जबलपुर। शहर में बिना भौतिक सत्यापन के बड़े पैमाने पर निजी अस्पतालों का संचालन की स्वीकृति दिए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया है कि कोरोना काल में विगत तीन साल में 65 निजी अस्पतालों को नियम विरुद्ध तरीके से संचालन की अनुमत्ति दी गई है. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की युगलपीठ ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए अंतिम अवसर प्रदान करते हुए अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है. लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रेसीडेंट विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि जबलपुर में नियम विरुद्ध प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमति प्रदान की गई है.
फायर सिक्योरिटी के नियमों का पालन नहीं : याचिका में कहा गया है कि कोरोना काल में विगत तीन साल में 65 निजी अस्पलातों को संचालन की अनुमति दी गई है. जिन अस्पतालों को अनुमति दी गई है, उन्होंने नेशनल बिल्डिंग कोड के फायर सिक्योरिटी के नियमों का पालन नहीं किया. नगर निगम में जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद अस्पताल संचालन की अनुमति दी गई है. बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र नहीं होने के बावजूद अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गई है.
पैरामेडिकल सहित अन्य स्टाफ की जांच नहीं की : याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि भौतिक सत्यापन किए बिना संबंधित विभागों ने अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान कर दी. अस्पतालों के मेडिकल व पैरामेडिकल सहित अन्य स्टाफ की जांच तक नहीं की गई। याचिका में मप्र शासन के प्रमुख सचिव, डायरेक्टर हेल्थ सर्विस, रीजनल डायरेक्टर हेल्थ सर्विस, मेयर नगर निगम को पक्षकार बनाया गया है. याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किए.
कैंट बोर्ट सीईओ पर 25 हजार की कॉस्ट लगाई : कैंट बोर्ड जबलपुर द्वारा एंट्री टैक्स वसूले जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ के समक्ष कैंट बोर्ड के सीईओ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए. उन्होंने कैंट बोर्ड 1924 के नियम के तहत एंट्री एक्ट वसूले के संबंध में जानकारी पेश की। युगलपीठ ने पाया कि पूर्व में पेश किये गये जवाब में किसी अन्य नियम के तहत एंट्री टैक्स लिये जाने की जानकारी पेश की गयी थी. इसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने सीईओ पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि युगलपीठ को बताया गया कि उक्त नियम निरस्त कर दिया गया है.
एक अन्य मामले में एनएचएआई से जवाब मांगा : सतपुडा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर के बीच से बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाईवे-69 के निर्माण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि एनटीसीए की बिना अनुमति लिये उक्त नेशनल हाई-वे का निर्माण किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की युगलपीठ ने एनएचएआई को निर्देशित किया है कि निर्माण के संबंध में एनटीसीए से एप्रूवल लिया है या नहीं, इस संबंध में जवाब पेश करें. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 25 मार्च को निर्धारित की है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह व तान्या तिवारी ने पक्ष रखा.
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