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सार्वजनिक मंच से माफी मांगे मंत्री, पेश करें सबूतः हाईकोर्ट

सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. माफीनामा का सबूत कोर्ट में पेश नहीं करने पर उन्हें एक बार फिर सार्वजनिक सभा में मांफी मांगने का आदेश दिया गया है.

मंत्री घनघोरिया के माफीनामे पर हाईकोर्ट की असंतुष्टि
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Published : Oct 3, 2019, 10:08 PM IST

जबलपुर। प्रदेश के सामाजिक न्याय और निःशक्तजन कल्याण मंत्री लखन घनघोरिया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. घनघोरिया के बयान को हाईकोर्ट ने अवमानना मानते हुए सार्वजनिक मंच से माफी मांगने का आदेश दिया था, लेकिन मंत्री ने माफीनामा का सबूत कोर्ट में पेश नहीं किया. जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है.

मंत्री घनघोरिया के माफीनामे पर हाईकोर्ट की असंतुष्टि

नगर निगम के वकील ने कोर्ट के सामने इस मुद्दे को रखा था. पिछली सुनवाई में मंत्री ने एक माफीनामा पेश किया था और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी थी, तब कोर्ट ने आदेश दिया था कि खुले में गलती करें और बंद कमरे में माफी मांगे, ये नहीं चलेगा. कोर्ट ने कहा कि मंत्री को सार्वजनिक मंच पर सभा में कहना होगा कि वे अतिक्रमण हटाना चाहते हैं और कोर्ट का सम्मान करते हैं.

इस मुद्दे पर दोबारा सुनवाई हुई, तब मंत्री के वकील ने कहा कि मंत्री ने एक तारीख को एक सभा में कोर्ट की मंशा अनुसार अपनी बात रखी है, लेकिन इस मुद्दे पर जनहित याचिकाकर्ता एडवोकेट सतीश वर्मा ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने जिस उद्देश्य से पिछली सुनवाई में मंत्री को हिदायत दी थी, वैसा काम नहीं किया गया है. सभा की बात कहां हुई, कब हुई, इसका कोई सबूत पेश नहीं किया गया है, साथ ही आम जनता इससे अनजान है, इसलिए कोर्ट के आदेशानुसार सार्वजनिक मंच में माफी मांगनी होगी और स्पष्ट करना होगा कि वह अतिक्रमण हटाने का समर्थन करते हैं.

बीते दिनों लखन घनघोरिया ने जबलपुर के सिद्ध बाबा पहाड़ी पर एक सभा में नगर निगम के अमले को चेताया था कि पहाड़ी से अतिक्रमण न हटाए, इस दौरान उन्होंने नगर निगम के वकील को समझाइश देने की बात भी सभा में कही थी.

जबलपुर। प्रदेश के सामाजिक न्याय और निःशक्तजन कल्याण मंत्री लखन घनघोरिया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. घनघोरिया के बयान को हाईकोर्ट ने अवमानना मानते हुए सार्वजनिक मंच से माफी मांगने का आदेश दिया था, लेकिन मंत्री ने माफीनामा का सबूत कोर्ट में पेश नहीं किया. जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है.

मंत्री घनघोरिया के माफीनामे पर हाईकोर्ट की असंतुष्टि

नगर निगम के वकील ने कोर्ट के सामने इस मुद्दे को रखा था. पिछली सुनवाई में मंत्री ने एक माफीनामा पेश किया था और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी थी, तब कोर्ट ने आदेश दिया था कि खुले में गलती करें और बंद कमरे में माफी मांगे, ये नहीं चलेगा. कोर्ट ने कहा कि मंत्री को सार्वजनिक मंच पर सभा में कहना होगा कि वे अतिक्रमण हटाना चाहते हैं और कोर्ट का सम्मान करते हैं.

