जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने कोरोना काल में भोपाल में दो हजार लोगों के सम्मेलन की अनुमति दिये जाने को चुनौती देेने वाले मामले को काफी सख्ती से लिया है. दायर मामले में कहा गया था कि कोरोना संक्रमण के कारण राज्य चुनाव आयोग ने नगरीय निकाय के चुनाव स्थगित करने के आदेश जारी किये थे. इसके ठीक दो दिन बाद एसडीएस ने दो हजार लोगों का सम्मेलन करने की अनुमति प्रदान कर दी थी. चीफ जस्टिस मोह. रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आयोजन समिति के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. इसके साथ ही युगलपीठ ने पुलिस अधीक्षक भोपाल को सम्मेलन की पूरी वीडियों रिकार्डिंग पेश करने के निर्देश दिये हैं, ताकि सत्यता की जांच की जा सके. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 21 जून को निर्धारित की है.
क्या है पूरा मामला
जनहित का मामला वकील सुनील कुमार पटेल की ओर से दायर किया गया है. जिसमें कहा गया है कि दिगम्बर जैन सोशल वेलफेयर सोसायटी ने भोपाल के भेल दशहरा मैदान में 3 जनवरी को सम्मेलन की अनुमति के लिए आवेदन किया था. सम्मेलन में तीन हजार लोगों की उपस्थिति की अनुमति चाही गयी थी. एसडीएम निशांतपुरा ने गोविंदापुरा पुलिस थाने की राय के बाद 28 दिसम्बर को सम्मेलन और दो हजार लोगों की उपस्थिति की अनुमति दे दी. याचिका में कहा गया था कि 26 दिसम्बर को कोरोना संक्रमण के कारण नगरीय निकाय चुनाव टालने के आदेश राज्य चुनाव आयोग ने जारी किये थे. इसके बावजूद भी एसडीएम ने कोरोना काल में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति की अनुमति दे दी. कोरोना काल में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति की अनुमति पूरे देश में कहीं भी नहीं दी गई. जिसके कारण कोरोना संक्रमण और फैला. याचिका में मांग की गयी है कि अनुमति देने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाये. याचिका में केन्द्र और राज्य सरकार सहित डीजीपी, एसडीएम निशांतपुरा और थाना प्रभारी गोविंदपुरा को पक्षकार बनाया गया है.