जबलपुर। एक बार फिर पूरी तैयारी के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान कार्यक्रम में नहीं पहुंचे. जबलपुर में समरसता यात्रा के भव्य आयोजन में लाखों रुपए खर्च करने के बाद की गई तैयारियों पर पानी फिर गया. ऐन मौके पर मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर दिया. कांग्रेस के विधायक लखन घनघोरिया ने आरोप लगाया है कि यह सरकारी पैसे की बर्बादी है और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के लिए अनुसूचित जाति जनजाति प्राथमिकता में नहीं है.
नहीं आए मुख्यमंत्री: सागर में 100 करोड़ की लागत से बनने वाले संत रविदास मंदिर कॉरिडोर के लिए जो समरसता यात्रा निकाली जा रही है. उसका आज एक बड़ा भव्य कार्यक्रम जबलपुर के पूर्व विधानसभा में होना था. इसके लिए पूर्व विधानसभा के बहुमंजिला सामुदायिक भवन में अलग-अलग फ्लोर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. सामुदायिक भवन के ठीक सामने लाखों रुपए की लागत में एक पंडाल बनाया गया था. बसों में भर-भर कर बीजेपी के कार्यकर्ताओं को घमापुर के रामलीला मैदान तक लाया गया था. अचानक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कार्यक्रम बदल गया. इस आयोजन के मुख्य कर्ताधर्ता जन अभियान परिषद के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र जानदार का कहना है कि "मुख्यमंत्री अपनी व्यस्तताओं की वजह से यहां नहीं पहुंच पाए".
लखन घनघोरिया की टिप्पणी: दरअसल सामाजिक समरसता के बहाने अनुसूचित जाति के वोटरों को रिझाने की कोशिश की जा रही है और इसी के मद्देनजर पूर्व विधानसभा में इस बड़े आयोजन को किया गया था. इस विधानसभा से कांग्रेस के विधायक और कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. लखन घनघोरिया ने कहा कि "बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान के लिए अनुसूचित जाति प्राथमिकता में नहीं है. इसीलिए वे जानबूझकर अनुसूचित जाति और जनजाति के ऊपर होने वाले अत्याचारों के बाद भी चुप रहते हैं. आरोप है कि उनकी विधानसभा में सरकारी खर्चे पर समरसता यात्रा निकाली गई, लेकिन स्थानीय विधायक को नहीं बुलाया गया. अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश जाटव को समरसता यात्रा के दौरान मंच पर नहीं बिठाया गया. इसकी शिकायत भी उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से की है, लेकिन दोषियों के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की. भारतीय जनता पार्टी के नेता अनुसूचित जाति के लोगों के साथ बैठकर भोजन तक करने को तैयार नहीं है. ऐसी स्थिति में समरसता की बात बेमानी है."