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Podajhir Waterfall: नौरादेही का रहस्यमय झरना, सालों से बह रहा पोडाझिर वाटरफॉल, किसी को नहीं पता कहां से आता है पानी

जबलपुर में नौरादेही अभ्यारण के नजदीक एक झरना सालों से बह रहा है. लेकिन आज तक किसी को नहीं पता की ये पानी आता कहां से है. ये झरना आज भी लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 1, 2023, 12:39 PM IST

Updated : Sep 1, 2023, 1:13 PM IST

podajhir waterfall flowing for years
नौरादेही का रहस्यमय झरना
रहस्यमय पोडाझिर वाटरफॉल

जबलपुर। नौरादेही के जंगलों में कई ऐसी रहस्यमई चीजे हैं जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. यहां कई ऐसे रहस्यमय झरने हैं जिनमें पानी कहां से आता है इसका कोई अंदाजा नहीं लग सकता. जबलपुर का निदान फॉल इनमें से एक है. वहीं जबलपुर-भोपाल रोड पर पोडाझिर नाम से एक झरना है यह भी एक रहस्यमई झरना है, जो साल में 6 महीने तक अपनी खूबसूरती बिखेरता है.

पोडाझिर एक रहस्यमय झरना: जबलपुर से भोपाल रोड पर नौरादेही का खूबसूरत अभ्यारण है. इसका कुछ हिस्सा जबलपुर-भोपाल रोड पर पड़ता है जिसमें सड़क नौरादेही के घने जंगलों और ऊंची ऊंची पहाड़ियों के बीच से होकर निकलती है. यह लगभग 30 किलोमीटर का इलाका है, जिसमें सड़क जंगल से होकर निकलती है. इसी जंगल के बीच में एक पहाड़ी पर एक छोटा सा झरना है जो देखने में बेहद खूबसूरत है और सड़क से गुजरने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसके आसपास कोई बस्ती नहीं है, थोड़े दूर कुछ आदिवासी गांव हैं.

podajhir waterfall flowing for years
सालों से बह रहा पोडाझिर वाटरफॉल

झरने का नर्मदा से नहीं संबंध: आदिवासियों का कहना है कि ''वह इसे पोडाझिर के नाम से जानते हैं. जब कभी नर्मदा नदी अपने ऊफान पर होती है तब यह झरना बहने लगता है.'' ईटीवी भारत ने ग्राउंड रिपोर्ट में देखा कि यहां से नर्मदा नदी लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है और झरने से सीधे तौर पर नर्मदा का कोई संबंध नहीं है. हालांकि झरने के ठीक ऊपर एक बहुत बड़ी पहाड़ी है और ऐसी संभावना है की पहाड़ी के ऊपर कहीं पानी रुका हुआ है, जिसकी वजह से यह झरना बहता है. झरने के लिए आने वाली जल रेखा को देखा तो महज 50 फीट की दूरी पर चट्टानों के बीच से पानी रिस रहा था जिससे यह धारा चल रही थी. अब यह रहस्य ही है कि यह पानी आखिर कहां से आ रहा है. क्योंकि इतनी बड़ी तादाद में पानी के रिसाव के लिए पानी का कोई स्रोत आसपास होना जरूरी है. या फिर हो सकता है कि यह पहाड़ बरसात का पानी अवशोषित कर लेता हो और उसे ही झरने के रूप में बाहर निकलता हो.

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खूबसूरत जंगल नौरादेही: नौरादेही अभ्यारण अभी भी मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे जंगलों में हैं जहां लोग नहीं पहुंच पाए हैं. कान्हा बांधवगढ़ पन्ना टाइगर रिजर्व पेंच टाइगर रिजर्व और पचमढ़ी इन जंगलों का प्रचार प्रसार ज्यादा होने की वजह से यहां पर्यटक आते जाते रहे हैं लेकिन नौरादेही अभ्यारण को बहुत अच्छे तरीके से विकसित नहीं किया गया है. अभी मध्य प्रदेश में ज्यादातर सतपुड़ा के जंगलों को पर्यटकों के लिए विकसित किया गया है. विंध्याचल के जंगल अभी भी इस मामले में पीछे रहे हैं और नौरादेही के जंगल विंध्याचल पर्वतमाला से जुड़े हुए हैं. इनकी खूबसूरती सतपुड़ा के जंगलों से बिल्कुल अलग है. विंध्याचल पर्वतमाला में ऊंचे ऊंचे शिखर है और जिन पर घने जंगल है यह देखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं और इन्हीं में से झरने निकलते हैं. जिनमें से जबलपुर के पास निदान फॉल है और बीच-बीच में जंगलों में कई झरने खासतौर पर बरसात के मौसम में देखने को मिलते हैं.

