जबलपुर। संजीवनी नगर, विजय नगर और स्नेह नगर जैसी मुख्य बड़ी कॉलोनी के लोगों ने एमपी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा कर दी है. लोगों ने घरों के बाहर बहिष्कार की वजह का पोस्टर भी लटका दिया है. इन कॉलोनी के लोगों का कहना है कि "उनके साथ धोखा हुआ है और इस धोखे की वजह भी पूरी तरह से सरकार है. इसलिए वह आने वाले चुनाव में वोट नहीं डालेंगे. सीलिंग हटाओ और वोट पाओ. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिनों मध्य प्रदेश की 2700 से ज्यादा कॉलोनी को अवैध से वैध घोषित कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ जबलपुर विकास प्राधिकरण की कॉलोनियां अवैध घोषित हो गई है.
निजी जमीन को सरकारी घोषित किया: स्नेह नगर निवासी दिलीप कुमार नेमा ने बताया कि "उनके पिता ने 1990 के दशक में जबलपुर विकास प्राधिकरण की स्नेह नगर कॉलोनी में एक प्लॉट खरीदा था. उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि जबलपुर विकास प्राधिकरण से खरीदा हुआ प्लॉट कागजादों में पूरी तरह से दुरुस्त होगा. लेकिन उन्हें जानकारी लगी की जबलपुर विकास प्राधिकरण के सभी प्लॉटों के खसरों में सीलिंग प्रभावित लिख दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि यह जमीन सीलिंग एक्ट से प्रभावित है और ऐसी जमीनों का ना तो ट्रांसफर हो सकता है ना इन्हें बेचा जा सकता है ना खरीदा जा सकता है.
तत्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज का काम: दिलीप की मां की तरह ही इस कॉलोनी के दूसरे लोगों ने भी जब अपने कागजात दुरुस्त कराए तो उन सभी की जमीनों को सीलिंग प्रभावित घोषित कर दिया गया. उन्हें बताया गया कि 2019 में तत्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज ने जबलपुर विकास प्राधिकरण की इन तीन कॉलोनी की जमीनों को सीलिंग प्रभावित घोषित कर दिया है. इन लोगों ने जब इस सीलिंग को हटाने के लिए राजस्व अधिकारियों से बात की तो पता चला कि इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया है और राजस्व अधिकारियों को रिश्वत का पैसा भी देना होगा. तब जाकर यह सीलिंग एक्ट हट पायेगी.
जेडीए की सफाई: इस मुद्दे पर हमने जबलपुर विकास प्राधिकरण के सीईओ दीपक कुमार वैद्य से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी कुछ दिन पहले ही विकास प्राधिकरण का प्रभाव संभाला है. इस मुद्दे पर उन्होंने राजस्व अधिकारियों से बात की तो उनको बताया गया कि रिकॉर्ड दृष्टि के समय इसमें सीलिंग प्रभावित लिख दिया गया है. अब यह प्रक्रिया के माध्यम से ही खत्म किया जा सकता है. इसलिए इसमें समय लगेगा और जबलपुर विकास प्राधिकरण को राजस्व विभाग के साथ बाकायदा एक केस के जरिए इसे खत्म करवाना होगा.
बुजुर्ग हुए परेशान: स्नेह नगर कॉलोनी के ही आरएन मिश्रा अब 90 साल के हो चले हैं. उनका कहना है कि "उन्होंने 1982 में यह प्लॉट खरीदा था. अब उनके पास इतनी हिम्मत नहीं है कि इसके कागज दुरुस्त करवाने के लिए पर अदालतों के चक्कर काटे. वहीं उम्र के इस पड़ाव में भी इस जमीन को अपने परिवार को बांटना चाहते हैं लेकिन सरकारी गड़बड़ी की वजह से वह ऐसा नहीं कर पा रहे हैं.
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नगरीय प्रशासन मंत्री ने पल्ला झाड़ा: जबलपुर के स्थानीय विधायक विनय सक्सेना ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की कोशिश की थी लेकिन विधानसभा का अंतिम सत्र में यह सवाल उठ नहीं पाया और विधानसभा सत्र खत्म हो गया. हालांकि विधायक का कहना है कि उन्होंने नगरी प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से चर्चा की थी लेकिन उन्होंने इस मामले को राजस्व का व्यक्तिगत मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया."