जबलपुर। बरगी बांध के 15 गेट खोले जाने के बाद जबलपुर के नर्मदा तटों पर बाढ़ के हालात बन गए हैं. ग्वारीघाट में पानी तट बंधों को तोड़ते हुए ऊपर आ गया है. ग्वारीघाट में लगभग 30 फीट की ऊंचाई तक पानी आ गया है. नर्मदा के बीच में बना मंदिर पूरी तरह से डूब गया है. तट पर बैठकर पूजा पाठ करने वाले पुरोहितों ने घाट से हटकर सड़क पर सामान लगा लिया है. ग्वारीघाट के नीचे खाने-पीने की दुकानों में पानी भर गया है. घाट पर बैठकर भिक्षावृत्ति करने वाले सैकड़ों मजदूरों ने नर्मदा तट परभणी धर्मशाला में डेरा डाला है.
ग्वारी घाट पर खतरा बढ़ा : पुलिस ने ग्वारीघाट तक पहुंचने के पहले ही तीन जगहों पर बैरिकेडिंग की है ताकि लोग सीधे नर्मदा नदी तक ना पहुंच सकें. क्योंकि घाटों पर जिस तरह से पानी बढ़ा है तो खतरा भी बढ़ गया है. हालांकि बारिश की रफ्तार कुछ कम हुई है. शुक्रवार सुबह से तेज बारिश की जगह सावन की फुहार चल रही है. लेकिन अभी भी बरगी बांध के कैचमेंट इलाकों में नदियां उफान पर हैं. डिंडोरी में नर्मदा नदी में पानी पुल तक पहुंच गया था. कई छोटी नदियों में भी पानी की मात्रा बढ़ी है. यह पानी अंततः नर्मदा में आता है.
72 घंटे से लगातार बारिश : बंगाल की खाड़ी में बने दबाव के क्षेत्र में जबलपुर में जोरदार बारिश करवाई है. बीते 72 घंटों से लगातार बारिश हो रही है पहले दिन 111 मिलीमीटर बारिश हुई. दूसरे दिन 168 मिलीमीटर बारिश हुई और अभी लगभग 64 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. यदि तीनों दिनों की बारिश को जोड़ दें तो यह लगभग 14 इंच बारिश का आंकड़ा बीते 3 दिनों में ही पार कर गई है. जबकि जबलपुर में औसतन 35 से 40 इंच बारिश होती थी. यदि इस हिसाब से देखा जाए तो बीते 3 दिन में लगभग एक तिहाई बारिश हो चुकी है.
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खेतों में पानी लबालब : मौसम विभाग का कहना है कि औसत से 30% ज्यादा बारिश की स्थिति बनी है. हालांकि अच्छी बात यह है कि इतनी बारिश के बाद भी कोई जनहानि नहीं हुई है. लगातार हुई बारिश की वजह से थोड़ा सा नुकसान खेती में देखने को मिल रहा है. बारिश की वजह से खेतों में पानी भर गया है. यदि बारिश रुकती नहीं है तो किसानों को रोपा लगाने में समस्या हो सकती है. इसके साथ ही मूंग और उड़द के लिए भी लगातार हो रही बारिश नुकसान पहुंचा सकती है. कुल मिलाकर इस साल की मानसूनी बारिश ने अगले साल की भूमिगत जल के कोटे को पूरा कर दिया है.