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आम आदमी की गाढ़ी कमाई का पैसा लुटने नहीं दिया जाएगा,कलेक्टर ने कहा धान माफिया को छोड़ेंगे नहीं

Jabalpur Collector Take Action on Paddy Mafia: जबलपुर के नवागत कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि सरकार किसानों से जो धान खरीद रही है वह जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा है और उसे लुटने नहीं दिया जाएगा.

jabalpur Collector action
धान माफिया को छोड़ेंगे नहीं-जबलपुर कलेक्टर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 6, 2024, 10:43 PM IST

जबलपुर। जिले के नवागत कलेक्टर दीपक सक्सेना ने धान माफिया पर सख्ती दिखाई है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों से जो धान खरीद रही है वह जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा है और उसे लुटने नहीं दिया जाएगा. खराब गुणवत्ता वाली धान माफिया जबरन सरकार को बेचना चाहते हैं, अब ऐसा नहीं होगा. दीपक सक्सेना का कहना है कि सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों को ही सस्पेंड किया है और अब उन वेयर हाउस के मालिकों के खिलाफ कार्रवाई होगी जिन्होंने इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है.

सस्ता खरीदकर ज्यादा मुनाफा

सरकार हर साल करोड़ों रुपया लगाकर धान खरीदी करती है. इस साल लगभग 55 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी की जानी है, इसमें से 25 लाख मीट्रिक धान की खरीदी हो चुकी है अभी भी लगभग 30 लाख मैट्रिक टन धान और खरीदी जाना है. सरकार यह धान फिलहाल 2180 रुपए में खरीद रही है, लेकिन इसी में माफिया भी काम करता है जो बाजार से सस्ते दाम में घटिया क्वालिटी की धान खरीद लेता है और इसे सरकारी खरीद में बेच दिया जाता है. दुर्भाग्य से यह भ्रष्टाचार सबसे बड़े पैमाने पर जबलपुर में होता है. जबलपुर के नवनियुक्त कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस घोटाले की सभी परतें खोल दी हैं.

जबलपुर का धान माफिया

सरकारी धान खरीद के सिस्टम में सबसे पहले किसान को धान का रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. सरकार हर साल प्रति एकड़ के हिसाब से धान के उत्पादन की सीमा तय करता है. इसके बाद राजस्व विभाग सभी खसरों में उपज को दर्ज करता है. इसके बाद किसान को अपनी मर्जी के केंद्र पर धान बेचने के लिए स्लॉट बुक करवाना होता है, और किसान वहां धान बेचता है. तीन दिन में किसान के खाते में पैसा आ जाता है. सरकार के खाद्यान्न उपार्जन का यह तरीका है लेकिन इसमें कुछ लूप पोल्स हैं जिनका फायदा माफिया उठाते हैं.

सिकमी नामा

एक किसान अपनी पूरी खेती में धान का उत्पादन नहीं लेता और कुछ जमीन या तो खाली छूट जाती है या उसमें दूसरी फसल होती है जब माफिया को इस बात की जानकारी मिलती है की किसान ने अपनी पूरी जमीन का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है तब फर्जी तरीके से बिना किसान की जानकारी के माफिया के लोग इस जमीन का भी रजिस्ट्रेशन करवा देते हैं और इसके साथ एक सिकमी नामा लगा दिया जाता है. सिकमी जमीन को किराए से लेने का तरीका है जबलपुर के कुछ इलाकों में 35% जमीन के सिकमी नामा लगाकर फर्जी तरीके से धान बेची जा रही थी इसकी जांच खाद्य विभाग की टीम ने की तो पता लगा कि बाकी प्रदेश में जहां सिकमी की दर तीन प्रतिशत तक है वहां जबलपुर के कुछ इलाकों में यह 35% तक थी.

ये भी पढ़ें:

गाढ़ी कमाई का पैसा लुटने नहीं दिया जाएगा

खाद्य विभाग के नियंत्रक रहे वर्तमान जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जांच के दौरान यह गड़बड़ी पकड़ी तो जबलपुर के खाद्य अधिकारी को सस्पेंड किया गया. इसके बाद जबलपुर के ही जिला विपणन अधिकारी को सस्पेंड किया गया. वेयरहाउस के सुपरवाइजर सस्पेंड हुए. कई निचले अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है. दीपक सक्सेना का कहना है कि जिस पैसे से धान खरीदी जा रही है वह आम आदमी की गाढ़ी कमाई का पैसा है उसे लुटने नहीं दिया जाएगा.

