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जबलपुर: हाईकोर्ट ने एमपी सरकार से झोलाछाप डॉक्टरों की रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश - High court ordered MP government

कोराना काल में मरीजों का इलाज कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले में युगलपीठ ने प्रदेश के अन्य जिलों में रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए हैं.

High Court Jabalpur
हाईकोर्ट ने दिए झोलाछाप डॉक्टरों की रिपोर्ट पेश करने के जारी किए आदेश
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Published : Dec 5, 2020, 5:24 PM IST

जबलपुर। झोलाछाप डॉक्टरों संबंधी मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस वी.के शुक्ला की युगलपीठ ने प्रदेश के अन्य जिलों को कार्रवाई की जानकारी प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता परितोश गुप्ता ने पैरवी की.

जबलपुर निवासी ऋषिकेश सराफ की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि झोलाछाप डॉक्टर कोराना काल में भी एलोपैथिक दवाइयों से सर्दी, जुखाम, बुखार आदि बीमारियों का उपचार कर रहे हैं. जिसके कारण कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है. एलोपैथिक तरीके से उपचार करने वाले 28 छोलाछाप डॉक्टरों की शिकायत उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से की थी. शिकायात के बाद सिर्फ 13 झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पांच के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसमें से एक भी झोलाछाप डॉक्टर की गिरफ्तारी नहीं हुई है और सभी मरीजों का गलत उपचार कर रहे हैं.

याचिकाकर्ता ने बताया कि छोलाछाप डॉक्टरों के पास संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन तक नहीं है. याचिका में यह भी कहा गया था कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अतिरिक्त वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में शासन से मान्यता प्राप्त संस्था से आयुर्वेद, होम्योपैथिक आदि मान्य चिकित्सा पद्धति से आयुष डॉक्टर वास्तविक या मान्य डॉक्टर की श्रेणी में आते हैं. उन्हें क्लीनिक खोलने से पूर्व संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन करवाना आवश्यक है. ऐसे डॉक्टर भी एलोपैथिक तरीके से इलाज कर रहे हैं.

जबलपुर। झोलाछाप डॉक्टरों संबंधी मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस वी.के शुक्ला की युगलपीठ ने प्रदेश के अन्य जिलों को कार्रवाई की जानकारी प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता परितोश गुप्ता ने पैरवी की.

जबलपुर निवासी ऋषिकेश सराफ की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि झोलाछाप डॉक्टर कोराना काल में भी एलोपैथिक दवाइयों से सर्दी, जुखाम, बुखार आदि बीमारियों का उपचार कर रहे हैं. जिसके कारण कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है. एलोपैथिक तरीके से उपचार करने वाले 28 छोलाछाप डॉक्टरों की शिकायत उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से की थी. शिकायात के बाद सिर्फ 13 झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पांच के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसमें से एक भी झोलाछाप डॉक्टर की गिरफ्तारी नहीं हुई है और सभी मरीजों का गलत उपचार कर रहे हैं.

याचिकाकर्ता ने बताया कि छोलाछाप डॉक्टरों के पास संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन तक नहीं है. याचिका में यह भी कहा गया था कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अतिरिक्त वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में शासन से मान्यता प्राप्त संस्था से आयुर्वेद, होम्योपैथिक आदि मान्य चिकित्सा पद्धति से आयुष डॉक्टर वास्तविक या मान्य डॉक्टर की श्रेणी में आते हैं. उन्हें क्लीनिक खोलने से पूर्व संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन करवाना आवश्यक है. ऐसे डॉक्टर भी एलोपैथिक तरीके से इलाज कर रहे हैं.

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