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EOW की जांच का सामना कर रहे IAS विवेक अग्रवाल के बचाव में IAS एसोसिएशन क्यों - corruption

आईएएस विवेक अग्रवाल को आईएएस एसोसिएशन ने बचाने का प्रयास किया है, इसको लेकर एक समाजसेवी संस्था ने सवाल उठाया है.

आईएएस विवेक अग्रवाल के बचाव में आया आईएएस एसोसिएशन
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Published : Oct 20, 2019, 11:37 PM IST

Updated : Oct 21, 2019, 12:05 AM IST

जबलपुर। समाजसेवी संस्था ने आईएएस विवेक अग्रवाल को भ्रष्टाचार के मामले में आईएएस एसोसिएशन द्वारा बचाए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं. समाजसेवी संस्था ने कहा कि आईएएस विवेक अग्रवाल 2010 में भी भ्रष्टाचार के एक मामले में लोकायुक्त जांच में फंसे थे, उसने हैरत जताते हुए कहा कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को आईएएस एसोसिएशन क्यों बचाना चाहता है.

आईएएस विवेक अग्रवाल को समाजसेवी संस्था ने सवाल उठाया है.

आईएएस विवेक अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए 300 करोड़ रुपए का टेंडर दे दिया, जबकि इस कंपनी के पास उस काम में कोई खास अनुभव नहीं है. टेंडर को बीएसएनएल ने भी भरा था, लेकिन अग्रवाल ने इसे बीएसएनएल को न देते हुए अपनी बेटे की कंपनी को जारी कर दिया था, जिसके बाद से ही अग्रवाल सवालों के घेरे में चल रहे हैं. जब ईओडब्ल्यू ने मामले से जुड़े विवेक अग्रवाल से पूछताछ की बात आई तो आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरी सिंह ने एक पत्र लिखा कि विवेक अग्रवाल से इस मामले में पूछताछ न किये जाने की अपील की है.

एसोसिएशन ने अग्रवाल के पक्ष में दलील देकर ये कहा कि उनका करियर स्वच्छ रहा है, यदि उनसे पूछताछ की जाती है तो इसका असर उनके कामकाज पर पड़ेगा और वे जनहित के दूसरे फैसले नहीं ले पाएंगे. वहीं जबलपुर की समाज सेवी संस्था ने कहा है कि विवेक अग्रवाल पहले भी दूध के धुले नहीं रहे हैं, उनके खिलाफ 2010 में लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया था, आईएएस ने अपनी पहचान और रुतबे के चलते इस मामले की जांच तक नहीं होने दी और आज भी ये मामला लोकायुक्त में लंबित है, इस बात की जानकारी हाईकोर्ट में सरकार ने अपने जवाब में पेश की थी.

संस्था का कहना है कि जो अधिकारी 2010 में भ्रष्टाचार के आरोप में फंस चुका है, उसने दोबारा फिर अपने बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए 300 करोड़ रुपए का टेंडर दिलवा दिया, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के पक्ष में आईएएस एसोसिएशन किस नैतिक आधार पर खड़ा है. ऐसे अधिकारी को पहले ही महत्वपूर्ण पदों से हटा देना चाहिए था. इसके बावजूद न तो पुराने भ्रष्टाचार के आरोपों पर जांच हो सकी. अब नया भ्रष्टाचार किया है. उस पर भी जांच नहीं होने दी जा रही. ये तरीका पूरी तरह गलत है. यदि आईएएस एसोसिएशन इस तरह का दबाव बनाता है तो समाज सेवी संस्था इस मामले को हाईकोर्ट लेकर जाएगी.

जबलपुर। समाजसेवी संस्था ने आईएएस विवेक अग्रवाल को भ्रष्टाचार के मामले में आईएएस एसोसिएशन द्वारा बचाए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं. समाजसेवी संस्था ने कहा कि आईएएस विवेक अग्रवाल 2010 में भी भ्रष्टाचार के एक मामले में लोकायुक्त जांच में फंसे थे, उसने हैरत जताते हुए कहा कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को आईएएस एसोसिएशन क्यों बचाना चाहता है.

आईएएस विवेक अग्रवाल को समाजसेवी संस्था ने सवाल उठाया है.

आईएएस विवेक अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए 300 करोड़ रुपए का टेंडर दे दिया, जबकि इस कंपनी के पास उस काम में कोई खास अनुभव नहीं है. टेंडर को बीएसएनएल ने भी भरा था, लेकिन अग्रवाल ने इसे बीएसएनएल को न देते हुए अपनी बेटे की कंपनी को जारी कर दिया था, जिसके बाद से ही अग्रवाल सवालों के घेरे में चल रहे हैं. जब ईओडब्ल्यू ने मामले से जुड़े विवेक अग्रवाल से पूछताछ की बात आई तो आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरी सिंह ने एक पत्र लिखा कि विवेक अग्रवाल से इस मामले में पूछताछ न किये जाने की अपील की है.

