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Jabalpur Methodist Church: स्कूल की जमीन पर बिल्डर ने बना लिया था मॉल, अब राजस्व विभाग ने घोषित किया सरकारी - जबलपुर मेथोडिस्ट चर्च की जमीन सरकारी घोषित

जबलपुर में स्कूल चलाने के लिए मेथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया को दी गई जमीन को खरीदकर बिल्डर ने मॉल बना दिया. अब राजस्व विभाग ने लीज रद्द कर जमीन और मॉल को सरकारी घोषित कर दिया है. जानें क्या है पूरा मामला

jabalpur methodist church
स्कूल की जमीन पर मॉल
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Published : Mar 13, 2023, 10:31 PM IST

स्कूल की जमीन पर मॉल

जबलपुर। शहर में मेथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया को गई जमीन में मॉल बनने के बाद राजस्व विभाग ने लीज रद्द कर जमीन को सरकारी घोषित कर दिया. कलेक्ट्रेट से ठीक 100 मीटर की दूरी पर क्रिश्चियन हाई स्कूल है इस स्कूल को मेथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया नाम की संस्था संचालित करती है. इस संस्था को तकरीबन 3 एकड़ जमीन लीज पर दी गई थी. सरकार ने जब यह जमीन दी थी तब संस्था के सामने यही शर्त थी कि संस्था इस जमीन का उपयोग केवल शिक्षा के लिए करेगा लेकिन 10 साल पहले इस स्कूल की जमीन पर लगभग 24 हजार वर्ग फिट में एक मॉल खड़ा कर दिया गया.

प्रशासन की आंखें बंद: संस्था के नाम से अब यह जमीन बिल्डर के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई है. जब कलेक्ट्रेट में इसकी लीज रिन्यूअल के लिए पहुंची तो प्रशासन की आंखें खुली और उन्होंने पाया की शिक्षा के उपयोग के लिए दी गई जमीन पर अब व्यवसायिक उपयोग हो रहा है और लीज को रिन्यू करने से मना कर दिया गया. सोमवार को राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने मॉल पर अपना कब्जा जाहिर करते हुए इसे सरकारी घोषित कर दिया है. जबलपुर में मॉल दीक्षित प्राइड के नाम से जाना जाता है. इसमें 50 से ज्यादा दुकानें हैं कई ऑफिस हैं और कुछ रेजिडेंशियल फ्लैट्स भी हैं.

सरकारी जमीनों की बंदरबांट: जबलपुर में जमीन की बंदरबांट का यह पहला मामला नहीं है अब समस्या उन दुकानदारों के सामने खड़ी हो गई जिन्होंने यहां दुकानें खरीदी हैं क्योंकि जिस संस्था ने इसे बेचा था उसने पैसा इकट्ठा कर लिया. जिस बिल्डर ने दुकानदारों को बेचा था वह भी अपना पैसा लेकर किनारे हो गया. अब जिन दुकानदारों ने यहां महंगी कीमत में दुकानें खरीदी थी उनकी स्थिति ना घर की बची घाट की.

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प्रशासन पर खड़े हुए सवाल: ऐसे तो प्रशासन लोगों को अपने घरों के अंदर निर्माण कार्य करने के पहले नक्शा पास ना होने की दुहाई देते हुए काम रुकवा देता है. अब सवाल यह खड़ा होता है कि ठीक-ठीक कलेक्ट्रेट के बाजू में एक बहुमंजिला मॉल बन जाता है और किसी को कानों कान खबर तक नहीं होती. जबलपुर में है या कोई पहला मामला नहीं है इसी तरह की कई जमीन शिक्षा के नाम पर चर्च को दी गई थी और शैक्षणिक संस्थाओं ने इन सरकारी जमीनों को बिल्डरों को बेच दिया.

स्कूल की जमीन पर मॉल

जबलपुर। शहर में मेथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया को गई जमीन में मॉल बनने के बाद राजस्व विभाग ने लीज रद्द कर जमीन को सरकारी घोषित कर दिया. कलेक्ट्रेट से ठीक 100 मीटर की दूरी पर क्रिश्चियन हाई स्कूल है इस स्कूल को मेथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया नाम की संस्था संचालित करती है. इस संस्था को तकरीबन 3 एकड़ जमीन लीज पर दी गई थी. सरकार ने जब यह जमीन दी थी तब संस्था के सामने यही शर्त थी कि संस्था इस जमीन का उपयोग केवल शिक्षा के लिए करेगा लेकिन 10 साल पहले इस स्कूल की जमीन पर लगभग 24 हजार वर्ग फिट में एक मॉल खड़ा कर दिया गया.

प्रशासन की आंखें बंद: संस्था के नाम से अब यह जमीन बिल्डर के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई है. जब कलेक्ट्रेट में इसकी लीज रिन्यूअल के लिए पहुंची तो प्रशासन की आंखें खुली और उन्होंने पाया की शिक्षा के उपयोग के लिए दी गई जमीन पर अब व्यवसायिक उपयोग हो रहा है और लीज को रिन्यू करने से मना कर दिया गया. सोमवार को राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने मॉल पर अपना कब्जा जाहिर करते हुए इसे सरकारी घोषित कर दिया है. जबलपुर में मॉल दीक्षित प्राइड के नाम से जाना जाता है. इसमें 50 से ज्यादा दुकानें हैं कई ऑफिस हैं और कुछ रेजिडेंशियल फ्लैट्स भी हैं.

सरकारी जमीनों की बंदरबांट: जबलपुर में जमीन की बंदरबांट का यह पहला मामला नहीं है अब समस्या उन दुकानदारों के सामने खड़ी हो गई जिन्होंने यहां दुकानें खरीदी हैं क्योंकि जिस संस्था ने इसे बेचा था उसने पैसा इकट्ठा कर लिया. जिस बिल्डर ने दुकानदारों को बेचा था वह भी अपना पैसा लेकर किनारे हो गया. अब जिन दुकानदारों ने यहां महंगी कीमत में दुकानें खरीदी थी उनकी स्थिति ना घर की बची घाट की.

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प्रशासन पर खड़े हुए सवाल: ऐसे तो प्रशासन लोगों को अपने घरों के अंदर निर्माण कार्य करने के पहले नक्शा पास ना होने की दुहाई देते हुए काम रुकवा देता है. अब सवाल यह खड़ा होता है कि ठीक-ठीक कलेक्ट्रेट के बाजू में एक बहुमंजिला मॉल बन जाता है और किसी को कानों कान खबर तक नहीं होती. जबलपुर में है या कोई पहला मामला नहीं है इसी तरह की कई जमीन शिक्षा के नाम पर चर्च को दी गई थी और शैक्षणिक संस्थाओं ने इन सरकारी जमीनों को बिल्डरों को बेच दिया.

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