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जमीन बेचने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले को अग्रिम जमानत नहींः हाईकोर्ट

जबलपुर हाईकोर्ट ने जमीन जमीन बेचने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.

High Court
हाईकोर्ट
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Published : Jan 24, 2021, 3:23 AM IST

जबलपुर। जमीन बेचने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट जस्टिस वीके श्रीवास्तव की एकलपीठ ने खारिज कर दी है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि समझौते के बाद भी आरोपियों ने रकम वापस नहीं लौटाई है.याचिकाकर्ताओं का इरादा उचित नहीं है.इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है.

जमीन बेचने के नाम पर धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किये गये. अपराधिक प्रकरण में अग्रिम जमानत के लिए शुभम सिंह तोमर व रामदास साहू ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि सिविल प्रकरण होने के बावजूद भी भोपाल के अयोध्या नगर थाने में उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया है. याचिकाकर्ता शुभम ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किये थे.

जमानत याचिका का विरोध करते हुए सरकार की तरफ से बताया गया कि याचिकाकर्ताओं ने भारतीय सेना में पदस्थ शिकायतकर्ता व उसके भाई से जमीन का विक्रय-पत्र निष्पादित करते हुए रूपये लिये थे. परंतु कब्जा नहीं दिया. इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने दूसरी जमीन शिकायतकर्ताओं को प्रदान कर दी. शिकायतकर्ता उक्त जमीन में मकान बनाने लगे से निरंजन नामक व्यक्ति ने आपत्ति व्यक्त करते हुए खुद को भूमि स्वामी बताया. जिसके बाद दोनों के बीच अगस्त में राशि वापस करने का समझौता हुआ. समझौते के बाद भी राशि नहीं लौटाने पर पीड़ित पक्ष ने अक्टूबर माह में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया.सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अधिवक्ता संजीव कुमार सिंह ने पक्ष रखा.

जबलपुर। जमीन बेचने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट जस्टिस वीके श्रीवास्तव की एकलपीठ ने खारिज कर दी है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि समझौते के बाद भी आरोपियों ने रकम वापस नहीं लौटाई है.याचिकाकर्ताओं का इरादा उचित नहीं है.इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है.

जमीन बेचने के नाम पर धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किये गये. अपराधिक प्रकरण में अग्रिम जमानत के लिए शुभम सिंह तोमर व रामदास साहू ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि सिविल प्रकरण होने के बावजूद भी भोपाल के अयोध्या नगर थाने में उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया है. याचिकाकर्ता शुभम ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किये थे.

जमानत याचिका का विरोध करते हुए सरकार की तरफ से बताया गया कि याचिकाकर्ताओं ने भारतीय सेना में पदस्थ शिकायतकर्ता व उसके भाई से जमीन का विक्रय-पत्र निष्पादित करते हुए रूपये लिये थे. परंतु कब्जा नहीं दिया. इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने दूसरी जमीन शिकायतकर्ताओं को प्रदान कर दी. शिकायतकर्ता उक्त जमीन में मकान बनाने लगे से निरंजन नामक व्यक्ति ने आपत्ति व्यक्त करते हुए खुद को भूमि स्वामी बताया. जिसके बाद दोनों के बीच अगस्त में राशि वापस करने का समझौता हुआ. समझौते के बाद भी राशि नहीं लौटाने पर पीड़ित पक्ष ने अक्टूबर माह में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया.सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अधिवक्ता संजीव कुमार सिंह ने पक्ष रखा.

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