जबलपुर। जिला अस्पताल में टीबी बीमारी (tb patient died in jabalpur hospital) से पीड़ित महिला की मौत हो जाती है. यह जानकारी जैसे ही उसके पति को लगती है, तो वह बिना किसी से कुछ बोले अपना समान लेकर वहां से निकलने की तैयारी करने लगता है. तभी अस्पताल में पदस्थ नर्स की नजर महिला के पति पर पड़ती है. वह उसे रोककर भागने का कारण पूछती है. तब वह वजह बताता है कि क्यों वो अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार (funeral in jabalpur) नहीं कर रहा है ?
टीबी से ग्रसित थी नीरज की पत्नी सपना
जबलपुर के कांचघर में रहने वाला नीरज सक्सेना ऑटो चालक है. कुछ माह पहले उसके दुर्घटना में दोनों पैर खराब हो गए. जैसे-तैसे वह अपनी बीमार पत्नी को पाल रहा था. इसी बीच आरटीओ ने ऑटो पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया. इससे नीरज का काम पूरी तरह बंद हो गया. इस बीच नीरज की पत्नी सपना की भी तबीयत बिगड़ने लगी.
अंतिम संस्कार के भी नहीं थे पैसे
पांच दिन पहले नीरज सपना को इलाज के लिए जिला अस्पताल के टीबी वार्ड (jabalpur tb ward) में भर्ती करवाया. जहां शुक्रवार की रात सपना ने दम तोड़ दिया. पहले ही बेरोजगारी से जूझ रहे नीरज को अब सपना का अंतिम संस्कार था. उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अंतिम संस्कार कर सके. लिहाजा बिना किसी से कुछ बोले वह अस्पताल से जाने लगा.
मसीहा बने इनायत अली
पत्नी को बिना लिए जैसे ही नीरज वहाँ से जाने लगे तो वार्ड की नर्सों ने उसे रोका और पूछा कि बिना बताए कहां जा रहे हो. तब उसने बताया कि मेरी इतनी हैसियत नहीं कि मैं पत्नी का अंतिम संस्कार कर सकूं. नर्सों ने गरीब नवाज कमेटी के इनायत अली से सपना के अंतिम संस्कार के लिए संपर्क किया. पेशे से मेकैनिक इनायत अली को जैसे ही खबर लगी वह अपनी गाड़ी लेकर साथियों के साथ सीधे जिला अस्पताल पहुंचे. वहां जाकर न सिर्फ परेशान नीरज का हौसला बढ़ाया. बल्कि उसकी पत्नी का शव रानीताल मुक्ति धाम लेकर आए. जहां हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करवाया.
बेरोजगारी से टूट चुका था नीरज.....
नीरज ने बताया कि वह ऑटो चलाता है. कुछ साल पहले एक एक्सीडेंट में दोनों पैर फ्रैक्चर हो गए थे. जैसे तैसे वो ठीक हुआ. पुनः ऑटो चला कर किसी तरह अपने परिवार का पालन पोषण करने लगा. बीते कुछ दिनों से आरटीओ की सख्त कार्रवाई के चलते उसका ऑटो चलाना बंद (unemployment in jabalpur) हो गया. लिहाजा धीरे-धीरे उसकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई.
500 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं इनायत अली
इनायत अली ने बेसहारा और अनाथ लोगों के लिए उनकी खिदमत करने का एक बीड़ा उठा रखा है. बीते कई सालों से वह लावारिस और वह लोग जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक न होती और उनके परिवार में किसी व्यक्ति के मृत्यु हो जाती है, तो उनके अंतिम संस्कार करा रहे हैं. अभी तक करीब 500 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार उनके धर्म अनुरूप इनायत अली कर चुके हैं. एक बार अंतिम संस्कार में करीब तीन से चार हजार रुपये का खर्च आता है, जो पूरी तरह से इनायत अली स्वयं वहन करते हैं.