इस मुद्दे पर दोबारा सुनवाई हुई, तब मंत्री के वकील ने कहा कि मंत्री ने एक तारीख को एक सभा में कोर्ट की मंशा अनुसार अपनी बात रखी है, लेकिन इस मुद्दे पर जनहित याचिकाकर्ता एडवोकेट सतीश वर्मा ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने जिस उद्देश्य से पिछली सुनवाई में मंत्री को हिदायत दी थी, वैसा काम नहीं किया गया है. सभा की बात कहां हुई, कब हुई, इसका कोई सबूत पेश नहीं किया गया है, साथ ही आम जनता इससे अनजान है, इसलिए कोर्ट के आदेशानुसार सार्वजनिक मंच में माफी मांगनी होगी और स्पष्ट करना होगा कि वह अतिक्रमण हटाने का समर्थन करते हैं.

बीते दिनों लखन घनघोरिया ने जबलपुर के सिद्ध बाबा पहाड़ी पर एक सभा में नगर निगम के अमले को चेताया था कि पहाड़ी से अतिक्रमण न हटाए, इस दौरान उन्होंने नगर निगम के वकील को समझाइश देने की बात भी सभा में कही थी.

Intro:सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया को नहीं मिली कोर्ट से राहत कोर्ट ने सार्वजनिक सभा में अतिक्रमण के विरोध में दिए भाषण का वीडियो मांगा लखन घनघोरिया ने बीते दिनों हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दिया था भाषण


Body:जबलपुर मध्य प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और निशक्तजन कल्याण मंत्री लखन घनघोरिया की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं बीते दिनों लखन घनघोरिया ने जबलपुर की सिद्ध बाबा पहाड़ी पर एक सभा में भाषण देते हुए नगर निगम के अमले को चेताया था कि पहाड़ी से अतिक्रमण ना हटाए इस दौरान उन्होंने नगर निगम के वकील को समझाइश देने की बात भी सभा में कही थी

दरअसल जबलपुर में ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण हटाया जा रहा है और यह कार्यवाही हाईकोर्ट के आदेश पर की जा रही है इसलिए लखन घनघोरिया के बयान को हाईकोर्ट की अवमानना माना गया और नगर निगम के वकील ने कोर्ट के सामने इस मुद्दे को रखा पिछली सुनवाई में लखन घनघोरिया ने एक माफीनामा पेश किया था और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी थी तब कोर्ट ने आदेश दिया था कि खुले में गलती करें और बंद कमरे में माफी मांगे यह नहीं चलेगा और मंत्री को सार्वजनिक मंच से सभा में यह कहना होगा कि वह अतिक्रमण हटाना चाहते हैं कोर्ट का सम्मान करते हैं

आज जब इस मुद्दे पर दोबारा सुनवाई हुई तो लखन घनघोरिया की तरफ से वकील ने यह बात रखी कि मंत्री जी ने 1 तारीख को एक सभा में कोर्ट की मंशा अनुसार अपनी बात रखी है लेकिन इस मुद्दे पर जनहित याचिकाकर्ता एडवोकेट सतीश वर्मा ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने जिस उद्देश्य से पिछली सुनवाई में मंत्री को हिदायत दी थी वैसा काम नहीं किया गया है और जिस सभा की बात कही जा रही है वह कहां हुई कब हुई इसके कोई सबूत पेश नहीं किए गए हैं ना ही यह बात मीडिया में और आम जनता तक पहुंची है इसलिए मंत्री जी की बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता उन्हें दोबारा पिछले आदेश के मुताबिक सार्वजनिक मंच से अपनी कहे वक्तव्य को वापस लेना होगा और यह स्पष्ट करना होगा कि वह अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही का समर्थन करते हैं

वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि चुकी मंत्री सरकार का हिस्सा है इसलिए हो सकता है कि जिस ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण हटाने की बात कही जा रही है उसका मद सरकार बदल सकती है इसलिए यदि सरकार उस जमीन को ग्रीन बेल्ट से हटाती है तो इसके लिए पहले कोर्ट से अनुमति लेनी होगी इस मुद्दे पर अगली सुनवाई नवंबर में की जाएगी


Conclusion:बाइट सतीश वर्मा जनहित याचिकाकर्ता वकील
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