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तलाकशुदा महिलाओं को बच्चों की कस्टडी लेने के लिए क्या ये अहम फैसला नजीर बनेगा - जबलपुर फैमिली कोर्ट

Jabalpr family court news: जबलपुर कुटुंब न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाया है. अब नाबालिग बच्चों की कस्टडी के लिए महिला अपने मायके के शहर में अदालत में आवेदन कर सकती है. अभी तक उन्हें ससुराल वाले शहर में अदालत में आवेदन करना होता था.

Jabalpr family court new
तलाकशुदा महिलाओं को बच्चों की कस्टडी लेने के लिए अहम फैसला
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 10, 2024, 1:09 PM IST

तलाकशुदा महिलाओं को बच्चों की कस्टडी लेने के लिए अहम फैसला

जबलपुर। तलाक के बढ़ते मामलों में नाबालिग बच्चों की कस्टडी लेना एक बड़ा समस्या होती है. पति और पत्नी दोनों ही बच्चों को अपने पास रखना चाहते हैं. यह फैसला कोर्ट को करना होता है कि बच्चे किसके पास ज्यादा सुरक्षित रहेंगे. इस समस्या के निवारण के लिए भारतीय कानून के संरक्षक और प्रतिपल्या अधिनियम 1890 के प्रावधानों के तहत सुनवाई की जाती है. इसमें सामान्य तौर पर इस बात पर बहस होती है कि जिस बच्चे की कस्टडी की बात हो रही है वह वर्तमान में कहां रह रहा है और उसके निवास स्थान पर ही उसे रहने की प्राथमिकता दी जाती है.

बच्चों की कस्टडी का आवेदन : ज्यादातर मामलों में बच्चे अपने पिता के घर में रहते हैं इसके चलते इस नियम में पति को सुविधा मिल जाती है और पत्नी परेशान हो जाती है. क्योंकि पिता के घर में मतलब पत्नी के ससुराल में बच्चे रहते हैं तो पिता तो अपने ही शहर की अदालत में इस मुकदमे को लड़ सकता है. यह उसके लिए सरल होता है. लेकिन पत्नी अक्सर विवाद के बाद मायके आ जाती है और अब उसके लिए यह लड़ाई कठिन हो जाती है, जो जबलपुर के इस मामले में भी हुआ. कुटुंब न्यायालय में जबलपुर की निवासी स्वाति परते ने अपने बच्चों की कस्टडी लेने के लिए आवेदन किया. हालांकि उनके पति नागपुर में रहते हैं.

दंपती के बीच विवाद बढ़ा : दरअसल, स्वाति परते और महेश परते पति-पत्नी थे. इनके बीच में विवाद हुआ और स्वाति के साथ मारपीट भी हुई. उसे घर से निकाल दिया गया. स्वाति की दो बेटियां हैं जिसमें एक की उम्र 4 साल है और एक की उम्र 9 साल है. दोनों छोटी-छोटी बच्चियों को स्वाति अपने साथ रखना चाहती है. उनके बीच में विवाद हुआ और दोनों अलग-अलग हो गए. अब स्वामी चाहती है कि उसके नाबालिक बच्चों की कस्टडी उन्हें मिले लेकिन इसके लिए उन्हें नागपुर की अदालत में आवेदन देना पड़ता लेकिन उन्होंने जबलपुर के कुटुंब न्यायालय में आवेदन दिया और इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला दिया है कि नागपुर में जाकर स्वाति अपने बच्चों की कस्टडी की लड़ाई नहीं लड़ पाएगी. इसलिए उसके मामले में पति को जबलपुर आना होगा और जबलपुर में ही इस मामले की सुनवाई होगी.

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  1. 38 साल के लंबे इंतजार के बाद पति को मिला तलाक, पत्नी को देने होंगे एकमुश्त 12 लाख
  2. पत्नी को भरण-पोषण राशि 30 हजार की चिल्लर दो बैग में, पुलिस को गिनने में आया पसीना

वकील ने क्या दी दलील : इस मामले की पर भी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में स्वाति परते की ओर से एडवोकेट पंकज दुबे ने की पंकज दुबे का कहना है की कोर्ट में बहस सामान्य निवास को लेकर हुई कि बच्चों का सामान्य निवास कहां माना जाए क्योंकि बच्चे नाबालिग हैं और उनके मां का घर भी उनके लिए सामान्य निवास हो सकता है. क्योंकि बच्चे अक्सर अपनी मां के साथ जहां सुकून से रहें, उसे ही सामान्य निवास माना जाना चाहिए. इसमें पंकज दुबे की ओर से सुप्रीम कोर्ट के कुछ दृष्टांत भी पेश किए गए. कोर्ट ने स्वाति परते की ओर से आए आवेदन को स्वीकार करते हुए इस मामले की सुनवाई जबलपुर में ही तय कर दी है.

