जबलपुर। कोरोना का खौफ पूरे देश के लोगों में देखा जा रहा है. दिन-ब-दिन कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. जिसकी वजह से वसीयत करने वालों की संख्या भी बढ़ गई है. जबलपुर जिले में पिछले सालों की अपेक्षा इस साल वसीयत कराने वालों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है और ये 10 से 12 प्रतिशत तक अधिक हुई है. कोरोनाकाल में बुजुर्गों के साथ कम उम्र के लोग भी वसीयत करवाने में रुची ले रहे हैं.
कोरोना वायरस की वजह से समाज में मौत का खौफ समा गया है, मृत्यु के इस डर को जबलपुर के रजिस्ट्री कार्यालय में महसूस किया जा सकता है. जबलपुर की जिला पंजीयक का कहना है कि जब से कोरोना वायरस और दूसरी बीमारियों की वजह से मृत्यु दर बढ़ी है, तब से जबलपुर के रजिस्ट्री कार्यालय में ज्यादा लोग वसीयत करवाने के लिए पहुंच रहे हैं.
क्या होता है वसीयत ?
वसीयत एक गोपनीय दस्तावेज है, कोई भी शख्स मरने के बाद अपनी चल अचल संपत्ति का वारिस कौन होगा यह तय कर सकता है. इसे ही वसीयत कहते हैं. वसीयत रजिस्ट्री कार्यालय में की जाती है. ये रजिस्ट्रार डॉक्यूमेंट के रुप में होता है, जिसमें स्टांप ड्यूटी नहीं लगती. एक छोटी सी फीस जमा करनी होती है और किसी की भी वसीयत तैयार हो जाती है.
वसीयत में आया 10-12 प्रतिशत का उछाल
आम तौर पर ट्रेंड देखा गया है कि काफी बुजुर्ग लोग ही वसीयत करवाते हैं, बहुत सारे लोग मृत्यु को स्वीकार ही नहीं कर पाते, इसलिए वसीयत नहीं करवाते. लेकिन जबलपुर रजिस्ट्रार का कहना है कि अगर सही समय पर लोग वसीयत करवा लें तो संपत्ति से जुड़े विवाद घट सकते हैं. पहले वसीयत करवाने वालों का आंकड़ा कम होता था. बीते महीने के तीन हफ्तों में एक हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना वायरस के चलते मौत हुई है, जिसमें कई नौजवान भी शामिल हैं. जिसके बाद वसीयत कराने वालों की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हुआ है. जिला रजिस्ट्रार ने कहा कि इस साल जबलपुर में 10 से 12 प्रतिशत ज्यादा लोग वसीयत करवा रहे है.
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रजिस्ट्री से ज्यादा हो रहा वसीयत
रजिस्ट्री ऑफिस में संपत्तियों की रजिस्ट्री करने वाले वकीलों का कहना है कि इन दिनों वे रजिस्ट्री से ज्यादा वसीयतनामा लिख रहे हैं. एक अजीब सा खौफ समाज में छाया हुआ है, जिसकी वजह से लोग अपनी संपत्ति को अपने बाद की पीढ़ी को सौंपना चाहते हैं.
संपत्ति बेचने में आई तेजी
ऐसा नहीं है कि कोरोनाकाल का असर केवल वसीयत में ही पड़ा हो, बल्कि शहर में संपत्ति की बिक्री में भी तेजी देखने को मिल रही है. जहां लोग अपनी संपत्तियां तो बेच रहे हैं, लेकिन खरीददार नहीं मिल रहे. समाज में एक अनिश्चितता का वातावरण बन गया है और लोग डरे हुए हैं. किसी को ये समझ में नहीं आ रहा है कि ये कब खत्म होगा.