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High Court Order : लंबित विभागीय जांच के कारण पदोन्नति से वंचित नहीं किया जाए

राज्य पुलिस सेवा अधिकारी को हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि लंबित विभागीय जांच के कारण पदोन्नति से वंचित नहीं किया जाये. याचिकाकर्ता ने कहा था कि उन्हें अपना पक्ष पेश करने का अवसर नहीं मिला. (Promotion not denied due to pending inquiry) (Relief from High Court to Police Officer)

Relief from High Court to Police Officer
राज्य पुलिस सेवा अधिकारी को हाईकोर्ट से राहत
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Published : May 28, 2022, 6:04 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा है कि लंबित विभागिय जांच के कारण पदोन्नति से वंचित नहीं किया जाए. राज्य पुलिस सेवा अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि इनकम टैक्स विभाग ने प्रतीक जोशी नामक व्यक्ति के ठिकानों में दबिश दी थी. दबिश के दौरान कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसमें अरुण कुमार मिश्रा के नाम के आगे साढे़ सात करोड़ रुपए बताए गए थे.

अपना पक्ष पेश करने का मौका नहीं मिला : इसके अलावा टेलीफोनिक बातचीत को आधार बनाते उन्हें आरोप पत्र जारी किया गया था. याचिका में कहा गया था कि आयकर विभाग की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया है. उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर तक प्रदान नहीं किया गया था. याचिका की सुनवाई करते हुए पूर्व में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता पकंज दुबे ने पैरवी की.

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बढ़ सकती हैं जबलपुर के आरटीओ की मुश्किलें : जबलपुर के आरटीओ संतोष पाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जबलपुर में ईओडब्लू की विशेष अदालत ने आरटीओ संतोष पाल के खिलाफ आय से अधिकार संपत्ति का मामला सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है. आरटीओ के खिलाफ विशेष अदालत में ये परिवाद जबलपुर के स्वप्निल सराफ और धीरज कुकरेजा ने दायर किया है. इसमें कहा गया है कि जबलपुर आरटीओ कार्यालय में पदस्थ प्रभारी आरटीओ संतोष पाल और उनकी पत्नि रेखा पाल ने सरकारी पद पर रहते हुए आय से कई गुना ज्यादा संपत्ति जुटाई है. (Promotion not denied due to pending inquiry) (Relief from High Court to Police Officer)

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा है कि लंबित विभागिय जांच के कारण पदोन्नति से वंचित नहीं किया जाए. राज्य पुलिस सेवा अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि इनकम टैक्स विभाग ने प्रतीक जोशी नामक व्यक्ति के ठिकानों में दबिश दी थी. दबिश के दौरान कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसमें अरुण कुमार मिश्रा के नाम के आगे साढे़ सात करोड़ रुपए बताए गए थे.

अपना पक्ष पेश करने का मौका नहीं मिला : इसके अलावा टेलीफोनिक बातचीत को आधार बनाते उन्हें आरोप पत्र जारी किया गया था. याचिका में कहा गया था कि आयकर विभाग की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया है. उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर तक प्रदान नहीं किया गया था. याचिका की सुनवाई करते हुए पूर्व में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता पकंज दुबे ने पैरवी की.

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