जबलपुर। दहेज प्रताड़ना,क्रूरता सहित अन्य धाराओं के तहत पति को मिली जमानत रद किये जाने के मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस आनंद पाठक ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों पक्ष आपसी सुलह करना चाहते है. एकलपीठ ने मध्यस्था में मामले से आपसी सुलह के निर्देश जारी किये है. (Dowry harassment case)
पत्नी ने दायर की थी याचिकाः याचिकाकर्ता शबनूर बानो की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसका पति मोहम्मद अरशद हुसैन दहेज के लिए उसके साथ क्रूरता करता था. पति ने उसके जेवर व अन्य सामान भी रख लिए हैं. प्रताड़ना से तंग होकर उसने पति के खिलाफ महिला थाने जबलपुर में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. पुलिस ने पति के खिलाफ धारा 498 ए,506,406 सहित दहेज निषेध अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया था. पति को न्यायालय से मिली जमानत को निरस्त किये जाने की मांग याचिका में की गयी थी. (Petition was filed by the wife)
दोनों पक्षों को दिया 45 दिन का समयः एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों पक्ष आपसी समझौते के लिए तैयार है. एकलपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता हेमंत श्रीवास्तव को मध्यस्थ नियुक्त करते हुए आदेश जारी किये है कि दोनों पक्ष 16 जनवरी को उनके समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखें. इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता मध्यस्था कार्यवाही के लिए स्वतंत्र है. एकलपीठ ने मध्यस्थता के लिए 45 दिन का समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 27 फरवरी को निर्धारित की है. (Court gave 45 days for mutual reconciliation)
शिक्षक भर्ती याचिका पर कोर्ट ने जारी किया नोटिसः अदालत ने एक अन्य खबर के अनुसार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जीव विज्ञान विषय की उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दी है. जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने प्रमुख्य सचिव शिक्षा विभाग, प्रमुख सचिव कल्याण विभाग, कमिश्नर डीपीआई, कमिश्नर आदिम जाति विभाग नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए. (Court issues notice on teacher recruitment petition)
सेकेंड न आने पर नियुक्ति रद कर दी थीः प्रदीप अहिरवार की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं अंजनी कोरी ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि 2018 में शिक्षक पात्रता परीक्षा के बाद एनसीटीई के प्रावधानों के विरुद्ध नियम बनाकर संबंधित विषय में द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की पात्रता रखी गई. जबकि ट्रायबल विभाग एवं एनसीटीई के नियम स्पष्ट हैं कि 2007 के रेग्युलेशन के तहत अभ्यर्थी को बीएड डिग्री तथा संबंधित विषय में उत्तीर्ण होना चाहिए. याचिकाकर्ता द्वारा वर्ष 2000 में जीव विज्ञान विषय में एमएससी 46 प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण की तथा 2007 में बीएड परीक्षा पास की गई थी. इसके बाद वर्ष 2018 की पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की थी. विज्ञान विषय में उसका चयन उच्च शिक्षक के रूप में हुआ था. चयन के उपरांत डीपीआई द्वारा याचिकाकर्ता की नियुक्ति यह कहते हुए निरस्त कर दी संबंधित विषय में वह द्वितीय श्रेणी मे उत्तीर्ण नहीं है. (Appointment was canceled for non-availability of second)