जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के संबंध में दायर 63 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जस्टिस शील नागू व जस्टिस वीरेंद्र सिंह युगलपीठ द्वारा सुनवाई की गयी. याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि प्रकरण में सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल पक्ष रखेंगे. युगलपीठ ने याचिकाओं पर अगली सुनवाई 13 फरवरी को निर्धारित की है.
आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हुई: ईओडब्ल्यू आरक्षण व प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किये जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गयी थी. याचिका की अंतिम सुनवाई के दौरान विपक्ष में दायर याचिका पर पक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है. समर्थन में दायर याचिका पर पक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान ओबीसी आरक्षण के समर्थन में युगलपीठ को बताया गया था कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी मामले में पारित आदेश का हवाला देते हुए ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने को चुनौती दी गयी है. विपक्ष में दायर याचिकाओं में कहा गया है ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो जायेगी. सर्वोच्च न्यायालय ने ईओडब्ल्यू आरक्षण को उचित करार दिया है. जिसके कारण आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गयी है.
साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता रखेंगे पक्ष: उच्च न्यायालय ने कई भर्तियों में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत लागू करने पर स्थगन आदेश पारित किया है. जिसके कारण पीएससी, शिक्षकों सहित अन्य भर्तियां रूकी हुई है. याचिकाओं पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सरकार की तरफ से साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता को पक्ष रखना है. उनकी अनुपस्थिति के कारण सरकार ने याचिका पर सुनवाई बढ़ाने का आग्रह किया. जिसे स्वीकार करते हुए उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ताओं की तरफ से आदित्य संघी और शासन की तरफ से विशेष अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह मौजूद हुए.