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रिटायरमेंट नहीं करते हुए 2 साल तक कराया काम, फिर जारी किए रिकवरी के आदेश, अब HC ने लगाया PWD पर जुर्माना

लोक निर्माण विभाग (PWD) में टाइमकीपर के पद पर कार्यरत कर्मचारी को तय समय पर रिटायर्ड करने की बजाय उससे दो साल तक अतिरिक्त काम करवाया गया. इसके बाद वेतन से 50 प्रतिशत की रिकवरी के आदेश भी जारी कर दिए गए. अब इस मामले में हाई कोर्ट ने रिकवरी आदेश को निरस्त कर दिया है और PWD पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

Jabalpur News
जबलपुर हाई कोर्ट
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Published : Apr 3, 2023, 8:14 AM IST

जबलपुर। हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने PWD के रिकवरी आदेश को निरस्त करते हुए विभाग पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. दरअसल, लोक निर्माण विभाग में टाइमकीपर के पद पर कार्यरत कर्मचारी को रिटायर्ड करने की बजाय उससे दो साल तक काम करवाया गया. लापरवाही का खुलासा हुआ तो उसके वेतन से 50 प्रतिशत की रिकवरी के आदेश जारी कर दिए गए. इस आदेश के खिलाफ पीड़ित कर्मचारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपना पक्ष स्वयं रखा. मामले पर फैसला सुनाते हुए एकलपीठ ने रिकवरी आदेश को खारिज करते हुए जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को देने को कहा है.

ये है मामलाः सीधी निवासी शिवचरित्र तिवारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह लोक निर्माण विभाग में टाइमकीपर के पद पर कार्यरत था. विभाग की गलती के चलते उसे 2007 की जगह 2009 में सेवानिवृत्त किया गया. इसके बाद 11 सितंबर 2013 को नेशनल हाइवे जोन भोपाल के चीफ इंजीनियर ने दो वर्ष अतिरिक्त सेवाकाल के दौरान मिले वेतन से 50 फीसदी कटौती का आदेश जारी कर दिया.

ग्वालियर से जुड़ी खबरें...

रिकवरी आदेश खारिजः इस आदेश के खिलाफ तिवारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि जब याचिकाकर्ता ने दो वर्ष तक काम किया है तो उससे रिकवरी नहीं की जा सकती. कर्मचारी को समय पर रिटायर नहीं करना विभागीय अधिकारियों की गलती है. एकलपीठ ने रिकवरी आदेश को खारिज करते हुए पीडब्ल्यूडी पर 10 हजार रुपए की कॉस्ट लगाते हुए कहा है कि यह राशि भी दोषी अधिकारियों से वसूल की जानी चाहिए थी.

जबलपुर। हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने PWD के रिकवरी आदेश को निरस्त करते हुए विभाग पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. दरअसल, लोक निर्माण विभाग में टाइमकीपर के पद पर कार्यरत कर्मचारी को रिटायर्ड करने की बजाय उससे दो साल तक काम करवाया गया. लापरवाही का खुलासा हुआ तो उसके वेतन से 50 प्रतिशत की रिकवरी के आदेश जारी कर दिए गए. इस आदेश के खिलाफ पीड़ित कर्मचारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपना पक्ष स्वयं रखा. मामले पर फैसला सुनाते हुए एकलपीठ ने रिकवरी आदेश को खारिज करते हुए जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को देने को कहा है.

ये है मामलाः सीधी निवासी शिवचरित्र तिवारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह लोक निर्माण विभाग में टाइमकीपर के पद पर कार्यरत था. विभाग की गलती के चलते उसे 2007 की जगह 2009 में सेवानिवृत्त किया गया. इसके बाद 11 सितंबर 2013 को नेशनल हाइवे जोन भोपाल के चीफ इंजीनियर ने दो वर्ष अतिरिक्त सेवाकाल के दौरान मिले वेतन से 50 फीसदी कटौती का आदेश जारी कर दिया.

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रिकवरी आदेश खारिजः इस आदेश के खिलाफ तिवारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि जब याचिकाकर्ता ने दो वर्ष तक काम किया है तो उससे रिकवरी नहीं की जा सकती. कर्मचारी को समय पर रिटायर नहीं करना विभागीय अधिकारियों की गलती है. एकलपीठ ने रिकवरी आदेश को खारिज करते हुए पीडब्ल्यूडी पर 10 हजार रुपए की कॉस्ट लगाते हुए कहा है कि यह राशि भी दोषी अधिकारियों से वसूल की जानी चाहिए थी.

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