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दुष्कर्म और ब्लैकमेल के आरोपी को जबलपुर कोर्ट से नहीं मिली राहत

बीजेपी के मंडल अध्यक्ष को जिला अदालत ने राहत नहीं दी है. कोर्ट ने आरोपी की ओर से दायर अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.

jabalpur high court
जबलपुर हाई कोर्ट
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Published : Apr 2, 2021, 9:24 PM IST

जबलपुर। एक महिला को ब्लैकमेल कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले बीजेपी के मंडल अध्यक्ष को जिला अदालत से करारा झटका लगा है. एडीजे पावस श्रीवास्तव की अदालत ने आरोपी की ओर से दायर अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. अदालत ने मामले में कहा है कि ऐसे गंभीर अपराध पर आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता, इससे समाज में गलत प्रभाव पड़ेगा।

अधारताल न्यू कंचनपुर निवासी बीजेपी मंडल अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव के खिलाफ एक महिला ने थाने में दुराचार का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाई थी. शिकायत में कहा गया था कि उसके पति आर्मी में नौकरी करते हैं. इसी वजह से अधिकांश समय वो बाहर रहते हैं, जिसका फायदा उठाकर आरोपी राजेश ने 6 नवंबर 2019 को शरबत में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे पिला दिया और उसके साथ दुष्कर्म कर अश्लील वीडियो बनकार उसका ब्लैकमेल कर शोषण करता था

आरोपी भाजपा नेता की तरफ से अग्रिम जमानत के लिए दायर आवेदन में कहा गया था कि शिकायतकर्ता व उसके बीच पैसों का लेनदेन था. जिसके कारण उसे झूठे मामले में फंसाया गया है. आरोपी की ओर से दी गई तमाम दलीलों को नकारते हुए अदालत ने आरोपी के आवेदन को खारिज कर दिया. शासन की ओर से एजीपी अनिल तिवारी ने पक्ष रखा.

जबलपुर। एक महिला को ब्लैकमेल कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले बीजेपी के मंडल अध्यक्ष को जिला अदालत से करारा झटका लगा है. एडीजे पावस श्रीवास्तव की अदालत ने आरोपी की ओर से दायर अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. अदालत ने मामले में कहा है कि ऐसे गंभीर अपराध पर आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता, इससे समाज में गलत प्रभाव पड़ेगा।

अधारताल न्यू कंचनपुर निवासी बीजेपी मंडल अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव के खिलाफ एक महिला ने थाने में दुराचार का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाई थी. शिकायत में कहा गया था कि उसके पति आर्मी में नौकरी करते हैं. इसी वजह से अधिकांश समय वो बाहर रहते हैं, जिसका फायदा उठाकर आरोपी राजेश ने 6 नवंबर 2019 को शरबत में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे पिला दिया और उसके साथ दुष्कर्म कर अश्लील वीडियो बनकार उसका ब्लैकमेल कर शोषण करता था

आरोपी भाजपा नेता की तरफ से अग्रिम जमानत के लिए दायर आवेदन में कहा गया था कि शिकायतकर्ता व उसके बीच पैसों का लेनदेन था. जिसके कारण उसे झूठे मामले में फंसाया गया है. आरोपी की ओर से दी गई तमाम दलीलों को नकारते हुए अदालत ने आरोपी के आवेदन को खारिज कर दिया. शासन की ओर से एजीपी अनिल तिवारी ने पक्ष रखा.

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