जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में बुधवार से कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल को आगे बढ़ाते हुए पूरी तरह से काम बंद कर दिया है. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के अलावा गंजबासौदा के एग्रीकल्चर कॉलेज, बालाघाट, पवारखेड़ा, टीकमगढ़, छिंदवाड़ा के एग्रीकल्चर कॉलेजों में भी कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया है. केंद्रीय कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष निखिल द्विवेदी ने बताया कि सरकार तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों का 27 माह के एरियर का भुगतान करें. टाइम पर कर्मचारियों को समयमान वेतनमान अनियमित से नियमित हुए कर्मचारियों को 100% भुगतान की सुविधा 158 घंटे के नियम से काम कर रहे कर्मचारियों का प्रमंडल से पारित आदेश के अनुसार भुगतान की सुविधा उन्हें दी जाए.
मांगें पूरी नहीं होने तक हड़ताल : कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी इन मांगों पर 100 फीसदी रजामंदी नहीं हो जाती है, तब तक वह काम पर नहीं लौटेंगे और अब यूनिवर्सिटी में पूरी तरह से काम बंद कर दिया गया है. इन कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से विश्वविद्यालय में चल रही पढ़ाई के अलावा शोध कार्य भी प्रभावित होगा. कृषि विश्वविद्यालय में खेती से जुड़े हुए शोध लगातार चलते रहते हैं. इनमें खरीफ की फसलों में खासतौर पर सोयाबीन में कुछ दिनों में फूल आने वाले हैं ऐसी स्थिति में यदि कर्मचारी हड़ताल पर चले गए तो इनके परागण की प्रक्रिया रुक जाएगी, क्योंकि कर्मचारियों के माध्यम से ही यहां बहुत से काम करवाने होते हैं.
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राज्य सरकार को दी चेतावनी : बीते लंबे समय से कृषि कर्मचारियों को बढ़ा वेतन नहीं मिला है. दूसरे कई विभागों में हड़ताल और आंदोलनों के बाद सरकार ने उनकी मांगें मान ली और वेतन वृद्धि स्वीकार कर ली है. बीते कुछ दिनों से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगभग सभी कर्मचारी संगठनों की मांगों को स्वीकार कर लिया है. इसलिए कृषि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को उम्मीद है कि उनकी मांगों पर भी जल्द ही मोहर लग जाएगी, लेकिन जब तक उनकी मांगें नहीं जाती, तब तक आंदोलन करते रहेंगे.