जबलपुर। जिले के महत्वाकांक्षी नर्मदा पथ प्रोजेक्ट के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर ने नगर निगम से जमीन देने के बदले 636 करोड़ रुपयों की राशि मांग ली है. हालांकि प्रोजेक्ट के लिए जरूरी जमीन देने के बदले दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने जबलपुर नगर निगम को थोड़ी सी राहत यह दी है कि, 636 करोड़ रुपयों की राशि नगर निगम को 35 साल की लीज पर किश्तों में देनी होगी. इतनी बड़ी राशि सुनकर नगर निगम के हाथ-पांव फूल गए हैं, महापौर ने सीएम शिवराज सिंह से मामले में दखल देने की गुहार लगाई है.
रेलवे ने जबलपुर नगर निगम से मांगे पैसे: जबलपुर नगर निगम ने नैरोगेज का ट्रैक बंद होने के बाद खाली हुई 68 एकड़ जमीन पर नर्मदा पथ बनाने की योजना बनाई थी. आदि शंकराचार्य से ग्वारीघाट रेलवे स्टेशन तक नैरोगेज की इस जमीन पर सीधी सड़क बनाई जा सकती है, जिससे वैकल्पिक मार्ग से सीधे नर्मदा नदी के ग्वारीघाट पहुंचा जा सकता है. प्रोजेक्ट के लिए मांगी गई इस 68 एकड़ जमीन के बदले रेलवे को गधेरी गांव के पास 108 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन रेलवे ने गधेरी की जमीन को अनुपयोगी बताकर जबलपुर नगर निगम का प्रस्ताव नकार दिया है. अब रेलवे पैसे की डिमांड कर रहा है.
636 करोड़ राशि की डिमांड: किश्तों में 636 करोड़ रुपयों की राशि की मांग पर जब नगर निगम के हाथ पांव फूल गए तो महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान से दखल देने की मांग की है. महापौर ने जबलपुर जिला प्रशासन से पत्राचार करते हुए मांग की है कि, वो प्रोजेक्ट के लिए जरुरी जमीन के दस्तावेज चेक करें और अगर ये जमीन कभी राजस्व विभाग द्वारा रेलवे को दी गई थी तो उसका मालिकाना हक लीज रैंट के साथ नगर निगम को दिया जाए, ताकि नर्मदा पथ का प्रोजेक्ट पूरा किया जा सके. महापौर ने इस प्रोजेक्ट को जबलपुर के विकास के लिए बेहद अहम बताया है और मामले में शासन प्रशासन से दखल देने की मांग की है.
यहां पहले चलती थी नैरोगेज ट्रेन: जिस जमीन पर नर्मदा पथ बनाने की योजना है, उस पर साल 2015 तक नैरोगेज की ट्रेनें चला करती थीं. साल 2017 में नैरोगेज की जगह ब्रॉडगेज ट्रेनें आने के बाद से जमीन खाली है, जिसका मालिकाना हक बिलासपुर जोन मुख्यालय वाले दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के पास है.