जबलपुर। जिमें में जीआरपी पुलिस ने अपने ही एक आरक्षक के साथ हुई ठगी के मामले में राजस्थान भरतपुर से एक आरोपी को हिरासत में लिया है. इस पूरे घटनाक्रम में सबसे गंभीर बात यह है कि जीआरपी के पुलिस कर्मी के साथ साइबर ठगी की घटना घटी थी. उसकी शिकायत जबलपुर की सिविल लाइन पुलिस ने दर्ज तक नहीं की. पीड़ित ने जब अपने ही साथी पुलिस अधिकारियों को आप बीती सुनाई तब जाकर पीड़ित को न्याय मिल सका.
ऑनलाइन ठगी का शिकार पुलिस वाला हुआ परेशान: जबलपुर जीआरपी के पुलिस आरक्षक व्यास सिंह किसान बीते दिनों एक ऑनलाइन ठगी हुई थी. व्यास सिंह ने बताया था कि उनके पास एक फोन आया था. जिसमें उनकी एक रिश्तेदार ने उनसे मात्र 10 मिनट के लिए ₹52000 मांगे थे. सिंह को अंदाजा नहीं था कि यह फर्जी कॉल है और उन्होंने पैसा ट्रांसफर कर दिया, लेकिन 10 मिनट बाद जब पैसा वापस नहीं आया तो व्यास सिंह ने अपने रिश्तेदार को फोन लगाया. रिश्तेदार ने बताया कि उनके पास कोई पैसा नहीं आया और ना ही उन्होंने आपको फोन लगाया. पुलिस आरक्षक व्यास सिंह को तब तक यह समझ में आ गया था कि उनके साथ ठगी हो गई है.
पुलिसकर्मी पहुंचा एसपी ऑफिस: घटना के तुरंत बाद व्यास सिंह ने जबलपुर के सिविल लाइन थाने में शिकायत करने पहुंचे, लेकिन जीआरपी पुलिस आरक्षक की शिकायत सिविल लाइन थाने ने नहीं लिखी. पीड़ित ने अपने साथ हुई घटना की शिकायत लिखवाने के लिए एसपी ऑफिस के कई चक्कर लगाए. उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई. ऐसी स्थिति में जीआरपी पुलिस ने ही उनकी मदद की और जबलपुर जीआरपी पुलिस ने अपने ही आरक्षक के आवेदन को स्वीकार कर फिर शिकायत दर्ज की.
पुलिस की गिरफ्त में ठग: जबलपुर जीआरपी पुलिस की पुलिस इंस्पेक्टर शशि धुर्वे ने बताया कि "उन्होंने साइबर थाने की मदद लेकर उस फोन कॉल का डिटेल निकाला तो पता लगा कि भरतपुर में एक ठग ने व्यास सिंह को फोन लगाया था. उसे ठग तक पुलिस को पहुंचने में 7 दिन लगे. 7 दिनों तक जबलपुर जीआरपी के अधिकारी भरतपुर में रहे. इसके बाद ठग मुसद खान पुलिस की गिरफ्त में आया. उसने बताया कि वह पहले ट्रक ड्राइवर था, लेकिन काम बंद होने के बाद उसने ठगी का कारोबार शुरू किया था. उसे पता नहीं था कि वह जिसे ठग रहा है, वह पुलिस वाला है. जीआरपी पुलिस ने ठग से ₹30000 भी बरामद किया. अब मुसेद खान की कॉल डिटेल निकाली जा रही है, कि उसने व्यास सिंह के अलावा और किसको ठगा है.