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Happy New Year 2023 जबलपुर में लें चौसठ योगनियों का आशीर्वाद, खास है इस मंदिर का इतिहास, देखें तस्वीरें

अगर आपने नए साल में घूमने का प्लान बनाया हो तो आप भेड़ाघाट के साथ चौसठ योगिनी मंदिर एवं त्रिपुर सुंदरी माता मंदिर भी परिवार के साथ खुशियां मनाने के लिए जा सकते हैं. (Jabalpur Chausath Yogini Temple) यह मंदिर अपने आप में बेहद खास है. आइए आपको दिखाते

jabalpur Chausath Yogini Temple
नर्मदा नदी के ऊपर एक पहाड़ पर स्थित चौंसठ योगिनी का मंदिर
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Published : Dec 28, 2022, 5:29 PM IST

Updated : Dec 28, 2022, 6:00 PM IST

जबलपुर। नर्मदा नदी के किनारे पहाड़ पर स्थित चौंसठ योगिनी का मंदिर 9वीं शताब्दी में शक्ति की उपासना का प्रतीक है. मंदिर को तांत्रिकों की यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है. ज्ञात इतिहास के मुताबिक 9वीं शताब्दी में भेड़ाघाट का इलाका ‘त्रिपुरी’ के नाम से जाना जाता था. यहां कलचुरियों के काल का शक्ति सम्प्रदाय का चौसठ योगिनी मंदिर स्थित है जो करीब 13 सौ साल पुराना है. यह मंदिर इस समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में है. ऐसा माना जाता है कि जबलपुर के पास ही कलचुरी राजाओं की राजधानी तेवर थी.

jabalpur Chausath Yogini Temple
इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजाओं ने करवाया था.

भेड़ाघाट का चौसठ योगिनी मंदिर उस दौरान त्रिपुर क्षेत्र में शक्ति धर्म के योगिनी सम्प्रदाय के प्रभाव को दिखाता है. 64 योगिनियां मां दुर्गा का प्रतिरूप समझी जाती हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
मंदिर करीब 13 सौ साल पुराना है.

मुख्य योगिनी माताओं की संख्या सात थी जो बाद में चौसठ तक पहुंच गई इसी कारण इस मंदिर ‘चौसठ योगिनी’ के नाम से जाना जाता है, हालांकि वर्तमान में यहां 61 प्रतिमाएं देखाई देती हैं 3 प्रतिमाएं पूरी तरह खंडित हो चुकी हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
कल्चुरियों के काल में शक्ति सम्प्रदाय का चौसठ योगिनी मंदिर बना है

ये मूर्तियां हजारों वर्ष पुरानी हैं तथा हरियाली लिए पीले बलुआ पत्थरों और लाल पत्थरों की बनी हैं तथा अनेक सभ्यताओं एवं संस्कृतियों की कहानी कहती हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
ये मूर्तियां हजारों वर्ष पुरानी हैं तथा हरियाली लिए पीले बलुआ पत्थरों और लाल पत्थरों की बनी हैं

इस मंदिर में प्रवेश के दो रास्ते हैं एक रास्ता नर्मदा के तट से शुरू होता है. (MP Tourism) इस रास्ते में सीढ़ियों द्वारा दक्षिण पूर्व के प्रवेश की ओर से द्वार से मंदिर के अंदर जा सकते हैं. उत्तर-पूर्व की ओर से प्रवेश करने वाला सीढ़ी द्वार रास्ता उस सड़क तक जाता है जो पंचवटी घाट को धुआंधार से जोड़ता है.

jabalpur Chausath Yogini Temple
मंदिर में प्रवेश के दो रास्ते हैं एक रास्ता नर्मदा के तट से शुरू होता है.

मंदिर के प्रांगण से नर्मदा को देखकर ऐसा लगता है, मानो वह संगमरमर की चट्टानों की गोद में चुपचाप सोई हुई कोई मधुर सपना देख रही हो.

इस मंदिर का इतिहास कल्चुरीकाल से जोड़ा जाता है. जो उस समय की पूजित प्रतिमा है. प्रतिमा के तीन रूप महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती के माने जाते हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
नर्मदा नदी के ऊपर एक पहाड़ पर स्थित चौंसठ योगिनी का मंदिर

ऐसा कहा जाता है कि राजा कर्ण देव के सपने में आदिशक्ति का रूप त्रिपुरी दिखाई दी थीं. तब राजा कर्ण ने इस प्रतिमा की स्थापना कराई थी. यह प्रतिमा शिला के सहारे अधलेटी अवस्था में पश्चिम दिशा की ओर मुहं करके हैं. मंदिर में माता महाकाली, माता महालक्ष्मी और माता सरस्वती की विशाल मूर्तियां स्थापित हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
चौसठ योगनी मंदिर की खंडित मूर्तियां

यहां त्रिपुर का अर्थ है तीन शहरों का समूह और सुंदरी का अर्थ होता है मनमोहक महिला. इसलिए इस स्थान को तीन शहरों की अति सुंदर देवियों का वास कहा जाता है.

Tripura Sundari Mata Temple
भेड़ाघाट तेवर पर स्थित त्रिपुर सुंदरी का प्राचीन मंदिर है

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माना जाता है कि राजा कर्ण हथियागढ़ के राजा थे, वे देवी के सामने खौलते हुए तेल के कड़ाहे में स्वयं को समर्पित कर देते थे और देवी प्रसन्न होकर राजा को उनके वजन के बराबर सोना आशीर्वाद के रूप में देती थीं.

जबलपुर। नर्मदा नदी के किनारे पहाड़ पर स्थित चौंसठ योगिनी का मंदिर 9वीं शताब्दी में शक्ति की उपासना का प्रतीक है. मंदिर को तांत्रिकों की यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है. ज्ञात इतिहास के मुताबिक 9वीं शताब्दी में भेड़ाघाट का इलाका ‘त्रिपुरी’ के नाम से जाना जाता था. यहां कलचुरियों के काल का शक्ति सम्प्रदाय का चौसठ योगिनी मंदिर स्थित है जो करीब 13 सौ साल पुराना है. यह मंदिर इस समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में है. ऐसा माना जाता है कि जबलपुर के पास ही कलचुरी राजाओं की राजधानी तेवर थी.

jabalpur Chausath Yogini Temple
इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजाओं ने करवाया था.

भेड़ाघाट का चौसठ योगिनी मंदिर उस दौरान त्रिपुर क्षेत्र में शक्ति धर्म के योगिनी सम्प्रदाय के प्रभाव को दिखाता है. 64 योगिनियां मां दुर्गा का प्रतिरूप समझी जाती हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
मंदिर करीब 13 सौ साल पुराना है.

मुख्य योगिनी माताओं की संख्या सात थी जो बाद में चौसठ तक पहुंच गई इसी कारण इस मंदिर ‘चौसठ योगिनी’ के नाम से जाना जाता है, हालांकि वर्तमान में यहां 61 प्रतिमाएं देखाई देती हैं 3 प्रतिमाएं पूरी तरह खंडित हो चुकी हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
कल्चुरियों के काल में शक्ति सम्प्रदाय का चौसठ योगिनी मंदिर बना है

ये मूर्तियां हजारों वर्ष पुरानी हैं तथा हरियाली लिए पीले बलुआ पत्थरों और लाल पत्थरों की बनी हैं तथा अनेक सभ्यताओं एवं संस्कृतियों की कहानी कहती हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
ये मूर्तियां हजारों वर्ष पुरानी हैं तथा हरियाली लिए पीले बलुआ पत्थरों और लाल पत्थरों की बनी हैं

इस मंदिर में प्रवेश के दो रास्ते हैं एक रास्ता नर्मदा के तट से शुरू होता है. (MP Tourism) इस रास्ते में सीढ़ियों द्वारा दक्षिण पूर्व के प्रवेश की ओर से द्वार से मंदिर के अंदर जा सकते हैं. उत्तर-पूर्व की ओर से प्रवेश करने वाला सीढ़ी द्वार रास्ता उस सड़क तक जाता है जो पंचवटी घाट को धुआंधार से जोड़ता है.

jabalpur Chausath Yogini Temple
मंदिर में प्रवेश के दो रास्ते हैं एक रास्ता नर्मदा के तट से शुरू होता है.

मंदिर के प्रांगण से नर्मदा को देखकर ऐसा लगता है, मानो वह संगमरमर की चट्टानों की गोद में चुपचाप सोई हुई कोई मधुर सपना देख रही हो.

इस मंदिर का इतिहास कल्चुरीकाल से जोड़ा जाता है. जो उस समय की पूजित प्रतिमा है. प्रतिमा के तीन रूप महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती के माने जाते हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
नर्मदा नदी के ऊपर एक पहाड़ पर स्थित चौंसठ योगिनी का मंदिर

ऐसा कहा जाता है कि राजा कर्ण देव के सपने में आदिशक्ति का रूप त्रिपुरी दिखाई दी थीं. तब राजा कर्ण ने इस प्रतिमा की स्थापना कराई थी. यह प्रतिमा शिला के सहारे अधलेटी अवस्था में पश्चिम दिशा की ओर मुहं करके हैं. मंदिर में माता महाकाली, माता महालक्ष्मी और माता सरस्वती की विशाल मूर्तियां स्थापित हैं.

jabalpur Chausath Yogini Temple
चौसठ योगनी मंदिर की खंडित मूर्तियां

यहां त्रिपुर का अर्थ है तीन शहरों का समूह और सुंदरी का अर्थ होता है मनमोहक महिला. इसलिए इस स्थान को तीन शहरों की अति सुंदर देवियों का वास कहा जाता है.

Tripura Sundari Mata Temple
भेड़ाघाट तेवर पर स्थित त्रिपुर सुंदरी का प्राचीन मंदिर है

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माना जाता है कि राजा कर्ण हथियागढ़ के राजा थे, वे देवी के सामने खौलते हुए तेल के कड़ाहे में स्वयं को समर्पित कर देते थे और देवी प्रसन्न होकर राजा को उनके वजन के बराबर सोना आशीर्वाद के रूप में देती थीं.

Last Updated : Dec 28, 2022, 6:00 PM IST
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