नहीं जलाये जा रहे थे. लेकिन वह इस बात के लिए राजी नहीं हैं कि ज्यादा अलाव जलाए जाएं क्योंकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पहले ही यह चेतावनी दे रखी है कि शहर के भीतर लकड़ी नहीं जलाई जानी चाहिए. इससे प्रदूषण होता है. बता दें कि उद्यान विभाग सालभर शहर के पेड़ कटवाता भी है पर इसकी लकड़ी न जाने कहां चली जाती है. कंबल बांटने वाले भी अभी सक्रिय नहीं हुए हैं. सरकार ने शहर से सराय भी खत्म करवा दी. रैनबसेरों में इतनी व्यवस्था नहीं है कि सड़क पर सोने वाले सभी लोगों को इनमें रोका जा सके.