जबलपुर। जिले में देव दूत बनकर आए छटवीं बटालियन के एएसआई और आरक्षक ने सीपीआर देकर जीआरपी के एसआई की जान बचाई. इसका वीडियो अब सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. अब दोनों देव दूतों की जमकर तारीफ हो रही है. घटना जीआरपी पुलिस लाइन ग्राउंड की 19 जनवरी सुबह 7 बजे की बताई जा रही है.
ऐसे बची जान: जीआरपी के द्वारा योग प्रशिक्षण का कार्यक्रम किया गया था. प्रशिक्षण खत्म होने के बाद सभी जवान अपने अपने घरों के लिए रवाना हो रहे थे, तभी साइकिल स्टैंड के पास जीआरपी में पदस्थ सहायक उपनिरीक्षक कैलाश दाहिया को हार्ट अटैक आ गया. वह मूर्छित होकर गिर पड़े. उसी दौरान PTS छठवीं बटालियन SAF में पदस्थ एएसआई भैयालाल और आरक्षक सुरेंद्र कुमार की नजर कैलाश दहिया पर पड़ी. देखा कि कैलाश मूर्छित पड़े हुए थे. जिसके बाद भैयालाल और सुरेंद्र ने 10 मिनट तक हार्ट पम्पिंग की तो एसआई कैलास को होश आया गया. जिसके बाद तुरंत एसआई को पुलिस के वाहन से अस्पताल पहुंचाया. अब हालत स्थिर है.
CPR देकर बचाएं: हार्ट अटैक के दौरान तो बचने की संभावनाएं अधिक होती हैं, ऐसे में समय रहते अगर मरीज को उपचार नहीं मिला. तो मरीज की जान चली जाती है. कई बार सुविधाओं के अभाव में समय पर उपचार नहीं मिलता पाता. ऐसे में इमरजेंसी के दौरान कार्डियक अरेस्ट के शिकार मरीज को समय रहते CPR देकर बचाया जा सकता है. दरअसल, कार्डियक अरेस्ट एक ऐसी मेडिकल इमरजेंसी कंडिशन है. जिसमें हार्ट अचानक काम करना या धड़कना बंद कर देता है. ऐसे में अगर आसपास खड़ा कोई व्यक्ति ऐंबुलेंस आने से पहले पीड़ित व्यक्ति को सीपीआर दे दे तो मरीज की जान बच सकती है.
ये है सीपीआर: कार्डियोपल्मोनरी रेसेसेटेशन (CPR) एक तरह की (chest) की मसाज प्रक्रिया है. इसके तहत मरीज को आर्टिफिशल तरीके से ऑक्सिजन दिया जाता है, ताकि ब्रेन को ऑक्सिजन मिलता रहे. डॉक्टरों ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट के समय सीपीआर से मरीज के बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है. क्योंकि 3 मिनट तक ब्रेन को ऑक्सिजन नहीं मिला, तो ब्रेन काम करना बंद कर देता है. कार्डियक अरेस्टके दैरान दिल की गति अचानक से एकदम थम जाती है.
सीपीआर की जरूरत कब: हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट दोनों अलग-अलग समस्याएं हैं. हालांकि हार्ट अटैक के ठीक बाद या रिकवरी के बाद कार्डियक अरेस्ट हो सकता है. वैसे तो कार्डियक अरेस्ट होने से पहले कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, यह एक मेडिकल इमरजेंसी है. फिर भी आपके सामने किसी को यह समस्या हो जाए. तो उसे तुरंत सीपीआर देकर बचाने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं. कोई भी इंसान अगर अचानक से गिर जाए और पूरी तरह अचेतन अवस्था में चला जाए, हृदय की गतिविधियां बंद होने के साथ ही शरीर से कोई प्रतिक्रिया न मिले, तो उसे सीपीआर देना चाहिए. डॉक्टरों ने बताया कि हार्ट अटैक के दौरान बचने की संभावना 90 प्रतिशत से अधिक होती है, जबकि कार्डियक अरेस्ट में यह बेहद कम है.
ऐसे दें सीपीआर: रिटायर्ड सीबीएमओ डॉक्टर प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि, सीपीआर एक बेहद आसान तरीका है. इसे कोई भी कर सकता है. सीपीआर की जरूरत होने पर सबसे पहले मेडिकल इमरजेंसी के लिए कॉल कर दें. जब तक स्वास्थ सेवाएं पहुंचे, सीपीआर शुरू कर देना चाहिए.
- मरीज को एकदम समतल और कठोर जगह पर लेटा दें, ध्यान रहे यह सब आपको बहुत जल्दी करना है.
- लेटाने के बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा कर मरीज के चेस्ट को कम-कम अंतराल के बाद दबाना चाहिए.
- सामान्य हार्ट बीट 60-100 होती है. ऐसे में कोशिश करें कि 1 मिनट में 60 बार मरीज की छाती को दबाएं.
- बीच-बीच में उसकी नाक को बंद करके तेजी से उसके मुंह में फूंक मारें.
- इस प्रक्रिया में आपका तेज-तेज से छाती को दबाना जरूरी है.
- सीने को इतनी तेजी से दबाना है कि, हर बार सीना करीब डेढ़ इंच नीचे जाए.