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कोरोना मरीजों के नाम सार्वजनिक करने की याचिका खारिज, जबलपुर हाईकोर्ट का फैसला - कोरोना मरीजों के नाम सार्वजनिक

सुरक्षा और सतर्कता की दृष्टि से कोरोना मरीजों के नाम सार्वजनिक किए जाने वाली याचिका जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस संजय यादव और विशाल धगट की युगल पीठ ने खारिज कर दी है.

Jabalpur High Court
जबलपुर हाइकोर्ट
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Published : May 28, 2020, 6:34 PM IST

जबलपुर। सुरक्षा और सतर्कता की दृष्टि से कोरोना मरीजों के नाम सार्वजनिक किए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जबलपुर हाईकोर्ट जस्टिस संजय यादव और विशाल धगट की युगल पीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि केंद्र सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी का परिपालन करते हुए प्रदेश शासन ने उक्त आदेश पारित किए हैं. जिसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया. जिसे स्वीकार करते हुए युगल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया.

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से उक्त याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि प्रदेश सरकार ने हाल में ही एक आदेश जारी किया है कि कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाएं, इस आदेश का परिपालन करते हुए पूरे प्रदेश में कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्तियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं.

याचिका में कहा गया था कि सुरक्षा और सतर्कता की दृष्टि से कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए. पीड़ित व्यक्ति का नाम सार्वजनिक करने से उसके संपर्क में आए व्यक्ति सतर्क हो जाएंगे.

याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि प्रदेश सरकार द्वारा उक्त आदेश कोरोना के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के परिपालन में लिया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य है कि वह भय और चिंता का माहौल निर्मित ना हो. इसके अलावा शत्रुता, अराजकता, समाजिक अलगाव का माहौल निर्मित नहीं हो,

युगलपीठ ने याचिकाकर्ता की मांग अमान्य करने हुए कॉस्ट लगाने की बात कही. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने याचिका वापस लेने का आग्रह किया. जिसे स्वीकार करते हुए युगल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अधिवक्ता ए रामेश्वर राव ने पैरवी की.

जबलपुर। सुरक्षा और सतर्कता की दृष्टि से कोरोना मरीजों के नाम सार्वजनिक किए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जबलपुर हाईकोर्ट जस्टिस संजय यादव और विशाल धगट की युगल पीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि केंद्र सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी का परिपालन करते हुए प्रदेश शासन ने उक्त आदेश पारित किए हैं. जिसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया. जिसे स्वीकार करते हुए युगल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया.

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से उक्त याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि प्रदेश सरकार ने हाल में ही एक आदेश जारी किया है कि कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाएं, इस आदेश का परिपालन करते हुए पूरे प्रदेश में कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्तियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं.

याचिका में कहा गया था कि सुरक्षा और सतर्कता की दृष्टि से कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए. पीड़ित व्यक्ति का नाम सार्वजनिक करने से उसके संपर्क में आए व्यक्ति सतर्क हो जाएंगे.

याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि प्रदेश सरकार द्वारा उक्त आदेश कोरोना के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के परिपालन में लिया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य है कि वह भय और चिंता का माहौल निर्मित ना हो. इसके अलावा शत्रुता, अराजकता, समाजिक अलगाव का माहौल निर्मित नहीं हो,

युगलपीठ ने याचिकाकर्ता की मांग अमान्य करने हुए कॉस्ट लगाने की बात कही. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने याचिका वापस लेने का आग्रह किया. जिसे स्वीकार करते हुए युगल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अधिवक्ता ए रामेश्वर राव ने पैरवी की.

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