जबलपुर। रीवा सीजेएम कोर्ट में एनआई 138 के तहत लंबित कार्यवाही को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि उसने कंपनी के नाम का चेक दिया था. हाईकोर्ट जस्टिस डी के पालीवाल की एकलपीठ सीजेएम कोर्ट में लंबित कार्यवाही को रद करते हुए अपने आदेश में कहा है कि एनआई की धारा 41 के तहत कंपनी को आरोपी बनना आवश्यक है. (Case of check bounce court canceled proceedings)
जाने क्या था मामलाः जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ता अनिल कुमार लोहरिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह नवभारत बिल्डकॉन प्राईवेट लिमिटेड कॉस्ट्रेक्शन कंपनी में काम करता था. अनावेदक राम लाल गुप्ता ने अपने जीवन काल में कंपनी के साथ काम किया था. कंपनी ने इसके एवज में जनवरी 2014 को राम लाल को 3 लाख 40 हजार रुपये का चेक दिया था. खाते में प्रर्याप्त राशि नहीं होने के कारण चेक बाउंस हो गया था. उसने इसके खिलाफ सीजेएफ कोर्ट रीवा में क्रिमनल शिकायत दायर की है,जो लंबित थी. याचिका में कहा गया था कि उसने कंपनी का चेक दिया था. इसलिए कंपनी के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अनावेदक ने इस बाद का उल्लेख नहीं किया है कि याचिकाकर्ता ने किस हैसियत से उसे कंपनी का चेक जारी किया था. एनआई की धारा 41 के तहत चेक बाउंस के मामले में कंपनी को आरोपी बनाना आवश्यक है. एकलपीठ ने लंबित क्रिमनल कम्पलेंट को रद करते हुए अनावेदक के बारिसजनों को उसकी कानूनी कार्यवाही की स्वतंत्रता प्रदान की है. (Court canceled proceedings pending in lower court)