जबलपुर। इस साल होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर थोड़ी सी भ्रम की स्थिति बन रही है, क्योंकि पूर्णिमा 6 तारीख से शुरू हो रही है. केवल मुहूर्त देखकर काम करने वाले लोगों के लिए भद्रा की स्थिति ने संकट में डाल दिया है. इसके अलावा पंडितों की गणना भी अलग-अलग आ रही है.
भ्रम की वजहः हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन का मुहूर्त फाल्गुन मास के अंतिम दिन पूर्णिमा शुरू होने के साढ़े 3 प्रहर खत्म होने के बाद शुरू होता है. यदि इस हिसाब से एक गणना की जाए तो साढ़े 3 प्रहर का मतलब लगभग 10 घंटा 30 मिनट होता है. इस लिहाज से 6 मार्च को 4 बजकर 04 मिनट से पूर्णिमा शुरू हो जाएगी और आधी रात के बाद होलिका दहन का मुहूर्त शुरू हो जाएगा. वहीं पंचांग गणना के अनुसार केवल काशी में 6 तारीख की रात में होलिका दहन किया जा सकता है.
होलिका दहन का मुहूर्तः पंचांग के अनुसार काशी को छोड़कर बाकी देश में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च में सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में किया जाएगा. यह समय 7 तारीख में शाम 6 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर रात्रि 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. लोगों को इसी समय में होलिका का दहन करना चाहिए. यह शुभ फलदाई होगा. होलिका दहन करने के बाद होलिका की पूजा करने की भी परंपरा है. कई ग्रामीण इलाकों में लोग होलिका की अग्नि को घर पर भी लेकर आते हैं और घर में भी छोटी होलिका बनती हैं. जिसकी पूजा और परिक्रमा घर की महिलाएं लड़कियां करती हैं. बहुत सी जगहों पर दूसरे दिन इसी अग्नि से भोजन भी तैयार किया जाता है.
स्नान दान व्रत पूर्णिमाः शास्त्रों के अनुसार इसी दिन पूर्णिमा का स्नान भी किया जा सकता है. यह पूर्णिमा बहुत फलदाई होती है. लोगों को गरीबों को दान करना चाहिए. पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. और होलिका के साथ अपनी बुरी आदतों को भी दहन करना चाहिए. दूसरे दिन धुरेड़ी मनाई जाएगी.
लोगों के लिए होली के अलग-अलग मायनेः होली के हर उम्र के लोगों के लिए अलग-अलग मायने हैं. बच्चों के लिए होली रंगों का त्योहार है और बच्चे इस दिन दिनभर मस्ती करते हैं. बाकी त्योहारों में नए कपड़े पहने जाते हैं, लेकिन होली के दिन ही सबसे पुराने कपड़े पहने जाते हैं. होली का सबसे ज्यादा महत्व उस परिवार में होता है, जहां बीते साल किसी की मृत्यु हुई हो वह गम में हो. यह परिवार इस त्योहार के साथ अपना गम भुलाते हैं. लोग इन परिवारों में पहुंचकर उनकी तकलीफ कम करने की कोशिश करते हैं. उन्हें होली में शामिल करके जिंदगी का आनंद लेने के लिए आमंत्रित करते हैं. हिंदू धर्म की इन्हीं परंपराओं की वजह से हिंदू पूरे साल त्योहार मनाता रहता है. पूरे साल में शायद ही ऐसे कुछ दिन होते हैं. जब कोई न कोई महत्वपूर्ण त्योहार न आता हो और इन त्योहारों की वजह से सामाजिक तानाबाना भी मजबूत होता है और सभी जगह आनंद की स्थिति बनी रहती है.
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होली मनाने वालों को सलाहः होली पर कई बुराइयां अभी पनपती हैं. इनमें भांग और शराब का नशा एक प्रचलित बुराई है. नशा कोई भी हो बुरा होता है और नशा करने के लिए त्योहार की आड़ लेना बुरी बात है. इसलिए लोगों को नशा नहीं करना चाहिए. होली की एक दूसरी बुराई रासायनिक रंग है. एक दूसरे को रंग लगाने में रासायनिक रंगों का प्रयोग यदि ज्यादा कर लिया जाए तो त्वचा को हानि हो सकती है. इसलिए लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि हल्के रंगों के साथ प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करके होली खेले.