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बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाइवे-69 के निर्माण कार्य पर हाईकोर्ट का स्टे, याचिका में ये मांग उठाई

सतपुडा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर के बीच से बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाइवे-69 के निर्माण कार्य पर जबलपुर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. वन्य जीवों की सुरक्षा का मुद्दा इस याचिका में जोरदार तरीके से उठाया गया. याचिका पर अगली सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की गई है. (High Court stay on construction work) (Betul-Obedulaganj National Highway-69)

Betul-Obedulaganj National Highway-69
बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाइवे-69
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Published : Apr 4, 2022, 6:01 PM IST

जबलपुर। सतपुडा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर के बीच से बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाइवे-69 के निर्माण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान एनटीसीए की तरफ से पेश किये गये जवाब में बताया गया कि सतपुडा-मेलघाट टाईगर कॉरिडोर में नेशनल हाइवे के निर्माण की अनुमति उन्होंने एनएचएआई को नहीं दी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस डी के पालीपाल की युगलपीठ ने निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की है.

वन्य जीवों पर खतरा बताया : महाराष्ट्र के अमरावती निवासी एडविट किओले की तरफ से हाईकोर्ट में दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि बैतूल-औबेदुलागंज के बीच नेशनल हाइवे-69 का निर्माण किया जा रहा है. निर्माण कार्य के लिए वन विभाग की अनुमति ली गयी है. एनएच के निर्माण में महाराष्ट्र के मेलघाट व मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाईगर रिर्जव के बीच का हिस्सा भी आता है. एनटीसीए द्वारा देश में घोषित मुख्य 32 टाइगर कॉरिडोर में सतपुड़ा व मेलघाट भी शामिल हैं. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में टाइगर सहित अन्य वनजीव रहते हैं. जो आने-जाने के लिए इस कॉरिडोर का उपयोग करते हैं.

आवश्यक परमिशन नहीं ली गईं : याचिका में कहा गया है कि नियम के अनुसार टाईगर कॉरिडोर में निर्माण के लिए नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी (एनटीसीए) तथा नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्स लाइफ की अनुमति आवश्यक है. इससे बिना अनुमति लिये एनएचएआई द्वारा सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. इसके लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हो रही है. याचिका में कहा गया था कि वह विकास कार्य के खिलाफ नहीं है परंतु वन तथा वन प्राणियों का संरक्षण आवश्यक है. एनटीसीए ने भी वन प्राणियों के संरक्षण के लिए हाइवे के निर्माण के दौरान वन प्राणियों के आवागमन के लिए अंडर तथा ओवरमार्ग बनाने तथा पुलिया सहित अन्य दिशा-निर्देश जारी किये हैं. इससे वन प्राणियों के जन-जीवन पर अधिक असर नहीं पड़ेगा.

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में टेरेटरी के चलते एक और बाघ की मौत, पोस्टमार्टम के बाद अधिकारियों की उपस्थिति में जलाया गया बाघ का शव

एनएचएआई ने जवाब पेश किया : याचिका में केन्द्र सरकार के एनवायरमेंट एवं फॉरेस्टस क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट के सचिव, नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी, नेशनल बोर्ड आफ वाईल्ड लाइफ के चेयरमेन, एनएचएआईए मप्र शासन के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी फॉरेस्ट व पीसीसीएफ को पक्षकार बनाया गया है. याचिका पर सुनवाई के दौरान एनएचएआई के तरफ से पेश किये गये जवाब में बताया गया कि अन्य संबंधित विभाग की एनओसी प्राप्त कर ली गयी है. एनटीसीए से अनुमति के लिए प्रयास जारी है. नेशनल हाइवे के निर्माण में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि वन जीवों का जीवन किसी तरफ से प्रभावित नहीं हो. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह व तान्या तिवारी ने पक्ष रखा. (High Court stay on construction work) (Betul-Obedulaganj National Highway-69)

जबलपुर। सतपुडा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर के बीच से बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाइवे-69 के निर्माण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान एनटीसीए की तरफ से पेश किये गये जवाब में बताया गया कि सतपुडा-मेलघाट टाईगर कॉरिडोर में नेशनल हाइवे के निर्माण की अनुमति उन्होंने एनएचएआई को नहीं दी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस डी के पालीपाल की युगलपीठ ने निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की है.

वन्य जीवों पर खतरा बताया : महाराष्ट्र के अमरावती निवासी एडविट किओले की तरफ से हाईकोर्ट में दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि बैतूल-औबेदुलागंज के बीच नेशनल हाइवे-69 का निर्माण किया जा रहा है. निर्माण कार्य के लिए वन विभाग की अनुमति ली गयी है. एनएच के निर्माण में महाराष्ट्र के मेलघाट व मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाईगर रिर्जव के बीच का हिस्सा भी आता है. एनटीसीए द्वारा देश में घोषित मुख्य 32 टाइगर कॉरिडोर में सतपुड़ा व मेलघाट भी शामिल हैं. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में टाइगर सहित अन्य वनजीव रहते हैं. जो आने-जाने के लिए इस कॉरिडोर का उपयोग करते हैं.

आवश्यक परमिशन नहीं ली गईं : याचिका में कहा गया है कि नियम के अनुसार टाईगर कॉरिडोर में निर्माण के लिए नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी (एनटीसीए) तथा नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्स लाइफ की अनुमति आवश्यक है. इससे बिना अनुमति लिये एनएचएआई द्वारा सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. इसके लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हो रही है. याचिका में कहा गया था कि वह विकास कार्य के खिलाफ नहीं है परंतु वन तथा वन प्राणियों का संरक्षण आवश्यक है. एनटीसीए ने भी वन प्राणियों के संरक्षण के लिए हाइवे के निर्माण के दौरान वन प्राणियों के आवागमन के लिए अंडर तथा ओवरमार्ग बनाने तथा पुलिया सहित अन्य दिशा-निर्देश जारी किये हैं. इससे वन प्राणियों के जन-जीवन पर अधिक असर नहीं पड़ेगा.

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एनएचएआई ने जवाब पेश किया : याचिका में केन्द्र सरकार के एनवायरमेंट एवं फॉरेस्टस क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट के सचिव, नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी, नेशनल बोर्ड आफ वाईल्ड लाइफ के चेयरमेन, एनएचएआईए मप्र शासन के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी फॉरेस्ट व पीसीसीएफ को पक्षकार बनाया गया है. याचिका पर सुनवाई के दौरान एनएचएआई के तरफ से पेश किये गये जवाब में बताया गया कि अन्य संबंधित विभाग की एनओसी प्राप्त कर ली गयी है. एनटीसीए से अनुमति के लिए प्रयास जारी है. नेशनल हाइवे के निर्माण में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि वन जीवों का जीवन किसी तरफ से प्रभावित नहीं हो. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह व तान्या तिवारी ने पक्ष रखा. (High Court stay on construction work) (Betul-Obedulaganj National Highway-69)

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