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Jabalpur News: बिल नहीं भरने पर आयुष्मान अस्पताल में अमानवीयता, 2 माह के बच्चे को बनाया बंधक, बिलखती रही मां

निजी अस्पताल किस हद तक गिर सकते हैं, इसका ताजा मामला जबलपुर में देखने को मिला. यहां बिल नहीं भरने पर आयुष्मान अस्पताल ने दो महीने के बच्चे को बंधक बना लिया. अस्पताल प्रबंधन ने महिला को उसके बच्चे से नहीं मिलने दिया. परेशान होकर महिला ने पुलिस की मदद ली. अस्पताल पहुंची पुलिस के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे को मां को सौंपा.

Hospital hostage 2 month old child
आयुष्मान अस्पताल में अमानवीयता, 2 माह के बच्चे को बनाया बंधक
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 22, 2023, 12:53 PM IST

आयुष्मान अस्पताल में अमानवीयता, 2 माह के बच्चे को बनाया बंधक

जबलपुर। शहर के ओमती इलाके में रहने वाली शिवानी का दो माह का बच्चा बीमार हो गया था. उसे सर्दी खांसी हो रही थी. शिवानी बच्चे को लेकर डॉ.मुकेश खरे के अस्पताल पर पहुंची. बच्चे को देखने के बाद डॉ.मुकेश खरे ने अस्पताल में एडमिट करने के लिए कहा. छोटा-मोटा कामकाज करके अपना घर चलने वाली शिवानी का कहना था कि उसके पास इतने पैसे नहीं है कि निजी अस्पताल का खर्चा उठा सके. इसलिए शिवानी ने कहा कि वह बच्चे को मेडिकल कॉलेज ले जा रही है.

झूठा भरोसा देकर भर्ती कर लिया : इसके बाद डॉ. मुकेश खरे ने शिवानी को आश्वासन दिया कि पैसों की चिंता ना करें और बच्चे को अस्पताल में एडमिट करवा दिया. अस्पताल में एडमिट करवाने के बाद बच्चे का इलाज तो शुरू हो गया लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने शिवानी के पर पैसे लाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. शिवानी अस्पताल के मैनेजर को समझा रही थी कि उसके पास पैसे नहीं हैं. 6 दिन बीत जाने के बाद शिवानी को अस्पताल ने ₹22000 का बिल थमा दिया गया. बिल देखकर शिवानी परेशान हो गई लेकिन अस्पताल वाले शिवानी की कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं थे.

बच्चे से नहीं मिलने दिया : शिवानी रावत का आरोप है कि जिस दिन से उन्होंने बच्चे को एडमिट करवाया है, उसके बाद से बच्चों को नहीं मिलने दिया. जब भी शिवानी उससे मिलने की इच्छा जाहिर करती तो अस्पताल का स्टाफ उसे मना कर देता. शिवानी का कहना है कि वह दिनभर अस्पताल में बैठी रही लेकिन उसे बच्चों से नहीं मिलने दिया गया. शिवानी रावत जब परेशान हो गई तब उन्होंने पुलिस से मदद लेने का फैसला किया. ओमती थाने पहुंचकर महिला ने डॉ. मुकेश खरे और आयुष्मान अस्पताल के खिलाफ लिखित शिकायत दी.

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अस्पताल के खिलाफ जांच शुरू : जबलपुर पुलिस तुरंत हरकत में आई और अपने स्टाफ के साथ आयुष्मान अस्पताल पहुंची. पुलिस के दखल के बाद ही आयुष्मान अस्पताल ने बच्चों को उसकी मां को सौंपा. इस मामले में ओमती थाना प्रभारी वीरेंद्र सिंह पवार का कहना है कि पीड़ित महिला शिवानी की ओर से शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. पीड़ित महिला को उसका बच्चा दिलवा दिया गया है और इस मामले में महिला ने जो आरोप लगाए हैं, उसके आधार पर अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

आयुष्मान अस्पताल में अमानवीयता, 2 माह के बच्चे को बनाया बंधक

जबलपुर। शहर के ओमती इलाके में रहने वाली शिवानी का दो माह का बच्चा बीमार हो गया था. उसे सर्दी खांसी हो रही थी. शिवानी बच्चे को लेकर डॉ.मुकेश खरे के अस्पताल पर पहुंची. बच्चे को देखने के बाद डॉ.मुकेश खरे ने अस्पताल में एडमिट करने के लिए कहा. छोटा-मोटा कामकाज करके अपना घर चलने वाली शिवानी का कहना था कि उसके पास इतने पैसे नहीं है कि निजी अस्पताल का खर्चा उठा सके. इसलिए शिवानी ने कहा कि वह बच्चे को मेडिकल कॉलेज ले जा रही है.

झूठा भरोसा देकर भर्ती कर लिया : इसके बाद डॉ. मुकेश खरे ने शिवानी को आश्वासन दिया कि पैसों की चिंता ना करें और बच्चे को अस्पताल में एडमिट करवा दिया. अस्पताल में एडमिट करवाने के बाद बच्चे का इलाज तो शुरू हो गया लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने शिवानी के पर पैसे लाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. शिवानी अस्पताल के मैनेजर को समझा रही थी कि उसके पास पैसे नहीं हैं. 6 दिन बीत जाने के बाद शिवानी को अस्पताल ने ₹22000 का बिल थमा दिया गया. बिल देखकर शिवानी परेशान हो गई लेकिन अस्पताल वाले शिवानी की कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं थे.

बच्चे से नहीं मिलने दिया : शिवानी रावत का आरोप है कि जिस दिन से उन्होंने बच्चे को एडमिट करवाया है, उसके बाद से बच्चों को नहीं मिलने दिया. जब भी शिवानी उससे मिलने की इच्छा जाहिर करती तो अस्पताल का स्टाफ उसे मना कर देता. शिवानी का कहना है कि वह दिनभर अस्पताल में बैठी रही लेकिन उसे बच्चों से नहीं मिलने दिया गया. शिवानी रावत जब परेशान हो गई तब उन्होंने पुलिस से मदद लेने का फैसला किया. ओमती थाने पहुंचकर महिला ने डॉ. मुकेश खरे और आयुष्मान अस्पताल के खिलाफ लिखित शिकायत दी.

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