जबलपुर। शासकीय अस्पताल उन लोगों के इलाज का ठिकाना होता है, जो कि गरीब तबके, या फिर वह होते हैं जो कि निजी अस्पताल में जाकर इलाज नहीं करवा सकते हैं, लिहाजा ऐसे लोगों के लिए इलाज का एकमात्र सहारा जिले का सरकारी अस्पताल होता है, बात करें अगर जिला अस्पताल जबलपुर की, तो यहां के बाह्य रोगी विभाग में रोजाना करीब 600 से 700 मरीज आते हैं, इन मरीजों का अपना इलाज करवाने से पहले बाह्म रोगी विभाग की पर्ची कटवानी पड़ती है. लेकिन कोविड काल में यहां की तस्वीर बेहद डरावनी है. लोग बिना मास्क लगाए अस्पताल पहुंच रहे हैं.
- जबलपुर जिला अस्पताल की तस्वीर
जबलपुर जिला अस्पताल में बाह्य रोगी विभाग में इलाज करवाने के लिए रोजाना करीब 600 से 700 मरीज आते हैं, इन मरीजों को इलाज शुरू करवाने से पहले बाह्य रोगी विभाग की पर्ची कटवानी होती है, पर पर्ची कटवाना भी बीमार मरीज और उनके परिजन के लिए आसान नहीं होता है, बाह्म रोगी पर्ची बनवाने के लिए चाहे महिला हो या पुरुष उन्हें लंबी लाइनें लगानी पड़ती हैं, कई बार तो यह भी होता है, कि घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद जब मरीज की पर्ची कटती है, तब तक डॉक्टर कुर्सी से उठ चुके होते हैं.
- मरीज 600 और काउंटर खिड़की सिर्फ दो
जबलपुर जिला अस्पताल में रोजाना 600 से ज्यादा मरीज बाह्य रोगी विभाग में इलाज करवाने आते हैं, इन मरीजों को ओपीडी पर्ची कटवाने के लिए घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है, जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल में ओपीडी पर्ची के लिए एक काउंटर महिला एक काउंटर पुरुष जबकि एक काउंटर कोविड टेस्ट के लिए खोला गया है, हमने भी असल में ओपीडी काउंटर की हकीकत जब जाननी चाही, तो पता चला कि एक काउंटर में जहां महिलाओं की लंबी लाइन लगी हुई थी, तो वहीं पुरुषों के ओपीडी में भी भारी भीड़ थी.
- जाने क्या चाहते हैं अस्पताल प्रबंधन से मरीज ?
जिला अस्पताल में इलाज करवाने आए मरीज घंटों लाइन में लगे रहते हैं, कई बार तो लाइन में लगे-लगे ही मरीज की तबीयत बिगड़ जाती है, जिला अस्पताल में कुछ और काउंटर भी थे, पर वह अब बंद पड़े हैं, मरीजों का कहना है कि अस्पताल में इतनी भीड़ को देखते हुए, काउंटरों की संख्या बढ़ानी चाहिए, ताकि मरीजों को जल्दी इलाज मिल सके.
- ओपीडी मरीज के लिए तीन काउंटर
जिला अस्पताल में रोगियों के लिए तीन ओपीडी पर्ची काउंटर खोले गए हैं, एक पुरुषों का और एक महिलाओं के लिए काउंटर खोले गए हैं. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जब कभी भी ज्यादा भीड़ हो जाती है तो फिर आकस्मिक चिकित्सा केंद्र में मरीजों का इलाज करवाया जाता है.
- कोरोना गाइडलाइन का नहीं हो रहा पालन
जबलपुर जिले में भले ही कोरोना संबंधित केस कम हो गए हों, पर यह नहीं मानना चाहिए कि कोरोना खत्म हो गया है, जिला अस्पताल में आने वाले मरीज, कोरोना को नहीं बल्कि अपनी अन्य बीमारियों को जरूरी मान रहे हैं, यही कारण है कि अब अस्पतालों में कोविड-19 की गाइड लाइन का बिल्कुल भी पालन नहीं हो रहा है, लोग न ही मास्क पहन रहे हैं और ना ही सोशल डिस्टेंस का पालन कर रहे हैं.
- 'व्यवस्था सुधारने का प्रयास जारी'
इस ठंड में इलाज करवाने आए मरीजों को तकलीफ न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, व्यवस्था बनने में जुटा हुआ है, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ सी.बी. अरोरा का कहना है कि सुचारू रूप से ओपीडी चल रही है, इस बीच अगर गंभीर मरीज आते हैं, तो उसको प्राथमिकता से देख कर जल्द से जल्द उसका इलाज किया जाता है, सिविल सर्जन डॉ अरोरा का कहना है कि और भी ओपीडी की व्यवस्था सुचारु रूप से करने की कोशिश की जा रही है.
गरीब तबके के मरीजों के लिए सरकारी अस्पताल ही एकमात्र सहारा होता है, जहां जाकर वह अपना इलाज करवा सकता है, पर इलाज करवाने से पहले उससे ओपीडी में कई तरह की जद्दोजहद भी उठाने पड़ते हैं, तब जाकर उसे इलाज मुहैया होता है, बहरहाल कोविड काल में यह भीड़ देखकर जिला अस्पताल प्रबंधन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि अगर ओपीडी काउंटर कुछ और खुल जाते हैं, तो इस भीड़ में खड़े हर व्यक्ति को इलाज समय पर मिल सकता है, और कोविड की गाइडलाइन का भी पालन किया जा सकता है.