जबलपुर। संस्कारधानी में करोड़ों रुपए खर्च करके शेयरिंग साइकिल की सेवा शुरू की गई. लेकिन अब ये प्रोजेक्ट बंद हो गया. जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, जबलपुर नगर निगम और जबलपुर स्मार्ट सिटी कंपनी के खिलाफ नोटिस जारी किए हैं. इन सभी से 4 हफ्तों में जवाब मांगा है.
क्या अब ट्रैफिक-हेल्थ-पॉल्यूशन की चिंता नहीं ?
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित जबलपुर नगर निगम और स्मार्ट सिटी से पूछा है कि आखिर इस प्रोजेक्ट को बंद करके जनता के पैसों की बर्बादी क्यों की गई..? क्यों ना प्रोजेक्ट फिर से शुरु किया जाए..? मामले पर जबलपुर के एक समाजसेवा रजत भार्गव ने जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया है कि शहरी ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्या सुलझाने के साथ-साथ लोगों को फिट रखने के लिए ही शेयरिंग साइकिल हेक्सी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था.
45 करोड़ पानी में
हेक्सी शेयरिंग साइकिल के इस प्रजोक्ट में 45 करोड़ रुपए खर्च कर शहर में 45 डॉकिंग स्टेशन बनाए गए थे. लोग मामूली खर्च पर एक स्टेशन से साइकिल लेकर दूसरे स्टेशन पर ड्रॉप कर सकते थे. इसके लिए जबलपुर स्मार्ट सिटी ने करोड़ों की लागत से एनएमटी यानी साइकिलें चलाने के लिए शहर में नॉन मोटरइज्ड ट्रैक भी बनवाए थे.
16 फरवरी को अगली सुनवाई
अब इन ट्रैक्स पर अतिक्रमण हो गया है. लोग दुकानें लगा रहे हैं. कहीं-कहीं तो रैलिंग ही गायब है. इसके बाद ये प्रोजेक्ट भी बंद कर दिया गया. जनहित याचिका में ये मांग की गई है कि जबलपुर में इस प्रोजेक्ट फिर से शुरु किया जाए. मामले में अगली सुनवाई 16 फरवरी को की जाएगी.