जबलपुर: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने एक ही तथ्य संबंधी प्रकरण में दो कर्मियों को अलग-अलग दंड देकर भेदभाव किये जाने वाले रवैये को आड़े हाथों लिया है. जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सुनवाई दौरान पाया कि पिछले चार साल से मामले में सरकार का जवाब नहीं आया है, जिस पर एकलपीठ ने कलेक्टर पर पांच हजार रुपये की जुर्माना लगाकर हाईकोर्ट की विधिक सहायता समिति में जमा करने के निर्देश दिये हैं. एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को निर्धारित की है.
जानिए क्या था पूरा मामला: यह मामला जबलपुर निवासी दुर्गा बेन की ओर से साल 2019 में दायर किया गया था. जिसमें कहा गया था कि वह शासकीय स्कूल पाटन में शिक्षिका हैं. याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय को बताया गया कि परीक्षा के समय फ्लाइंग स्क्वॉड ने नकल प्रकरण बनाया था. इसमें याचिकाकर्ता के साथ एक अन्य शिक्षिका सुनीता सैयाम को भी आरोपी बनाया गया था. याचिकाकर्ता को उनकी एक साल के लिए वेतनवृद्धि रोकने का दंड दिया गया. जबकि सुनीता को केवल निंदा प्रस्ताव देकर बरी कर दिया. याचिकाकर्ता ने कलेक्टर के आदेश को संभागायुक्त के समक्ष अपील के जरिए चुनौती दी. कमिश्नर ने अपील निरस्त कर दी. इसलिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. सुनवाई बाद न्यायालय ने उस मामले में निर्देश दिये.