बुंदेलखंड के लिए फायदेमंद: नौरादेही का जंगल लगभग 1200 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले में है. इन जंगलों में बाघ को लाने की तैयारी चल रही है. इन जंगलों में हिरण, चीतल, सांभर और जंगली सुअरों की भरमार है. इसलिए यहां टाइगर आसानी से अपना घर बना लेगा. यदि बुंदेलखंड का यह इलाका विकसित होता है तो इसका आर्थिक फायदा भी इस पिछड़े इलाके में रहने वाले लोगों को मिलेगा.

रहस्यमय पोडाझिर वाटरफॉल

जबलपुर। नौरादेही के जंगलों में कई ऐसी रहस्यमई चीजे हैं जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. यहां कई ऐसे रहस्यमय झरने हैं जिनमें पानी कहां से आता है इसका कोई अंदाजा नहीं लग सकता. जबलपुर का निदान फॉल इनमें से एक है. वहीं जबलपुर-भोपाल रोड पर पोडाझिर नाम से एक झरना है यह भी एक रहस्यमई झरना है, जो साल में 6 महीने तक अपनी खूबसूरती बिखेरता है.

पोडाझिर एक रहस्यमय झरना: जबलपुर से भोपाल रोड पर नौरादेही का खूबसूरत अभ्यारण है. इसका कुछ हिस्सा जबलपुर-भोपाल रोड पर पड़ता है जिसमें सड़क नौरादेही के घने जंगलों और ऊंची ऊंची पहाड़ियों के बीच से होकर निकलती है. यह लगभग 30 किलोमीटर का इलाका है, जिसमें सड़क जंगल से होकर निकलती है. इसी जंगल के बीच में एक पहाड़ी पर एक छोटा सा झरना है जो देखने में बेहद खूबसूरत है और सड़क से गुजरने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसके आसपास कोई बस्ती नहीं है, थोड़े दूर कुछ आदिवासी गांव हैं.

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सालों से बह रहा पोडाझिर वाटरफॉल

झरने का नर्मदा से नहीं संबंध: आदिवासियों का कहना है कि ''वह इसे पोडाझिर के नाम से जानते हैं. जब कभी नर्मदा नदी अपने ऊफान पर होती है तब यह झरना बहने लगता है.'' ईटीवी भारत ने ग्राउंड रिपोर्ट में देखा कि यहां से नर्मदा नदी लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है और झरने से सीधे तौर पर नर्मदा का कोई संबंध नहीं है. हालांकि झरने के ठीक ऊपर एक बहुत बड़ी पहाड़ी है और ऐसी संभावना है की पहाड़ी के ऊपर कहीं पानी रुका हुआ है, जिसकी वजह से यह झरना बहता है. झरने के लिए आने वाली जल रेखा को देखा तो महज 50 फीट की दूरी पर चट्टानों के बीच से पानी रिस रहा था जिससे यह धारा चल रही थी. अब यह रहस्य ही है कि यह पानी आखिर कहां से आ रहा है. क्योंकि इतनी बड़ी तादाद में पानी के रिसाव के लिए पानी का कोई स्रोत आसपास होना जरूरी है. या फिर हो सकता है कि यह पहाड़ बरसात का पानी अवशोषित कर लेता हो और उसे ही झरने के रूप में बाहर निकलता हो.

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बुंदेलखंड के लिए फायदेमंद: नौरादेही का जंगल लगभग 1200 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले में है. इन जंगलों में बाघ को लाने की तैयारी चल रही है. इन जंगलों में हिरण, चीतल, सांभर और जंगली सुअरों की भरमार है. इसलिए यहां टाइगर आसानी से अपना घर बना लेगा. यदि बुंदेलखंड का यह इलाका विकसित होता है तो इसका आर्थिक फायदा भी इस पिछड़े इलाके में रहने वाले लोगों को मिलेगा.

Last Updated : Sep 1, 2023, 1:13 PM IST
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