एसोसिएशन ने अग्रवाल के पक्ष में दलील देकर ये कहा कि उनका करियर स्वच्छ रहा है, यदि उनसे पूछताछ की जाती है तो इसका असर उनके कामकाज पर पड़ेगा और वे जनहित के दूसरे फैसले नहीं ले पाएंगे. वहीं जबलपुर की समाज सेवी संस्था ने कहा है कि विवेक अग्रवाल पहले भी दूध के धुले नहीं रहे हैं, उनके खिलाफ 2010 में लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया था, आईएएस ने अपनी पहचान और रुतबे के चलते इस मामले की जांच तक नहीं होने दी और आज भी ये मामला लोकायुक्त में लंबित है, इस बात की जानकारी हाईकोर्ट में सरकार ने अपने जवाब में पेश की थी.

संस्था का कहना है कि जो अधिकारी 2010 में भ्रष्टाचार के आरोप में फंस चुका है, उसने दोबारा फिर अपने बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए 300 करोड़ रुपए का टेंडर दिलवा दिया, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के पक्ष में आईएएस एसोसिएशन किस नैतिक आधार पर खड़ा है. ऐसे अधिकारी को पहले ही महत्वपूर्ण पदों से हटा देना चाहिए था. इसके बावजूद न तो पुराने भ्रष्टाचार के आरोपों पर जांच हो सकी. अब नया भ्रष्टाचार किया है. उस पर भी जांच नहीं होने दी जा रही. ये तरीका पूरी तरह गलत है. यदि आईएएस एसोसिएशन इस तरह का दबाव बनाता है तो समाज सेवी संस्था इस मामले को हाईकोर्ट लेकर जाएगी.

Intro:आईएएस विवेक अग्रवाल 2010 में भी भ्रष्टाचार के एक मामले में लोकायुक्त जांच में फंसे थे ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को आईएएस एसोसिएशन क्यों बचाना चाहता है जबलपुर की एक समाजसेवी संस्था ने उठाया सवाल


Body:जबलपुर एक समाजसेवी संगठन ने आईएएस विवेक अग्रवाल के पक्ष में खड़े आईएएस एसोसिएशन पर सवाल खड़ा किया है

दरअसल आईएएस विवेक अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए 300 करोड़ रुपए का टेंडर दे दिया जबकि इस कंपनी को इस काम का पहले से कोई खास अनुभव नहीं है स्टैंडर्ड को बीएसएनएल ने भी भरा था लेकिन आईएस विवेक अग्रवाल ने इसे बीएसएनएल को नहीं दिया इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है जब विवेक अग्रवाल से पूछताछ की बात आई तो आईएएस एसोसिएशन की अध्यक्ष गौरी सिंह ने एक पत्र लिखा कि विवेक अग्रवाल से इस मामले में पूछताछ ना की जाए एक वरिष्ठ अधिकारी हैं और उनका कैरियर स्वच्छ रहा है यदि उनसे पूछताछ की जाती है तो इसका असर उनके कामकाज पर पड़ेगा और वे जनहित के दूसरे फैसले नहीं ले पाएंगे

जबलपुर की समाज सेवी संस्था का कहना है कि विवेक अग्रवाल पहले भी दूध के धुले नहीं रहे हैं उनके खिलाफ 2010 में लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया था लेकिन आईएएस ने अपनी पहचान और रुतबे के चलते इस मामले की जांच तक नहीं होने दी और आज भी यह मामला लोकायुक्त में लंबित है इस बात की जानकारी हाईकोर्ट में सरकार ने अपने जवाब में पेश की थी

समाज सेवी संस्था का कहना है कि जो अधिकारी 2010 में भ्रष्टाचार के आरोप में फस चुका है उसने दोबारा फिर अपने बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए 300 करोड़ रुपए का टेंडर दिलवा दिया ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के पक्ष में आईएएस एसोसिएशन किस नैतिक आधार से खड़ा हुआ है और ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को पहले ही महत्वपूर्ण पदों से हटा देना चाहिए था लेकिन इसके बावजूद ना तो पुराने भ्रष्टाचार के आरोपों पर जांच हो सकी है और अब नया भ्रष्टाचार किया है उस पर भी जांच नहीं होने दी जा रही यह तरीका पूरी तरह गलत है और यदि आईएएस एसोसिएशन इस तरह का दबाव बनाता है तो समाज सेवी संस्था इस मामले को हाईकोर्ट लेकर जाएगी


Conclusion:बाइट डॉक्टर पी जी नाथ पांडे संरक्षक नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच
Last Updated : Oct 21, 2019, 12:05 AM IST
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