जबलपुर। समाजसेवी संस्था ने आईएएस विवेक अग्रवाल को भ्रष्टाचार के मामले में आईएएस एसोसिएशन द्वारा बचाए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं. समाजसेवी संस्था ने कहा कि आईएएस विवेक अग्रवाल 2010 में भी भ्रष्टाचार के एक मामले में लोकायुक्त जांच में फंसे थे, उसने हैरत जताते हुए कहा कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को आईएएस एसोसिएशन क्यों बचाना चाहता है.
आईएएस विवेक अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए 300 करोड़ रुपए का टेंडर दे दिया, जबकि इस कंपनी के पास उस काम में कोई खास अनुभव नहीं है. टेंडर को बीएसएनएल ने भी भरा था, लेकिन अग्रवाल ने इसे बीएसएनएल को न देते हुए अपनी बेटे की कंपनी को जारी कर दिया था, जिसके बाद से ही अग्रवाल सवालों के घेरे में चल रहे हैं. जब ईओडब्ल्यू ने मामले से जुड़े विवेक अग्रवाल से पूछताछ की बात आई तो आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरी सिंह ने एक पत्र लिखा कि विवेक अग्रवाल से इस मामले में पूछताछ न किये जाने की अपील की है.
एसोसिएशन ने अग्रवाल के पक्ष में दलील देकर ये कहा कि उनका करियर स्वच्छ रहा है, यदि उनसे पूछताछ की जाती है तो इसका असर उनके कामकाज पर पड़ेगा और वे जनहित के दूसरे फैसले नहीं ले पाएंगे. वहीं जबलपुर की समाज सेवी संस्था ने कहा है कि विवेक अग्रवाल पहले भी दूध के धुले नहीं रहे हैं, उनके खिलाफ 2010 में लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया था, आईएएस ने अपनी पहचान और रुतबे के चलते इस मामले की जांच तक नहीं होने दी और आज भी ये मामला लोकायुक्त में लंबित है, इस बात की जानकारी हाईकोर्ट में सरकार ने अपने जवाब में पेश की थी.
संस्था का कहना है कि जो अधिकारी 2010 में भ्रष्टाचार के आरोप में फंस चुका है, उसने दोबारा फिर अपने बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए 300 करोड़ रुपए का टेंडर दिलवा दिया, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के पक्ष में आईएएस एसोसिएशन किस नैतिक आधार पर खड़ा है. ऐसे अधिकारी को पहले ही महत्वपूर्ण पदों से हटा देना चाहिए था. इसके बावजूद न तो पुराने भ्रष्टाचार के आरोपों पर जांच हो सकी. अब नया भ्रष्टाचार किया है. उस पर भी जांच नहीं होने दी जा रही. ये तरीका पूरी तरह गलत है. यदि आईएएस एसोसिएशन इस तरह का दबाव बनाता है तो समाज सेवी संस्था इस मामले को हाईकोर्ट लेकर जाएगी.