जबलपुर। नर्सिंग की कुछ छात्राओं और जबलपुर के एक RTI एक्टिविस्ट ने मेडिकल यूनिवर्सिटी की परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना और संचालन करवाने वाली कंपनी माइंड लॉजिक के खिलाफ शिकायत की थी. शिकायत में वृंदा ने कहा था कि यह दोनों ही मिलकर स्टूडेंटस् ( Students ) से पैसे लेते हैं और पास-फेल ( Pass-Fail ) करने का काम कर रहे थे. यह शिकायत चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को भी की गई थी.
मेडिकल यूनिवर्सिटी बनी दूसरा 'व्यापमं'! पैसे लेकर छात्रों को पास करने के लगे आरोप
इसके बाद तीन डॉक्टरों और दो आईटी एक्सपर्ट की एक कमेटी को जांच सौंपी गई थी. इस जांच कमेटी की अध्यक्षता मेडिकल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. जितेंद्र कुमार गुप्ता कर रहे थे. जांच कमेटी ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया है.
माइंड लॉजिक ( Mind Logic ) कंपनी की जांच
माइंड लॉजिक कंपनी जिसके पास परीक्षा करवाने के पूरे अधिकार थे, उस पर आरोप है कि उसने कुछ फेल छात्रों को पास किया है, कुछ ऐसे छात्र हैं जो परीक्षा में बैठे ही नहीं, उनको परीक्षा में बैठा हुआ दिखाया गया और वो पास भी हो गए. इस पर कमेटी जांच कर रही है. जब जांच करने वाली कमेटी ने कंपनी से डाटा मांगा तो कंपनी ने कहा कि बेंगलुरू में उनका हेड ऑफिस ( Head Office ) है और वहां लॉकडाउन लगा हुआ है. जबकि जांच कमेटी ने अपने दो आईटी एक्सपर्ट के जरिए डाटा रिकवर करवाने का दावा किया है. जानकारी मिली है कि कंपनी के कुछ कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध थी. वहीं कुछ गड़बड़ी या मानवीय भूल मानकर छोड़ दी गईं.
डॉक्टर वृंदा सक्सेना पर आरोप
मेडिकल यूनिवर्सिटी की परीक्षा नियंत्रक ( Examination Controller ) डॉक्टर वृंदा सक्सेना जिनके पास में परीक्षा के नियंत्रण का अधिकार था. ऐसा आरोप लगाया गया है कि उनके मेल पर पास और फेल होने की जानकारियां आती थीं और लॉजिक कंपनी के पास भेजा जाता था और उसी के आधार पर माइंड लाजिक्स कंपनी परीक्षा परिणामों में फेरबदल कर देती थी. डॉ. सक्सेना छुट्टी पर भोपाल चली गई हैं.
जांच की जानकारी के अनुसार जिस समय वृंदा सक्सेना की ईमेल का इस्तेमाल हुआ है. उस समय वृंदा सक्सेना छुट्टी पर थीं और उनके निजी मेल का इस्तेमाल ऑफिस का कोई बाबू करता था और पूरे आरोप बाबू पर लगा दिए गए हैं. इस मामले में मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ जितेंद्र गुप्ता किसी भी चीज का खुलासा नहीं कर रहे हैं और उनका कहना है कि अभी तक उन्होंने रिपोर्ट शासन को नहीं भेजी है लेकिन जो बातें, सामने आ रही हैं. उसमें यह स्पष्ट हो गया है कि इस पूरे घोटाले में यूनिवर्सिटी के किसी बड़े अधिकारी पर कोई गाज नहीं गिरेगी.
पूरे मामले पर राजनीति
यह मामला केवल आरटीआई एक्टिविस्ट (RTI activist) या नर्सिंग एसोसिएशन ( Nursing Association ) की शिकायत तक सीमित नहीं है बल्कि इस पूरे मामले में राजनीति भी सक्रिय है. जानकारी मिली है कि वृंदा सक्सेना को राजनीतिक पार्टी का सपोर्ट है और यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ( registrar )के खिलाफ जबलपुर पनागर के विधायक इंदु तिवारी ने सरकार को चिट्ठी लिखी है कि वह यूनिवर्सिटी में पास फेल का खेल करवा रहे हैं. एक दल यह भी कह रहा है कि यह पूरा मामला यूनिवर्सिटी में सरकार में बैठे हुए कुछ लोग किसी नई कंपनी को परीक्षा का पूरा काम देने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए यह बवाल मचा हुआ है.
90,000 छात्रों का सवाल
मेडिकल यूनिवर्सिटी से मध्य प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण पढ़ाई जुड़ी हुई है. यहीं यूनिवर्सिटी एमबीबीएस (MBBS), बीएएमएस (BAMS ), होम्योपैथिक (Homeopathic) आयुर्वेदिक यूनानी ( Ayurvedic Unani ) नर्सिंग और पैरामेडिकल का पाठ्यक्रम तय करता है और परीक्षा लेता है,बता दें कि अभी वर्तमान में यूनिवर्सिटी से 90, 000 छात्र जुड़े हुए हैं.
इस पूरे घटनाक्रम से मेडिकल यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए हैं और इस यूनिवर्सिटी को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. वहीं इस बात की जानकारी सभी को है कि इन सभी पाठ्यक्रमों में बहुत पैसा है और मेडिकल यूनिवर्सिटी एक कमाऊ पूत हो सकती है, इसलिए इस पर राजनेताओं की नजर लगी हुई है.