जबलपुर। शहर की एक महिला उद्यमी करीब 2 सैकड़ा महिलाओं को साथ लेकर मंदिर में भगवान को चढ़ाए जाने वाले फूलों और पत्तियों के निर्माल्य से हर्बल गुलाल तैयार करने के मिशन में जुटी हुई हैं (Herbal gulal made from Flowers). इस बार की होली में फूलों और पत्तियों से तैयार गुलाल की खासी डिमांड है, क्योंकि बाजार में मिलने वाले आम रंगों से यह बेहद अलग है और इससे त्वचा को कोई नुकसान भी नहीं होता.
महिलाएं बना रहीं हर्बल गुलाल: रंगों के महापर्व होली में गुलाल का खासा महत्व होता है यही वजह है कि पर्व मनाने की बात आती है तो गुलाल की चर्चा सबसे पहले होने लगती है. लेकिन जिस गुलाल को आप देख रहे हैं यह कोई आम गुलाल नहीं है बल्कि इसे तैयार किया गया है, भगवान को चढ़ाए जाने वाले फूलों और पत्तियों से. जबलपुर की एक महिला उद्यमी संध्या बोरकर पिछले कई सालों से भगवान को चढ़ाने के बाद कूड़े में तब्दील होने वाले फूलों और पत्तियों के जरिए हर्बल और ऑर्गेनिक गुलाल बनाने के काम में जुटी हुई है. करीब 2 सैकड़ा महिलाओं और स्व सहायता समूह के सदस्यों के जरिए वे इस काम को अंजाम दे रही हैं. रंगों के पर्व होली पर केमिकल और रसायन युक्त गुलाल से बाजार सज जाते हैं लेकिन जिन्हें पर्यावरण से प्यार है और अपनी त्वचा की चिंता होती है वे हर्बल गुलाल को ही चुनते हैं.
ऐसे बनाया जाता है हर्बल गुलाल: फूलों और बेल पत्तियों से तैयार हर्बल गुलाल की प्रक्रिया काफी कठिन है, महिलाओं के जरिए मंदिरों से पहले भगवान को चढ़ाने के बाद सूख जाने वाले फूलों को इकट्ठा कराया जाता है, फिर उन्हें सुखा कर पानी में उबाला जाता है और कलर का पेस्ट मिलाकर दोबारा सुखाकर उससे बनने वाले डिगलों को हाथों से मसलकर बारीक पाउडर बनाया जाता है. दिलचस्प बात तो यह है कि यह पूरी प्रक्रिया होली के 3 से 4 महीने के पहले ही पूरी कर ली जाती है और उसकी पैकिंग बनाकर बाजार में उतारा जाता है.
जागरूक हो रहे लोग: होली के मौके पर रसायन और केमिकल से बनने वाले रंग और गुलाल का उपयोग तो हर कोई करता है लेकिन अब लोग जागरूक हो रहे हैं और वे हर्बल और ऑर्गेनिक का रुख कर रहे हैं. यही वजह है कि अपनी त्वचा की चिंता करने वाले लोग अब फूलों और पत्तियों से बनने वाले गुलाल का उपयोग करने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं.