जबलपुर। भारण पोषण अधिनियम के तहत एसडीएम द्वारा 1 करोड़ 96 लाख रुपये जमा किये जाने के आदेश को चुनौती देते हुए एजी-8 वेंचर्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, याचिका की सुनवाई के दौरान हस्ताक्षेपकर्ताओं ने याचिकाकर्ता बिल्डर द्वारा की गयी अनियमिकताओं की जांच के लिए आयुक्त नियुक्त किये जाने की मांग की गयी थी, हाईकोर्ट जस्टिस विशाल घगट ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस ए के सक्सेना की सहमत्ति के बाद उन्हें जांच आयुक्त नियुक्त किया है
आकृति ग्रुप
गौरतलब है कि एजी-8 वेंचुरा आकृति ग्रुप ने भोपाल में सीनियर सिटीजन के लिए होम योजना शुरू की थी, इस योजना के तहत सिर्फ सीनियर सिटीजन को फलैट दिये जाने का प्रावधान था, योजना के अनुसार सीनियर सिटीजन के कल्याण व स्वास्थ के लिए 24 घंटे ओपीडी,जिम,कैफैटेरिया सहित अन्य सुविधा प्रदान किये जाना का वादा किया गया था, इतना ही नहीं सीनियर सिटीजन के लिए सीनियर सिटीजन द होम्स नाम का टस्ट बनाकर फ्लैट खरीदने वालों से तीन-तीन लाख रुपये बिल्डर ने लिये थे, बिल्डर के ऑफर को देखते हुए द नेस्ट आकृति ईको होम सिटी में 67 सीनियर सिटीजन के फलैट खरीदे, एसडीएम कोर्ट के समक्ष बिल्डर के स्वीकार किया था कि उनके पास ट्रस्ट का निविवादित एक करोड़ 96 लाख रूपये हैं, एसडीएम कोर्ट ने उक्त राशि 6 दिनों के अंदर जमा करवाने के निर्देश जारी किये थे.
याचिका में कहा गया था कि एसडीएम ने भारण पोषण अधिनियम के तहत उक्त आदेश जारी किए हैं, जबकि उन्हे कॉलोनाइजर एक्ट के तहत मामले की शिकायत करनी थी, एकलपीठ ने एसडीएम के आदेश पर स्थगन आदेश जारी करते हुए याचिकाकर्ता को एक माह में 75 लाख रूपये जमा करने के आदेश जारी किये थे.
याचिका की सुनवाई के दौरान इंटरविनर की तरफ से न्यायालय को बताया गया था कि आदेश के बावजूद भी याचिकाकर्ता ने 75 लाख रुपये समय पर जमा नहीं किए, शिकायत की जांच के लिए आयुक्त की नियुक्ति की जाएं, एकलपीठ ने जस्टिस ए के सक्सेना को कोर्ट कमीशन का आयुक्त नियुक्त किया है, न्यायालय ने जांच आयुक्त को अपनी रिपोर्ट 15 फरवरी तक न्यायालय के समक्ष पेश करने के आदेश जारी किये हैं, सुनवाई के दौरान हस्ताक्षेपकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने पक्ष रखा.