जबलपुर। जिले के नवागत कलेक्टर दीपक सक्सेना ने धान माफिया पर सख्ती दिखाई है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों से जो धान खरीद रही है वह जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा है और उसे लुटने नहीं दिया जाएगा. खराब गुणवत्ता वाली धान माफिया जबरन सरकार को बेचना चाहते हैं, अब ऐसा नहीं होगा. दीपक सक्सेना का कहना है कि सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों को ही सस्पेंड किया है और अब उन वेयर हाउस के मालिकों के खिलाफ कार्रवाई होगी जिन्होंने इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है.

सस्ता खरीदकर ज्यादा मुनाफा

सरकार हर साल करोड़ों रुपया लगाकर धान खरीदी करती है. इस साल लगभग 55 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी की जानी है, इसमें से 25 लाख मीट्रिक धान की खरीदी हो चुकी है अभी भी लगभग 30 लाख मैट्रिक टन धान और खरीदी जाना है. सरकार यह धान फिलहाल 2180 रुपए में खरीद रही है, लेकिन इसी में माफिया भी काम करता है जो बाजार से सस्ते दाम में घटिया क्वालिटी की धान खरीद लेता है और इसे सरकारी खरीद में बेच दिया जाता है. दुर्भाग्य से यह भ्रष्टाचार सबसे बड़े पैमाने पर जबलपुर में होता है. जबलपुर के नवनियुक्त कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस घोटाले की सभी परतें खोल दी हैं.

जबलपुर का धान माफिया

सरकारी धान खरीद के सिस्टम में सबसे पहले किसान को धान का रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. सरकार हर साल प्रति एकड़ के हिसाब से धान के उत्पादन की सीमा तय करता है. इसके बाद राजस्व विभाग सभी खसरों में उपज को दर्ज करता है. इसके बाद किसान को अपनी मर्जी के केंद्र पर धान बेचने के लिए स्लॉट बुक करवाना होता है, और किसान वहां धान बेचता है. तीन दिन में किसान के खाते में पैसा आ जाता है. सरकार के खाद्यान्न उपार्जन का यह तरीका है लेकिन इसमें कुछ लूप पोल्स हैं जिनका फायदा माफिया उठाते हैं.

सिकमी नामा

एक किसान अपनी पूरी खेती में धान का उत्पादन नहीं लेता और कुछ जमीन या तो खाली छूट जाती है या उसमें दूसरी फसल होती है जब माफिया को इस बात की जानकारी मिलती है की किसान ने अपनी पूरी जमीन का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है तब फर्जी तरीके से बिना किसान की जानकारी के माफिया के लोग इस जमीन का भी रजिस्ट्रेशन करवा देते हैं और इसके साथ एक सिकमी नामा लगा दिया जाता है. सिकमी जमीन को किराए से लेने का तरीका है जबलपुर के कुछ इलाकों में 35% जमीन के सिकमी नामा लगाकर फर्जी तरीके से धान बेची जा रही थी इसकी जांच खाद्य विभाग की टीम ने की तो पता लगा कि बाकी प्रदेश में जहां सिकमी की दर तीन प्रतिशत तक है वहां जबलपुर के कुछ इलाकों में यह 35% तक थी.

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गाढ़ी कमाई का पैसा लुटने नहीं दिया जाएगा

खाद्य विभाग के नियंत्रक रहे वर्तमान जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जांच के दौरान यह गड़बड़ी पकड़ी तो जबलपुर के खाद्य अधिकारी को सस्पेंड किया गया. इसके बाद जबलपुर के ही जिला विपणन अधिकारी को सस्पेंड किया गया. वेयरहाउस के सुपरवाइजर सस्पेंड हुए. कई निचले अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है. दीपक सक्सेना का कहना है कि जिस पैसे से धान खरीदी जा रही है वह आम आदमी की गाढ़ी कमाई का पैसा है उसे लुटने नहीं दिया जाएगा.

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