जबलपुर। तृतीय वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस (World Ramayana Conference) में शामिल होने थाईलैंड के शिक्षाविद चिरापट प्रपंडविद्या जबलपुर पहुंचे. उन्होंने बताया कि शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार उन्हें पद्मश्री सम्मान से अलंकृत कर चुकी है. थाईलैंड जैसे देश में रहने के बावजूद भी शिक्षाविद चिरापट प्रपंड विद्या महाभारत और रामायण के संवादों का थाई भाषा में अनुवाद कर चुके हैं. रामायण और महाभारत के एक-एक संवाद को लिखकर उन्होंने इस तरह लिपिबद्ध किया है कि, वह अब एक किताब की शक्ल में थाईलैंड के निवासियों के सामने हैं.
साहित्यिक पहलुओं पर रखे विचार: वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस में थाईलैंड से आए पद्मश्री चिरापट प्रपंडविद्या श्रीलंका के संस्कृति मंत्री विदुरा विक्रमनायके और स्विट्जरलैंड के सांसद निकोलस सैमुअल ने भी शिरकत की थी. इसके साथ ही कई देशों के प्रतिनिधि एवं मंत्री शामिल हुए. अलग-अलग सत्रों में आयोजित हुए रामायण कॉन्फ्रेंस में देश और दुनिया के अनेक देशों से आए शोधार्थियों ने भगवान राम और रामायण के एकेडमिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक पहलुओं पर विचार रखे.
तृतीय वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस : रामायण में निहत संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि लोग श्रीराम का अनुसरण कर आचरण में उन्हें उतार सकें. इससे हम मानव जाति का कल्याण कर सकते हैं. यह विचार विद्वानों ने मानस भवान में आयोजित तृतीय वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस के के दौरान इंडो-थाई रामायण फोरम पर आयोजित बैठक में रखी. बैठक की अध्यक्षता करते हुए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित चिरापत प्रपन्न विद्या ने कहा की ना केवल भारत में बल्कि विश्व के अनेकों देश में श्रीराम से संबंधित मंदिर व उनसे जुड़े ग्रंथ मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि, बौद्ध धर्म के अनुयायीयों के बीच थाईलैंड में रामायण आम है. सब उन्हें राजा राम के नाम से जानते हैं. विश्व शांति के लिए उनके आदर्शों का अनुसरण आवश्यक है.
दूसरी वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस का आयोजन, 15 देशों के प्रतिनिधि करेंगे शिरकत
रामायण को व्यापक करने का प्रयास: थाई रामायण रामाकियन का रामकीर्ति शीर्षक से हिन्दी में अनुवाद करने वाली लेखिका डाॅ. करुणा शर्मा ने रामकीर्ति में उल्लिखित प्रसंगों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. थाईलैंड में भारतीय संस्कृति, थाई-भारत सांस्कृतिक सहयोग और हिन्दी का विस्तार करने में निरंतर संलग्न सुशील धानुका जी ने सुझाव दिया कि समय- समय पर विश्व रामायण सम्मेलन को विभिन्न देशों में आयोजित करना चाहिए. उन्होंने सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों के युवाओं को रामायण सम्बंधित स्थानों की अध्ययन यात्रायें आयोजित कराने का सुझाव दिया. थाईलैंड संस्कृत अध्ययन केंद्र के निदेशक आचान सोम्बात ने इंडो-थाई रामायण फोरम को और व्यापक करने के विषय में अपने सुझाव दिए.