जबलपुर। मध्यप्रदेश में किसानों के कर्ज को लेकर बीजेपी व कांग्रेस नेता लगातार सियासी बयानबाजी कर एक-दूसरे को घेरते रहते हैं. लेकिन हकीकत ये है कि किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है. कर्ज तले दबे एक और किसान का परिवार तबाह हो गया. मामला जबलपुर का है. धर्मेंद्र पटेल और उसकी पत्नी संध्या पटेल 28 जून से गायब थे. दोनों अपनी बाइक से घर से निकले थे. लेकिन फिर घर नहीं पहुंचे. जब तलाश की गई तो भेड़ाघाट के धुआंधार के पास धर्मेंद्र पटेल की बाइक बरामद हुई.
नर्मदा नदी में तैरते मिले शव : बाइक लावारिस मिलने से अंदेशा हुआ कि कहीं दोनों नर्मदा के आसपास हैं. इसके बाद दोनों की खोजबीन नर्मदा के तट पर शुरु हुई, दोनों के नहीं मिलने पर गोताखोरों को बुलाया गया. इसी आधार पर जांच पड़ताल की गई तो दोनों के शव 5 जून को नर्मदा नदी में तैरते हुए मिले. पुलिस द्वारा दोनों शवों को नर्मदा से निकाला गया और इनकी शिनाख्त कराई गई. दोनों की शिनाख्त धर्मेंद्र पटेल और संध्या पटेल के रूप में हुई. इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. जांच के दौरान पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी मिला. इसमें बैंक से कर्ज लेने की बात लिखी हुई है.
सरकारी बैंक से लिया 15 लाख कर्ज : वहीं परिजनों का कहना है कि यूनियन बैंक से 2 कर्मचारी कुछ दिनों पहले घर पहुंचे थे. जिसके बाद से पति-पत्नी वह बहुत परेशान चल रहे थे. अब तक हुई जांच में किसान के कर्ज से परेशान होना पाया गया है. जानकारी के मुताबिक किसान धर्मेंद्र पटेल ने यूनियन बैंक से करीब 15 लाख का कर्ज लिया था. मृतक के पिता का कहना है कि बैंक से कर्ज की जानकारी उन्हें नहीं थी.
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दोनों 28 जून से थे लापता : पिता का कहना है कि बैंक के कर्मचारी जब घर आए,तब उन्हें कर्ज का पता चला. हालांकि इस दौरान उनके बेटे और बहू का व्यवहार सामान्य था. लेकिन अचानक 28 जून को दोनों लापता हो गए. वहीं, टीआई भेड़ाघाट शफीक खान का कहना है कि बैंक से कर्ज लेने की बात सामने आ रही है. बैंक के संबंधित अधिकारी कर्मचारियों से पूछताछ की जाएगी, इसके बाद ही मौत की वजह स्पष्ट हो सकेगी.