तलाकशुदा महिलाओं को बच्चों की कस्टडी लेने के लिए अहम फैसला

जबलपुर। तलाक के बढ़ते मामलों में नाबालिग बच्चों की कस्टडी लेना एक बड़ा समस्या होती है. पति और पत्नी दोनों ही बच्चों को अपने पास रखना चाहते हैं. यह फैसला कोर्ट को करना होता है कि बच्चे किसके पास ज्यादा सुरक्षित रहेंगे. इस समस्या के निवारण के लिए भारतीय कानून के संरक्षक और प्रतिपल्या अधिनियम 1890 के प्रावधानों के तहत सुनवाई की जाती है. इसमें सामान्य तौर पर इस बात पर बहस होती है कि जिस बच्चे की कस्टडी की बात हो रही है वह वर्तमान में कहां रह रहा है और उसके निवास स्थान पर ही उसे रहने की प्राथमिकता दी जाती है.

बच्चों की कस्टडी का आवेदन : ज्यादातर मामलों में बच्चे अपने पिता के घर में रहते हैं इसके चलते इस नियम में पति को सुविधा मिल जाती है और पत्नी परेशान हो जाती है. क्योंकि पिता के घर में मतलब पत्नी के ससुराल में बच्चे रहते हैं तो पिता तो अपने ही शहर की अदालत में इस मुकदमे को लड़ सकता है. यह उसके लिए सरल होता है. लेकिन पत्नी अक्सर विवाद के बाद मायके आ जाती है और अब उसके लिए यह लड़ाई कठिन हो जाती है, जो जबलपुर के इस मामले में भी हुआ. कुटुंब न्यायालय में जबलपुर की निवासी स्वाति परते ने अपने बच्चों की कस्टडी लेने के लिए आवेदन किया. हालांकि उनके पति नागपुर में रहते हैं.

दंपती के बीच विवाद बढ़ा : दरअसल, स्वाति परते और महेश परते पति-पत्नी थे. इनके बीच में विवाद हुआ और स्वाति के साथ मारपीट भी हुई. उसे घर से निकाल दिया गया. स्वाति की दो बेटियां हैं जिसमें एक की उम्र 4 साल है और एक की उम्र 9 साल है. दोनों छोटी-छोटी बच्चियों को स्वाति अपने साथ रखना चाहती है. उनके बीच में विवाद हुआ और दोनों अलग-अलग हो गए. अब स्वामी चाहती है कि उसके नाबालिक बच्चों की कस्टडी उन्हें मिले लेकिन इसके लिए उन्हें नागपुर की अदालत में आवेदन देना पड़ता लेकिन उन्होंने जबलपुर के कुटुंब न्यायालय में आवेदन दिया और इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला दिया है कि नागपुर में जाकर स्वाति अपने बच्चों की कस्टडी की लड़ाई नहीं लड़ पाएगी. इसलिए उसके मामले में पति को जबलपुर आना होगा और जबलपुर में ही इस मामले की सुनवाई होगी.

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वकील ने क्या दी दलील : इस मामले की पर भी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में स्वाति परते की ओर से एडवोकेट पंकज दुबे ने की पंकज दुबे का कहना है की कोर्ट में बहस सामान्य निवास को लेकर हुई कि बच्चों का सामान्य निवास कहां माना जाए क्योंकि बच्चे नाबालिग हैं और उनके मां का घर भी उनके लिए सामान्य निवास हो सकता है. क्योंकि बच्चे अक्सर अपनी मां के साथ जहां सुकून से रहें, उसे ही सामान्य निवास माना जाना चाहिए. इसमें पंकज दुबे की ओर से सुप्रीम कोर्ट के कुछ दृष्टांत भी पेश किए गए. कोर्ट ने स्वाति परते की ओर से आए आवेदन को स्वीकार करते हुए इस मामले की सुनवाई जबलपुर में ही तय कर दी है.

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