जबलपुर। मध्यप्रदेश में आखिर ऐसा क्या है कि बरसात आते ही प्रदेश के ज्यादातर जिलों की सड़कें जर्जर हो जाती है, इस सवाल का जवाब न ही सरकार के पास है और न ही इन सड़कों को बनाने वाले ठेकेदारों के पास. इन बदहाल सड़कों की मरम्मत के लिए प्रदेश सरकार हर साल लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करती है, पर एक ही बारिश में सड़कों की हालत जर्जर हो जाती है. इस तरह की तस्वीर सिर्फ जबलपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के ज्यादातर जिलों की है. विपक्ष नगर निगम अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है, विपक्ष का आरोप है कि नगर निगम में पदस्थ अधिकारी और सत्ता पक्ष के नेता भ्रष्टाचार कर घटिया सड़क बनाते हैं, जिसकी पोल हर साल बारिश में खुल जाती है.
जबलपुर शहर में जहां भी निकल जाओ, वहां सड़क नहीं बल्कि गड्ढे नजर आते हैं, यही वजह है कि न सिर्फ आमजन बल्कि बड़े-बड़े नेताओं की गाड़ियां भी इन सड़कों पर खराब हो रही हैं, खराब सड़कों के चलते ट्रैफिक व्यवस्था भी प्रभावित होती है. जबलपुर में रहने वाले सुनील कुमार कहते हैं कि सड़क, बिजली, पानी का टैक्स जमा करने के बाद भी उन्हें एक बेहतर सुविधा मुहैया नहीं हो पा रही है. इसकी वजह है कि सड़क बनाने वाले ठेकेदारों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार कर जबलपुर नगर निगम के अधिकारी भी सड़क बनाने वाले ठेकेदारों पर निगरानी नहीं रखते हैं, जिस वजह से महज 1 साल में ही करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई जाने वाली सड़क खराब हो जाती है.
शहर की सड़कें बनाने में करोड़ों का भ्रष्टाचार
जबलपुर शहर में हर साल लाखों- करोड़ों रुपए खर्च कर सड़कों की मरम्मत कराई जाती है, पर कुछ माह बाद ही इन सड़कों की हालात फिर से वही हो जाती है, जैसा पहले हुआ करती थी. जबलपुर शहर की ज्यादातर सड़कें पूरी तरह से बारिश के समय खराब हो जाती हैं. नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रहे राजेश सोनकर कहते हैं कि सड़क बनाने में अधिकारियों से लेकर सत्तापक्ष के नेताओं तक का कमीशन शामिल होता है, यही वजह है कि जबलपुर शहर की सड़कें दुरुस्त नहीं हो पा रही हैं. पहले सत्ता पक्ष के नेता और फिर नगर निगम अधिकारियों का सड़क बनाने वाले ठेकेदारों से एक अच्छा खासा कमीशन फिक्स रहता है.
सड़क बनाने वाले ठेकेदारों की लापरवाही को लेकर न ही सत्ता पक्ष विरोध जताता है और न ही नगर निगम के अधिकारी, जिस पर कहा जा सकता है कि निगम अधिकारियों के साथ नेताओं का भी जेब ठेकेदार गर्म करते हैं, जिसकी वजह से घटिया क्वालिटी की सड़कें बन जाती हैं और आम जनता को उससे परेशानी झेलनी पड़ती है. खास बात ये भी है कि लगातार जबलपुर जिले की जनता नगर निगम कमिश्नर से घटिया सड़क निर्माण की शिकायत करती है, पर नतीजा सिफर ही रहता है.
इधर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष के आरोपों को पूर्व एमआईसी सदस्य कमलेश अग्रवाल ने सिरे से खारिज कर दिया है. कमलेश अग्रवाल का कहना है कि वर्तमान में जो भी सड़क खराब है, वह बीते 4 साल की है और अभी जो भी सड़कें बनाई जा रही हैं, उसकी गुणवत्ता बहुत ही अच्छी है. इसके अलावा कांग्रेस की डेढ़ साल की सरकार पर जमकर हमला बोला है, उन्होंने कहा कि बीते डेढ़ साल तक कांग्रेस की सरकार ने नगर निगम में जमकर भ्रष्टाचार किया है और विकास के काम निगम में नहीं होना दिया.
निगम प्रशासक ने खराब सड़क को संज्ञान में लिया
महज कुछ घंटों की बारिश में ही जबलपुर शहर की ज्यादातर सड़कें उखड़ जाती हैं, जिसके चलते यातायात व्यवस्था भी पूरी तरह से प्रभावित होता है. यही वजह है कि जबलपुर संभाग कमिश्नर ने खराब सड़कों की मिल रही शिकायत को गंभीरता से लिया है. कमिश्नर और निगम प्रशासक महेश चंद्र चौधरी का कहना है कि ये सही है कि बारिश के समय शहर की सड़कें पूरी तरह से खराब हो जाती हैं, लिहाजा इसके लिए निगम कमिश्नर और रोड बनाने वाले अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा कि वह ठेकेदार जोकि सड़क बनाते हैं और एक साल में ही उनकी सड़कें उखड़ जाती हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें. इसके अलावा घटिया सड़कों को लेकर एक उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई जाएगी, जोकि इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच करेगी, साथ ही ऐसे ठेकेदार जोकि खराब सड़कें बनाते हैं, उन्हें ब्लैक लिस्ट करने का काम भी नगर निगम करेगा.
हाल ही में स्मार्ट सिटी रैंकिंग को लेकर जबलपुर शहर का नाम टॉप 13 से भी बाहर हो गया, उसकी एक वजह ये भी है कि स्वच्छता सर्वेक्षण के साथ-साथ जबलपुर शहर की सड़कें भी खराब रही हैं. पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर निगम के इस आरोप में भी कुछ हद तक सच्चाई नजर आ रही है कि आखिर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी जबलपुर शहर की सड़कें दुरुस्त नहीं हो पा रही हैं. निश्चित रूप से स्मार्ट सिटी को लेकर पिछड़ने में एक मुख्य कारण खराब सड़कें भी हैं.